दो बैल रोजाना गंगा स्नान करके मंदिर में करते हैं दर्शन, बना आस्था का केंद्र

बरेली। जिला व बदायूं के आसपास अंजान दो बैलों को चमत्कारी बताया जा रहा है। जिसकी चर्चा बरेली व बदायूं के आसपास जिलों में हो गई है। उन दोनों बैलों को चमत्कारी नंदी भी कहा जाने लगा है। इतना ही नहीं एक मंदिर पर रहने वाले दो बैल प्रतिदिन भोर के समय गंगा स्नान को जाते हैं। थाना क्षेत्र दातागंज के गांव धनोरा में एक मढ़ी पर चमत्कारी बैलों को देखने का मेला लगने लगा है। आस्था का केंद्र बने बैलों के ऊपर हाथ रख कर अपनी मन्नत मांगते हैं। करीब दो महीनों से इन चमत्कारी वालों देखने व मन्नत मांगने दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। भमोरा से करीब 25 से 30 किलोमीटर दूर बदायूं के थाना क्षेत्र दातागंज के गांव धनोरा में चमत्कारी दो बैलों को लेकर मढ़ी पर लोगों की प्रतिदिन भीड़ लग रही है। मणि के पुजारी महेंद्र का कहना है कि बैलों को करीब एक साल पहले गांव के आसपास देखा गया था। उस समय यह दोनों बैल काफी छोटे थे। दोनों बैल एक ही रंग व कद काठी के हैं। गांव के लोगों ने वालों को बांधने का प्रयास किया। गांव के चार या पांच लोगों ने बांधकर उन्हें रखा तो वह लोग बीमार हो गए। इसलिए गांव के लोगों ने उन्हें छोड़ना पड़ा और वह खुद ही अपने आप मढ़ी पर आकर खुले में रहने लगे। आगे बताया कि दोनों पर प्रतिदिन भोर के समय मंदिर से गायब हो जाते हैं। आज तक किसी ने भी बैलों को गंगा की ओर जाते नहीं देखा लेकिन गंगा की ओर से लौटते हुए प्रतिदिन ही देखा जा रहा है। इन चमत्कारी बैलों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और जिनको भी मन्नत मांगनी होती है। वह दोनों बैलों पर हाथ फेरता है। इसके बाद मंदिर में रखी मटकी पर हाथ रखता है। अगर मटकी घूमती है तो समझो मन्नत पूरी हो गई। हालांकि कुछ लोग इसे अंधविश्वास भी मान रहे हैं। लेकिन उस क्षेत्र में दोनों चमत्कारी बैल आस्था का केंद्र बने हुए है।।

बरेली से कपिल यादव

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