बरेली। दरगाह आला हजरत इमाम अहमद रजा खान और जिले बरेलवी का 164 वां यौम ए रजा बुधवार को मनाया गया। दरगाह प्रमुख हजरत मौलाना सुब्हान रजा खांन(सुब्हानी मियां) व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी( अहसन मियां) की सदारत में दरगाह शरीफ के अंदर चंद्रमा की मौजूदगी ने सामाजिक दूरी के साथ सादगी से मनाया गया। काजी रिजवान ने आगाज तिलावते कुरान से किया। आला हजरत की लिखी नात और मनकबत का नजराना पेश किया। यहां मौजूद उलेमा ने कहा कि आला हजरत आलम नहीं बल्कि इल्म का मौजे मारता हुआ समंदर था। जिन्होंने मात्र 4 साल की उम्र में कुरान पढ़ लिया। छह साल की उम्र में एक बड़े मजमे में खड़े होकर 2 घंटे मुसलसल मिलाद पड़ी। 8 साल की उम्र में अरबी जुबान में हिदायततुन नहु की तरह लिख डाली। 14 साल से कम उम्र में पहला फतवा लिखा। फातिहा के बाद खुसूसी दुआ की गई। आखिर में दरगाह प्रमुख हजरत सुब्हानी मियां साहब ने मजार शरीफ पर गुलपोशी कर फातिहा पढ़ने बाद सभी को तबरुक तकसीम किया। गौरवतल है कि हर साल आला हजरत फाजले बरेलवी के यौम ए पैदाइश का जश्न 10 सब्बाल को सुन्नी मुसलमान पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर मानते थे। बरेली में भी जश्न मनाकर मिठाइयां बांटी जाती थी लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते बरेली समेत दुनिया भर में बड़ी सादगी से रस्म अदा की गई। दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि आला हजरत इमाम अहमद रजा खान फाजिले बरेलवी की पैदाइश जून 1856 ईसवी को बरेली के मोहल्ला जसोली(अब जखीरा) मुफ्ती नकी अली खान के यहां हुआ था।।
बरेली से कपिल यादव