तो अब बसपा के दरवाज़े पर बड़ो की दस्तक? बड़ी राजनीतिक छलांग की तैयारी, लोकसभा चुनाव पर नज़र

रुड़की/हरिद्वार- ज़िले की सियासत में एक और बड़े बदलाव की सम्भावना बन रही है। सम्भावना जताई जा रही है कि राज्य किसान आयोग अध्यक्ष चौ. राजेंद्र सिंह बसपा का दामन पकड़ सकते हैं। चूँकि उनकी नज़र लोकसभा चुनाव पर है और लोकसभा चुनाव इस साल के अंत तक संभव है इसलिए उनके बसपा में शामिल होने की घोषणा बहुत जल्द हो सकती है। बताया तो यहाँ तक जाता है कि इस योजना का ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका है और अब इस बात पर मनन हो रहा है कि चौ. राजेंद्र सिंह को उत्तर प्रदेश में टिकट दिया जाए या फिर हरिद्वार सीट पर ही सम्भावना घडी जाए। इस बाबत चौ. राजेंद्र सिंह से बातचीत का कोई प्रयास सफल नहीं हो सका। जब भी संपर्क किया गया, बताया गया कि वे दिल्ली में हैं। यहां यह जान लेना जरूरी है कि चौ. राजेन्द्र सिंह बसपा में लम्बा समय गुजार चुके हैं। 1994 में लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड में वे बसपा सुप्रीमो मायावती के आक्रामक मददगार के रूप में उभरे थे और इसका उन्हें भरपूर राजनीतिक इनाम मिला था। बसपा में रहकर ही वे हरिद्वार जिले के पहले निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे और पार्टी जिलाध्यक्ष के बाद मंडल अध्यक्ष भी रहे थे। यह उन दिनों की बात है जब बसपा संगठन में भी गैर दलितों को प्रतिनिधित्व दिया करती थी। बसपा के टिकट पर ही वह 1998 में सहारनपुर संसदीय सीट पर लोकसभा चुनाव लड़े थे और सपा व भाजपा के दिग्गजों के बीच बेहद प्रभावशाली प्रदर्शन करने के बाद वापिस लौटे थे। एक बार वह दौर भी आया था जब चौ. राजेन्द्र सिंह को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा का गुर्जर चेहरा माना जाता था। फिर उन्होंने बसपा छोड़कर सपा का दामन थाम लिया था। यह आज भी स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने बसपा क्यों छोडी थी। बहरहाल, वे उन नेताओं में हैं जिन्होंने बसपा सुप्रीमो पर कभी कोई आरोप नहीं लगाया, कभी कोई सार्वजनिक आलोचना नहीं की। इसका उन्हें अब इनाम मिलने वाला है, ऐसा माना जा रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि संभवतः वे दिल्ली से सब तय करा कर ही वापिस रुड़की लौटें।

-इरफान अहमद,रुड़की

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