बरेली। जिले में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। संक्रमित मिलने वाले आकड़ों में फिलहाल कोई कमी नही दिखाई दे रही है। संक्रमितों के उपचार के लिए जिले में कुल 14 हॉस्पिटल है जिसमें कोई जगह नहीं बची है। संक्रमितों को समय पर बेड और उपचार मिल सके। इसके लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से कोरोना से लड़ाई लडऩे में उपयोग होने वाले संसाधानों को पूरा करने में व्यस्त है। इसी का फायदा उठाकर शहर के कुछ नॉन कोविड निजी अस्पतालों ने अपनी मनमानी शुरु कर दी है। यह अस्पताल अपनी मनमानी कर कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार कर मनमानी रकम वसूल कर रहे हैं। हालत बिगडने पर वह संसाधनों की कमी बताकर मरीजों को अंतिम समय में रेफर कर रहे हैं। तत्काल में कोविड अस्पताल मे बेड और उपचार न मिलने के आभाव मे ऐसे मरीजों की मौतें हो रही हैं। जबकि कुछ निजी अस्पताल तो गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों के पहुंचने पर उनकी बिना कोविड जांच कराए ही सीधा इलाज करना शुरु कर दे रहे है। निजी अस्पतालों की हालत यह है कि वह कोरोना मरीजों का तो इलाज कर रहे है। इसके साथ ही अस्पताल में कोरोना के लक्षण होने वाले मरीज का भी बिना टेस्ट के ही उपचार कर रहे है। ऐसे अस्पतालों मे दीपमाला अस्पताल सबसे ज्यादा है। नॉन कोविड अस्पताल होने के बाद भी संक्रमित मरीजो का उपचार कर रहा है। जिसके बदले में ऐसे हॉस्पिटल मनमानी तरीके से पैसे वसूल कर रहे है। ऐेसे में कुछ मरीज ठीक हो जा रहे है। जबकि ज्यादातर संक्रमितों की सुविधा के अभाव में हालत बिगड़ रही है। हालत बिगडने की स्थिति में नॉन कोविड हॉस्पिटल मरीज को कोविड अस्पताल में रेफर कर रहे है। ज्यादा हालत गंभीर होने पर अचानक रेफर करने की स्थिति मे मरीज को कोविड हॉस्पिटल मे जल्द बेड और उपचार नहीं मिल पा रहा है। जिससे मरीज की मौत तक हो जा रही है। नॉन कोविड अस्पतालों की मनमानी की वजह से कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग को इसकी भनक तक नही लग रही है। क्योंकि ऐसे अस्पताल इलाज के दौरान अगर मरीज में लक्षण लगते है तो वह एंटीजन किट की व्यवस्था कर उनकी कोविड जांच करते हैं। निगेटिव आने पर और पॉजिटिव आने पर दोनों ही स्थिति मे इलाज जारी रखते है। बस संक्रमित मरीज को सामान्य वार्ड से अलग कर देते है। इस वजह से कोविड पॉजिटिव आने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग को जानकारी नही दी जा रही है।।
बरेली से कपिल यादव