बरेली। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच लोग अब फिर दोबारा से रोडवेज बसों मे सफर से परहेज करने लगे है। रोडवेज बसों में यात्रियों की संख्या कम हो गई है। रुहेलखंड डिपो को पिछले महीने से हर रोज करीब तीन लाख रुपये का घाटा हो रहा है। पहले की अपेक्षा रोडवेज बसों का संचालन भी प्रभावित हुआ है। इसका असर डिपो की आमदनी पर देखने को मिल रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले साल प्रदेश में लगे लॉकडाउन के दौरान रोडवेज बस सेवा को जितना नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई अब तक नही हो पा रही है और अब एकाध रूट को छोड़कर बाकी सभी रूटों पर बसें चल रही हैं लेकिन अभी तक रोडवेज की आमदनी पटरी पर नहीं आई है। एक हिसाब से रोडवेज को हर रोज तीन से चार लाख रूपये का घाटा पड़ रहा है। रोडवेज के आला अधिकारियों का कहना है कि कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुये सरकार ने लॉकडाउन लगाया है, जिसकी वजह से जरूरी काम से ही यात्री सफर कर रहे है। अब सरकार ने 30 प्रतिशत यात्री बैठाने के ही निर्देश दिये है। स्टेशन इंचार्ज का कहना है कि देवरिया, गोरखपुर, बस्ती व प्रयागराज दिशा की ओर के यात्री अधिक मिल रहे है, इसके अलावा अन्य रूटों पर यात्रियों की संख्या न के बराबर है। दिल्ली रूट पर जाने वाली बसों में यात्री न मिल पाने की वजह से इस रूट पर जाने वाली बसों की संख्या काफी कम कर दी गई है। जबकि इस रूट पर रामपुर मिलक व मुरादाबाद, हापुड़ के लिये सवारी मिलती है। इसलिए अधिकांश परिचालक यही से बस को वापस ले आते है। रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी का कहना है कि कोरोना संक्रमण का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। जिसके चलते काफी जरूरी काम से ही यात्री सफर कर रहा है। यात्रियों की संख्या को देखते हुये बसों का संचालन किया जा रहा है। किसी किसी रूट पर तो बस का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है।।
बरेली से कपिल यादव