प्रतापगढ़- रामानुज आश्रम में ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की द्वितीया को नारद जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई भगवान श्री शालिग्राम के सेवा अर्चना एवं पद्म पुराण का पूजन तथा नारद जी के चित्र पर माल्यार्पण करने के पश्चात श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा कि जो ज्ञान को प्रदान करें वही नारद है ।श्रीमद्भागवत प्रथम स्कंध के तृतीय अध्याय के साथ षष्टम एवं अष्टम श्लोक के अनुसार भगवान श्रीमन्नारायण प्रथम सनक सनंदन सनातन सनत कुमार के रूप में द्वितीय वार वाराह रूप में और तृतीय बार नारद के रूप में अवतार ग्रहण किया। आपने सात्वत तंत्र का उपदेश दिया जिसे नारद पांचरात्र कहते हैं। भगवान श्री कृष्ण गीता में कहते हैं हे अर्जुन ऋषियों में मैं नारद हूं जैसे अगाध सरोवर से हजारों छोटे-छोटे नाले निकलते हैं वैसे ही सत्वनिधि भगवान श्री हरि के असंख्य अवतार हुआ करते हैं श्रीमद्भागवत के प्रथम स्कंध के पंचम अध्याय के 23 वें श्लोक में नारद जी स्वयं कहते हैं। हे महाभाग व्यास पिछले कल्प में मैं वेदवादी ब्राह्मणों की एक दासी का पुत्र था ऋषियों का जूठन खाने से मेरे अंदर भक्ति उत्पन्न हुई मेरी मां को एक दिन सर्प ने काट लिया। मैं अकेला रह गया एक शीतल जल से भरे हुए जलाशय में स्नान और जलपान करके एक वृक्ष के नीचे बैठ गया भगवान भक्त के आधीन होते हैं। उन्होंने दर्शन दिया फिर अंतर्ध्यान हो गए मैं पुनः देखना चाहा तो आकाशवाणी हुई अब प्रलय काल के पश्चात पुनः अगले कल्प में दर्शन होगा भगवत कृपा से मैं ब्रह्मा जी के एक सहस्त्र चतुरयुगी बीत जाने पर ब्रह्मा जी की सृष्टि निर्मित करने की इच्छा से मारीचि आदि ऋषियों के साथ में उत्पन्न हुआ ब्रह्मनदी सरस्वती के पश्चिम तट पर सम्याप्रास नाम के आश्रम में नारद जी ने व्यास जी को दीक्षा दिया आपके चार मुख्य शिष्य हैं प्रथम महर्षि बाल्मीकि द्वितीय ध्रुव तृतीय प्रहलाद और चतुर्थ कृष्णद्वैपायन व्यास जी हैं आप इस ब्रह्मांड के प्रथम पत्रकार हैं महर्षि वाल्मीकि जी प्रथम कवि हैं जिन्होंने रामायण महाकाव्य की रचना किया महर्षि पाराशर पुत्र व्यास जी प्रथम संपादक जिन्होंने वेदों को 4 भाग में विभाजित कर तथा 18 पुराणों एवं श्रीमद्भागवत कथा महाभारत की रचना किया महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण की कृपा से आप ही के शिष्य व्यास जी के द्वारा प्रथम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संजय को बनाया गया जो पल-पल की खबर कुरुक्षेत्र के मैदान की धृतराष्ट्र को दिया करते थे नारद जी को देवता दैत्य दानव राक्षस मानव सभी सम्मान करते थे आपके तपोबल के कारण ही आपको ब्रह्मर्षि की उपाधि प्रदान की गई। उक्त अवसर पर नारायणी रामानुज दासी, डॉ अवंतिका पांडे डॉक्टर विवेक पांडे शिवम् मिश्रा डॉ अंकिता पांडे, विश्वम प्रकाश पांडे आदि उपस्थित रहे।
नारद जी है पत्रकारिता जगत के पितामह – धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे
