गुब्बारों पर निशाना लगाते-लगाते नेशनल शूटर बन गए विशु

शाहजहांपुर -शाहजहांपुर शहर के बहादुरगंज में पतली सी गली में एक मकान है। इस मकान के मुख्य दरवाजे पर विनोद गुप्ता कुर्सी डाल कर बैठते हैं। अंदर लोहे के तमाम पाट् र्स बिकते हैं। विनोद गुप्ता अपने बच्चों के साथ घर की छत पर रस्सी में गुब्बारे बांध कर निशाना लगाया करते थे। उनके बड़े बेटे विशु को यह शौक ऐसा चढ़ा कि उसने इसे अपना कैरियर ही बना लिया और वह नेशनल शूटर बन गया। विशु के निशानेबाजी के शौक को तो उनके पिता भूल भी गए थे, पर जब विदेश से पढ़ाई कर लौटे विशु ने व्यापार के बजाए निशानेबाजी को कैरियर बनाने के लिए अपने पिता से राय ली तो उनका बहुत विरोध हुआ। तीन साल तक विशु अपने निशानेबाजी के कैरियर और व्यापार में से क्या करें, इस पर विचार करते रहे। पर एक दिन विशु ने निशानेबाजी को ही कैरियर बनाने का निर्णय लिया।
2017 में मेरठ में हुई शूटिंग चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने के लिए विशु निकले। वहां जाकर एक एयर राइफल किराये पर ली। 50 दिन के कड़े अभ्यास के बाद विशु ने पहली बार में गोल्ड मेडल हासिल कर लिया। इसके बाद से उनका आत्मविश्वास और बढ़ गया। अब बस उसकी नजरों के सामने टारगेट और हाथ में एयर राइफल थी। जीत का सिलसिला कायम रखते हुए विशु ने राजस्थान में 2018 में हुई करणी सिंह मेमोरियल शूटिंग चैम्पियनशिप में तीन गोल्ड हासिल किए। मेरठ में हुई यूपी प्री स्टेट में सोना जीतकर एक और उपलब्धि हासिल की। इसके बाद उत्तराखंड में सिल्वर और नोएडा में गोल्ड जीता। फिर 11 स्टेट की नार्थ जोन चैम्पियनशिप पड़ाव पार कर विशु ने नेशनल खिलाड़ी के तौर पर अपने आप को स्थापित किया। अब विशु नेशनल टीम में जगह बनाने के लिए अभ्यास कर रहे हैं।
विशु के लिए उनके भाई सनी और पिता विनोद ने मिलकर घर में ही दस मीटर का साउंड प्रूफ शूटिंग रेंज बनाया है, जिसमें सेंसर टारगेट लगा है।29 साल की उम्र के विशु ने 2011-12 में किंगफिशर एयरलाइंस में भी नौकरी की थी।विशु गुता ने अलग-अलग यूनीवर्सिटी से इंटरनेशनल मैनेजमेंट की पढ़ाई की। इटली के बाद उन्होंने एक कोर्स ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी से भी किया।

अंकित कुमार शर्मा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *