आज़मगढ़- शहर के निकट सईदवारा स्थित सनबीम स्कूल परिसर में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मां सरस्वती का विधिवत मंत्रोच्चार के साथ मूर्ति स्थापित किया गया । गायत्री परिवार आजमगढ़ द्वारा ज्ञान दायिनी मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया गया । गायत्री परिवार से पूजन करने आये सत्यदेव चौहान ने मां सरस्वती के बारे में विस्तार से व्याख्या की और इस पूजन के महत्व पर प्रकाश डाला । माल्यार्पण करने वालों में दीप एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष भोला प्रसाद साह, डायरेक्टर प्रशांत गुप्ता उनकी पत्नी शुभ्रा गुप्ता एवं विद्यालय के प्रधानाचार्य अंजना श्रीवास्तव एवं विद्यालय के शिक्षक गण उपस्थित थे । सभी लोगों ने विद्यालय परिसर में स्थापित मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनका पूजन किया । इस अवसर पर पूजन समारोह में उपस्थित गायत्री परिवार के वक्ताओं ने कहा कि मां सरस्वती को विद्या, शिक्षा, ज्ञान, कला, संगीत की देवी के रूप में मान्यता प्राप्त है तथा अनेक वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि मां सरस्वती की कृपा के बिना किसी भी प्रकार की कला अथवा विद्या की प्राप्ति नहीं हो सकती। ज्ञान को संसार में सभी चीजों से श्रेष्ठ कहा गया है। इस आधार पर देवी सरस्वती सभी से श्रेष्ठ हैं। मां सरस्वती की उपासना पूजा ही श्रेयस्कर है। सरस्वती के प्रसाद से ही शुक्राचार्य सभी दैत्यों के पूज्यनीय गुरु हो गए। सरस्वती कृपा से ही भगवान वेद व्यास चारों वेदों को विभक्त कर संपूर्ण पुराणों की रचना कर पाए।
वक्ताओं ने कहा कि मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास के लिए इस पूजा का बड़ा महत्व है। जिस प्रकार शारीरिक विकास के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, उसी तरह मस्तिष्क के विकास के लिए विद्या की आवश्यकता होती है। भगवती सरस्वती परम सुखदायी है । इनकी पूजा के प्रभाव से मूर्ख भी पंडित बन जाता है। सरस्वती वाणी एवं ज्ञान की देवी हैं।
रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़