बरेली। इस बार किसानों को गेहूं अनुसंधान केंद्र करनाल से सीधे जाकर गेहूं का बीज नहीं मिलेगा। किसान को अनुसंधान केंद्र नहीं जाना होगा। कोविड 19 के प्रकोप को देखते हुए यह व्यवस्था की गई है। पांच दिन पहले शुरू ही पंजीकरण प्रक्रिया तीन दिन बाद साइट बंद कर दी गई लेकिन शनिवार को पुनः ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होते ही रविवार को करनाल, हरियाणा गेहूं की नई उन्नत किस्म DBW187 की अनुपलब्धता बताकर गेंहू का बीज खत्म कर दिया गया। अखिल भारतीय अस्थाई अध्यापक महासंघ, राष्ट्रीय क्षत्रिय महासभा व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी कौशल कुमार सिंह बरेली निवासी ने करनाल के निदेशक के फेसबुक पर हुई वार्ता पर उन्होंने आरोप लगाया है कि आपने आधार कार्ड के द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण कराया है। जिसमें किसान होने का कोई प्रमाण नहीं है। क्योंकि जो भी भारत के प्रगतिशील किसान है वह अभी इतने एडवांस नहीं है कि वह सभी पंजीकरण खुलने के कुछ घंटे में ही अपना पंजीकरण करवा ले। अब यह बीज किन लोगों में वितरित होगा। यह जानकारी सिर्फ संस्थान के पास ही हो सकती है। भारत कृषि प्रधान देश की संज्ञा भी मिली हुई है और लगभग 70 प्रतिशत भारतीय लोग किसान हैं। जिसमें में 86 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान हैं, वहीं देश के ग्रामीण इलाकों की साक्षरता दर 73.5 प्रतिशत है इस हिसाब से 26.5% किसान आज साक्षर भी नहीं है परंतु उनका जीवन यापन पूर्णत: कृषि पर ही निर्भर है। ऐसे में किसानों को यदि मात्र एक दिन के समय में पंजीकरण नहीं करा सकता है। नई तकनीकी एवं बीज की उपलब्धता इस व्यवस्था के अनुसार उनके लिए संभव ही नहीं है।
किसान भाइयों हमारे सीड पोर्टल पर डीवीडब्ल्यू 187 के बीज की अनुपलब्धता के कारण उसे हटा लिया है। असुविधा के लिए खेद है।।
- ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह निदेशक करनाल, हरियाणा
बरेली से कपिल यादव