बरेली। शास्त्रों में ज्येष्ठ माह का विशेष महत्व बताया गया है। इस में हर मंगल को बड़े मंगल के रूप में जाना जाता है। इस दिन बजरंगबली की पूजा-अर्चना से हनुमत कृपा बनी रहती है। इस बार ज्येष्ठ माह की शुरुआत बड़े मंगलवार से ही हो रही है। ज्येष्ठ माह के पहले मंगलवार को लेकर जगह-जगह भक्त पूजा-अर्चना कर सुंदर कांड का पाठ करेंगे। नाथनगरा मे ज्येष्ठ माह के मंगल पर उत्सव की धूम होती है। बड़ा बाग स्थित हनुमान मंदिर, सिविल लाइंस हो या रामगंगा स्थित लेटे हनुमान का मंदिर सभी जगहों पर आस्था का हुजूम बजरंगबली के दर्शन को उमड़ता है। पूरे शहर में जगह-जगह भंडारे सजते हैं। इस बार ज्येष्ठ मास की शुरुआत ही बड़े मंगल से हो रही है। माह में कुल पांच बड़े मंगलवार पड़ेंगे। हनुमान मंदिरों में इसकी तैयारी शुरू हो गई है। पंडित सुशील पाठक ने बताया कि बड़े मंगल को लेकर मान्यता है कि त्रेता युग में ज्येष्ठ मास के मंगलवार के दिन ही भगवान राम और हनुमान जी की पहली मुलाकात हुई थी। ज्येष्ठ मास इस बार 13 मई मंगलवार से शुरू हो रहा है। जबकि अंतिम मंगल 10 जून मंगलवार को रहेगा। बड़े मंगल को मंदिर में जाकर हनुमान जी को चोला चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। उसके बाद हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण का पाठ करने से मंगल ग्रह के कारण मिलने वाली पीड़ा कम होती है। महंत ने बताया कि ज्येष्ठ का महीना खास तो है ही इसमें बड़े मंगल की महिमा ज्यादा रहती है। इस बार भक्तों के लिए ज्येष्ठ माह की शुरुआत ही मंगल से हो रही है। बड़े मंगल को व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का भी पाठ करना लाभकारी होता है। इसके बाद स्नान करके हनुमान जी को रोली चंदन का तिलक लगाएं। हनुमान जी को लाल वस्त्र से अत्यधिक प्रेम है इसलिए बड़े मंगल के दिन लाल वस्त्र का दान करने पर विशेष फल प्राप्त होता है। सिंदूर में चमेली का तेल और गाय का शुद्ध देसी घी मिलाने से जो लेप बनता है। उसे चोला कहते है। इस सिंदूरी चोले को ही भगवान को लेपा जाता है। चोला चढ़ाने के लिए चमेली के तेल का ही उपयोग करें। चोला चढ़ाते समय एक दीपक हनुमानजी के सामने जलाकर रखें. दीपक में भी चमेली के तेल का ही उपयोग करे। चोला चढ़ाने से पहले प्रतिमा को स्नान करवाएं, देसी घी लगाकर उस पर सिंदूर का चोला चढ़ा दें।।
बरेली से कपिल यादव