बरुआसागर/ झांसी – जैन समुदाय के दस दिवसीय पर्वराज पर्युषण का शुभारम्भ शुक्रबार से हो गया।जैन सम्प्रदाय के लिए यह महान पर्व माना गया है जिसमे जैन समुदाय के लोग दश दिन चलने बाले दशलक्षण पर्व पर मंदिरों में जाकर विशेष पूजा अर्चना करते है।दश दिन जैन समुदाय उत्तम क्षमा,मार्दव ,आर्जब, सत्य,शौच,संयम,तप,त्याग,आकिंचन्य,ब्रह्मचर्य आदि दश धर्मों की आराधना करते है।उसी क्रम में प्रथम दिवस उत्तम क्षमा धर्म की पूजा की गयी जिसके चलते सुबह से ही बरुआसागर स्थित जैन मंदिर में श्रद्धालुओं के भीड़ उमड़ पड़ी जिसके दौरान विशेष पूजा अर्चना अभिषेक विधान आदि का आयोजन किया गया। उत्तम क्षमा के बारे में बाहर से आये पंडित जी ने बताया कि क्षमा एक पवित्र धर्म है ,दशलक्षण पूजन में उत्तम क्षमा का वर्णन करते हुए द्यानतराय जी ने कहा है गाली सुन मन खेद न आनौ, गुन को औगुन कहै अयानो ।
कहि है अयानो वस्तु छीने, बाँध -मार बहूविधि करै ।
घरतैं निकारै तन विदारै, बैर जो न तहाँ धरै।
निमित्तों की प्रतिकूलता में भी जो शांत रह सके वह क्षमा धारी है ।गाली सुनकर भी जिसके हृदय में खेद तक उत्पन्न न हो तब क्षमा है किन्हीं बाह्य कारणों से क्रोध व्यक्त भी न करे, पर मन में खेद -खिन्न हो जावे तो भी क्षमा कहाँ रही? जैसे मालिक ने मुनीम को डाँटा -फटकारा तो नौकरी छूट जाने के भय से मुनीम क्रोध को प्रकट न करे, पर मन में खेद -खिन्न हो गया तो वह क्षमा नहीं कहला सकती ।इसलिए तो लिखा है गाली सुन मन खेद न आनौ ।जो गाली सुनकर चाँटा मारे, वह काया की विकृति वाला है ।जो गाली सुनकर गाली देवे, वह वचन की विकृति वाला है ।जो गाली सुनकर मन में खेद लावे, वह मन की विकृति वाला है ।परंतु गाली सुनकर मन में खेद भी न आवे, वह क्षमाधारी है ।
इसके भी आगे कहा है, गुन को औगुन कहै अयानो ।हों हममें गुण, और सामने वाला औगुन रूप से वर्णन करे, और वह भी अकेले में नहीं भरी सभा में, फिर भी हम उत्तेजित न हों तो क्षमाधारी हैं ।कुछ लोग कहते हैं भाई ।हम गालियाँ बर्दाश्त कर सकते हैं, पर यह कैसे संभव है कि जो दुर्गुण हममें नहीं हैं ,उन्हें कहता फिरे।उन्हें भी अकेले में कहे तो किसी तरह सह भी लें, पर भरी सभा में कहे तो फिर तो गुस्सा आ ही जाता है ।
द्यानतराय जी इसी बात को स्पष्ट कर रहे हैं कि यदि गुस्सा आ जाता है, तो वह क्षमा नहीं है, क्रोध ही है ।मान लो तब भी क्रोध न आवे, हम सोच लें, बकने वाले बकते हैं, बकने दो ,हमें क्या है? पर जब वह हमारी वस्तु छीनने लगे, हमें बाँध दे,मारे और भी अनेक प्रकार से पीड़ा दे तब भी हम क्रोध न करें ,तब *उत्तम क्षमा के धारी कहलायेंग* प्रवचन के पूर्व संगीतमय आरती का आयोजन किया जाता है उसके पश्चात प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जाएगा।
– झाँसी से अमित जैन