फतेहगंज पश्चिमी, बरेली। कस्बा एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में आजकल झोलाछाप चिकित्सकों की चांदी कट रही है। सर्दी, जुकाम, बुखार एवं कोल्ड डायरिया से परेशान लोग विशेषकर छोटे बच्चों के माता-पिता व अभिभावक इन चिकित्सकों के द्वारा खूब ठगे जा रहे हैं। चिकित्सक ऐसे मरीजों से कोरोना वायरस का भय दिखाकर मनमाना पैसा वसूल रहे हैं। स्थानीय चट्टी पर ही बड़े-बड़े आकर्षक साइन बोर्ड लगाकर ऐसे चिकित्सक बैठे हैं, जिनके पास न तो कोई डिग्री डिप्लोमा है और न ही पंजीयन। कोरोना संक्रमण की दहशत के चलते सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की ओपीडी बंद हो गई है। इस कारण इन दोनों झोलाछाप डॉक्टरों की चांदी आ गई है। कस्बा एवं आसपास क्षेत्रों में झोलाछाप की दुकानें धड़ल्ले से चल रही हैं। स्टाफ की कमी या लापरवाही के चलते इन झोलाछाप की दुकानों पर छापामार कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस बाबत सीएमओ व उनका पूरा स्टाफ कोरोना वायरस को लेकर व्यस्त होने का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण को लेकर लगाए गए लॉकडाउन में सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों ने बंद कर रखी है। जिसके बाद से ही छोटी-छोटी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का इलाज लोगों के लिए काफी मुश्किल हो गया है। ऐसे में झोलाछाप डॉक्टरों की चांदी आ गई है झोलाछाप डॉक्टरों के लिए वरुण अकाल किसी तैयार से कम साबित नहीं हो रहा है इलाज ना मिलने के कारण लोगों को मजबूर होकर झोलाछाप डॉक्टरों के पास भी दौड़ना पड़ रहा है जहां झोलाछाप मामूली मर्ज की दवा के मनमाने पैसे भी ले रहे हैं यही नहीं झोलाछाप डॉक्टरों ने मेडिकल संचालकों से भी सेटिंग कर अपने प्रतिशत में इजाफा कर दिया है इन झोलाछाप पर कार्रवाई करने वाले सीएमओ विनीत शुक्ला और उनकी टीम कोरोना संक्रमण को लेकर व्यस्त होने का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं जबकि इसको लेकर हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के पास पांच से छह शिकायतें भी पहुंच गई है। कार्रवाई ना होने से बेखौफ झोलाछाप पूरी तरह से अपनी मनमर्जी पर उतरे हुए है। यही हाल क्षेत्र में मेडिकल स्टोरों का है मेडिकल स्टोर मालिक अपने को किसी चिकित्सक से कम नहीं समझते और मरीजों को अपनी दुकान से ही दवा देकर घर भेज दे देते हैं। क्षेत्र के प्रबुद्ध जनों ने इसके तरफ जिला प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है।।
बरेली से कपिल यादव