आजमगढ़ -लोकसभा चुनाव को देखते हुए जेल में निरुद्ध कई नेताओं और अपराधियों को दूसरी जेलों में शिफ्ट कराया जा सकता है। इनके पुरानी गतिविधियों को खंगालते हुए पुलिस सूची तैयार करा रही है। क्योंकि यह लोग जेल के भीतर रहते हुए बाहर आतंक मचाने में माहिर हैं। ऐसे में शक है कि कहीं इनके जरिए चुनाव में कोई बड़ा षड्यंत्र रचते हुए कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं। पुलिस के मुताबिक अब तक जिन लोगों का नाम दूसरी जेलों में शिफ्ट कराने के लिए शामिल किया गया है, उनमें शराब माफिया एवं पूर्व विधायक सुरेंद्र मिश्रा, कांग्रेस नेता एवं अधिवक्ता के हत्या के आरोपी पूर्व मंत्री अंगद यादव, एआईएमआईएम के पूर्व जिलाध्यक्ष कलीम जामई, मुबारकपुर और रौनापार में जहरीली शराब से हुई 86 लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार मुलायम यादव उर्फ सुरेंद्र, गनिका यादव सहित अन्य का नाम शामिल है। यह लोग अपने मजबूत राजनीतिक पकड़ का फायदा उठाते हुए अपना गोरखधंधा चला रहे थे। इसके अलावा शार्प शूटर और गैंग लीडरों में सचिन पांडेय, धर्मेंद्र पासी, वैभव उर्फ छोटू, दिनेश भाटी, श्यामबाबू पासी आदि का नाम शामिल है। पुलिस के मुताबिक यह सभी बदमाश सुपारी लेकर जेल के भीतर से ही किसी की भी हत्या कराने का षड्यंत्र रचने में माहिर हैं। एसपी ग्रामीण नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जेल में बंद जिन नेता और अपराधियों की वजह से चुनाव प्रभावित होने की आशंका है। उन्हें दूसरी जिलों में शिफ्ट कराया जाएगा। अपराधी और नेताओं का रिकार्ड खंगालते हुए सूची तैयार करवाई जा रही। पुलिस कप्तान प्रो0 त्रिवेणी सिंह ने भी मीडिया को बताया की इस सम्बन्ध में कार्यवाही की तैयारी चल रही है। जेल के भीतर रहते हुए अपराधियों ने कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिलवा दिया। घटनाओं पर गौर करें तो वर्ष 2013 में जेल के भीतर से ही ध्रुव कुमार सिंह कुंटू पर साजिश रचकर सगड़ी के पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू की हत्या करवाने का इल्जाम है ।
जेल के भीतर से ही जनवरी 2018 में बंदीरक्षक मानसिंह को गोली मार दी गई। सघन इलाज के बाद वह ठीक हो सका। जबकि अक्तूबर 2018 में अहरौला बाजार निवासी दुकानदार की हत्या करवा दी गई। जेल के भीतर से ही कई अपराधी लगातार फोन कर रंगदारी मांग रहे हैं। भयभीत कई लोग अभी भी उनके बताए हुए अड्डे पर रुपये पहुंचाकर आ रहे हैं। जेल में निरुद्ध अपराधी धड़ल्ले से मोबाइल चला रहे हैं। इसका सबूत जेल के भीतर मना दीपावली के जश्न के समय की भेजी गई तस्वीरें रही। यह मामला उजागर होने पर आईजी जेल प्रकाश चंद्र ने डीआईजी जेल गोरखपुर रेंज से जांच कर रिपोर्ट मांगा। काफी प्रयास के बाद डीआईजी ने अपनी जांच पूरी कर कार्रवाई के लिए फाइल और रिपोर्ट आईजी जेल के यहां भेज दिया। वर्ष 2018 के अंत में भेजी गई रिपोर्ट पर अब तक अमल नहीं हो सका। आईजी जेल ने बताया कि फाइल डीआईजी जेल के यहां से आ गई है। कार्रवाई बाकी है।
रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़