बरेली। बसों की मरम्मत मे फर्जी बिलों के सहारे घोटाला करने वाले सेवा प्रबंधक (एसएम) धनजी राम अफसर और जनप्रतिनिधियों की पैरवी से बचे हुए थे। मुख्यमंत्री के पास पांच महीने पहले मामला पहुंचा तब अफसरों ने साथ छोड़ दिया। अब प्रबंध निदेशक ने कार्रवाई की। अब इस प्रकरण से जुड़े कई अफसरों पर कार्रवाई हो सकती है। वजह यह है घोटाले और गड़बड़ी के जिस मामले में एसएम सस्पेंड किए गए हैं। उसी मामले में शासन से गठित जांच कमेटी एआरएम बरेली डिपो, एआरएम रुहेलखंड डिपो, एआरएम पीलीभीत, बरेली डिपो के सीनियर फोरमैन, रुहेलखंड डिपो के सीनियर फोरमैन, पीलीभीत के सीनियर फोरमैन को भी दोषी ठहरा चुकी है। इनके खिलाफ भी किसी भी दिन कार्रवाई तय मानी जा रही है। हालांकि कार्रवाई से बचाव का सभी रास्ता तलाश रहे है। पिछले साल जनवरी से अक्टूबर तक बसों की मरम्मत के नाम पर कार्यशाला में जमकर खेल हुआ था। सेवा प्रबंधक का सबसे पहले घोटाला नवंबर माह मे सामने आया था। जो रोडवेज की बसें निगम के बेड़े में नही थी, उनकी भी मरम्मत दर्शाकर बिल पास करा दिए गए थे। यही नही एसएम ने थाने में खड़ी दुर्घटनाग्रस्त बस की भी मरम्मत दिखाकर भुगतान फर्म को कर दिया था। वही बरेली परिक्षेत्र की रोडवेज बसों में घपलेबाजी की शिकायत मिलने पर दिसंबर माह मे नोडल अधिकारी व जीएम तकनीकी सत्य नारायण ने क्षेत्रीय प्रबंधक और सेवा प्रबंधक से कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट तलब की थी। रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यालय स्तर से कार्रवाई की बात कही गई, लेकिन इस प्रकरण में रोडवेज कर्मचारियों और अफसरों के खिलाफ मुख्यालय को स्पष्टीकरण भेजने में अधिकारियों के पसीने छूट गए थे। लगभग 150 बसों की मरम्मत के फर्जी बिलों का भी खुलासा किया था।।
बरेली से कपिल यादव