बरेली- गत कुछ दिनों से बरेली में हो रहे घटनाक्रम से आप अवगत हैं कि किस प्रकार से धर्म को आधार बनाकर दो समुदायों को आपस में लड़ाने की घिनौनी कोशिश की गयी ?जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं, इस प्रकार के कृत्य अक्सर किये जाते रहे हैं।
धर्म को आधार इसलिए कहा क्योंकि दिन जुमे का ही तय किया जाता है? उस दिन लगभग सभी मुस्लिम नमाज अदा करते हैं और उनकी आड़ में कुछ उपद्रवी आसानी से अपनी मंशा को परवान चढ़ा पाते हैं और घटना को आसानी से साम्प्रादायिक रंग दे दिया जाता है। लेकिन अब मुस्लिम जागरुक हो चुके हैं और उपद्रवियों की मानसिकता को समझ चुके हैं। यह बात भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने पत्रकार वार्ता के दौरान साझा की। उन्होने कहा कि जबसे भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण संस्था द्वारा ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर सर्वे रिपोर्ट पेश की है जो स्पष्ट रुप से दर्शा रही है कि पूर्व में वहां मंदिर था और उसे तोड़कर मस्जिद बनायी गयी थी एवं मा. न्यायालय द्वारा व्यास तहखाने में पूजा-अर्चना हेतु हिंदू पक्ष को पुनः अनुमति दी गयी है तब से ही कुछ मौलाना लोग एवं उनके जैसी मानसिकता रखने वाले लोग देश का माहौल खराब करने की कोशिश में लगे हैं।
मौलाना तौकीर मा. न्यायालय के प्रति अपशब्दों का प्रयोग करते हैं, भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति अपमानजनक शब्द बोलते हैं… विधि द्वारा स्थापित राज्य के मुख्यमंत्री को आपत्ति भरे शब्दों से पुकारते हैं।
मौलाना तौकीर को न भारत के संविधान पर भरोसा है, न भारत की न्याय प्रणाली के प्रति आस्था है, उनका उद्देश्य तो सिर्फ देश-प्रदेश के माहौल को खराब करना व युवाओं को बरगला कर दंगे कराना है लेकिन उनकी इस मानसिकता को परवान नहीं चढ़ने दिया जायेगा।
यहां कुछ धर्मनिर्पेक्ष व्यक्तियों के नाम लेकर मैं उन्हें आपके माध्यम से धन्यवाद ज्ञापित करना चाहूंगा जो कट्टरपंथ से उठकर समाज की बात करते हैं जिनमे डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी- इलियासी ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन (AIIO) के प्रमुख है। इलियासी इस्लामी कानून के जानकार हैं। उनकी गिनती उन इस्लामी बुद्धिजीवियों में होती है जो उग्रवाद और आतंकवाद पर खुलकर बोलते हैं।
अयोध्या राम लला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने पर उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया जाता है, क्या मानसिकता है आप लोगो की ? सांस्कृतिक और सौहार्द के कार्यक्रम में शिरकत करना आप लोगों की नजर में गुनाह है।किसी को सजा सुनाना या उसके खिलाफ कोई फतवा जारी करना भारत के संविधान में कहा वर्णित हैं ?
भारत धर्मनिर्पेक्ष देश है कोई इस्मालिक देश नहीं जहां फतवा जारी किये जाते हो।
रसखान, रहीम खान, कबीर, खान अब्दुल गफ्फार खां, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डॉ. ए.पी.जे. अबुल कलाम आजाद सहित तमाम ऐसे महापुरुष है जिनको आदर्श मानकर शांति से देशहित में जीवन-यापन किया जा सकता है परंतु यदि आप औरंगजेब, बावर, गजनी, मीर कासिम, चंगेज खान इत्यादि आक्रांताओं को आदर्श मानेगें तो शांति की उम्मीद आपसे नहीं की जा सकती।
इसी तरह प्रो. इमरान हबीब- भारत के जाने माने मुस्लिम इतिहासकार है उन्हें यह कबूलने और कहने में कोई गुरेज नहीं है कि ज्ञानवापी में मंदिर को क्षतिग्रस्त कर मस्जिद बनायी गयी थी तो क्या वह सच्चे मुसलमान नहीं रहे?और इन सबके इतर अच्छा होता अगर मौलाना तौकीर जिस आला हजरत परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिनको आदर्श मानकर तमाम मुस्लिम भाई नेकी की राह पर चलकर अपना जीवनयापन कर रहे हैं, जिनको नवी-ए-हिंदुस्तान के नाम से भी जाना जाता है, उनके मंसूबे को आगे बढ़ाते, जिस प्रकार उन्होंने सदैव भारत वर्ष के लोगों को जोड़कर रखने का काम किया व अंग्रेजी हुकुमत के दौरान हमेशा हिंदू भाईयों को सहायता प्रदान की। तो आज आपका भी भारतीय समाज में एक अलग कद होता।
परंतु आप तो सदैव उनके विपरीत सिर्फ धर्म को आधार बनाकर लड़ाने की बात करते रहते हैं। यही नहीं मैं पहले भी कह चुका हूं कि भारत का बहूसंख्यक समाज बहुत सहिष्णु है वह संविधान और न्याय प्रणाली व्यवस्था के प्रति आस्था रखता है वरना वह बहूसंख्यक समाज भी आपकी हर क्रिया कि प्रतिक्रिया अच्छी तरह देना जानता है।
एक तरफ जहां भारत वर्ष जहां विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के द्वार पर खड़ा है और आप है कि लोगों को आपस में लड़ाकर देश में आंतरिक क्षति पहुंचाना चाहते हैं। यह भी तो देश द्रोह के समान कृत्य है।
मौलाना तौकीर ने अपने व्यान भारत के बहूसंख्यक समाज को हिंदू आतंकवादी कहकर संबोधित करते हैं, इस परिपेक्ष्य में मैं उनके संज्ञान में सिर्फ इतनी सी बात लाना चाहता हूं कि- हर मुसलमान आतंवादी नहीं होता परन्तु अधिकांश आतंकवादी मुसलमान ही क्यों होते हैं ?
राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर मेरे द्वारा नेतृत्व को अवगत करा दिया गया है। बरेली की फिजा को खराब करने में जिस किसी का भी हाथ होगा निश्चित ही उसे उसी भारत के संविधान के दायरे में लाकर उचित कानूनी कार्यवाही की जायेगी जिसको वह मानने से इन्कार कर है।