प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए बताया कि भारत ने एंटी सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण कर लिया है।
इसके साथ ही भारत दुनिया के ऐसा चौथा देश बन गया है, जिसके पास इस तरह की तकनीक है। भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन एंटी सैटेलाइट मिसाइल का सफलतापूर्ण परीक्षण कर चुके हैं।
भारत ने अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर की दूरी पर सैटलाइट को 3 मिनट में मार गिराया। इस अभियान को ‘मिशन शक्ति’ नाम दिया है। हालांकि रूस इस मामले में काफी आगे है और उसने पिछले साल 17 मिनट की उड़ान के दौरान 1864 मील की दूरी तय करके अपने टार्गेट को हिट किया। इसके अलावा चीन 856 और अमेरिका 500 किलोमीटर तक अपने दुश्मन को निशाना बनाने में समक्ष हैं।
कैसे करती है काम…
इसके तहत एक निश्चित दर पर हाईरेज छोड़ी जाती हैं, जो दिखाई नहीं देती हैं लेकिन यह बेहद घातक होती हैं। यह मिसाइल या किसी भी अत्याधुनिक जेट को पलभर में खाक कर देने में सहायक होती हैं। हालांकि रूस के पास पहले से ही कुछ लेजर हथियार हैं, लेकिन अब वह इनको और अधिक घातक बनाने पर काम कर रहा है। रूस PL-19 Nudol सिस्टम का भी 2018 में दो बार परीक्षण कर चुका है। इसको मोबाइल लॉन्चर से कहीं से भी लॉन्च किया जा सकता है। यह इस मिसाइल का सातवां परीक्षण था। कहा ये भी जा रहा है रूस के एंटी सेटेलाइट वेपन कम्यूनिकेशन और इमेजरी सेटेलाइट को निशाना बना सकते हैं।
क्या होता है एंटी सेटेलाइट वेपन
एंटी सेटेलाइट वेपन एक हथियार होता है जो किसी भी देश के सामरिक सैन्य उद्देश्यों के लिए उपग्रहों को निष्क्रिय करने या नष्ट करने के लिए डिजाइन किया जाता है। आजतक किसी भी युद्ध में इस तरह के हथियारों का उपयोग नहीं किया गया है। लेकिन, कई देश अंतरिक्ष में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन और अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को निर्बाध गति से जारी रखने के लिए इस तरह की मिसाइल सिस्टम को जरुरी मानते हैं।