सातवें दिवस सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष, होली महोत्सव के साथ भागवत विश्राम
आज शनिवार को हवन, कलश विसर्जन एवं भंडारे के साथ अनुष्ठान का होगा विश्राम
बरेली। श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता से सीखने योग्य शाश्वत सबक सह है कि सुदामा और कृष्ण की मित्रता निस्वार्थता, ईमानदारी, और सच्ची दोस्ती का उदाहरण हैं। इस मित्रता से हमें यह सीखना चाहिए कि दोस्ती में स्वार्थ नहीं होता, बल्कि निस्वार्थ प्रेम और आपसी सम्मान होता है। यह विचार कृ ष्णानगर कालोनी, दुर्गानगर में आयोजित नव कुण्डीय सहस्त्रचंडी महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए कथाव्यास आचार्य रमाकान्त दीक्षित ने व्यक्त किये। कथा के विश्राम दिवस पर आचार्य रमाकांत दीक्षित ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष, होली महोत्सव, भागवत विश्राम आदि प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया। कथा व्यास ने कहा कि सुदामा जितेंद्रिय एवं भगवान कृष्ण के परम मित्र थे। भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। गरीबी के बावजूद भी हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते। पत्नी सुशीला सुदामा जी से बार बार आग्रह करती कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश है। उनसे जाकर मिलो शायद वह हमारी मदद कर दें। सुदामा पत्नी के कहने पर द्वारका पहुंचते हैं और जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है। कृष्ण यह सुनकर नंगे पैर दौङकर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते हैं। उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से आसुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सुदामा जी को सिंघासन पर बैठाकर कृष्ण सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामा जी से आशीर्वाद लेती हैं।
सुदामा विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं लेकिन सुदामा जी अपनी फूंस की बनी कुटिया में रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं। इस लिए कहा गया है कि जब जब भक्तों पर विपदा आई है प्रभु उनका तारण करने जरुर आए हैं। अगले प्रसंग में शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई, जिससे उनके मन से मृत्यु का भय निकल गया। तक्षक नाग आता है और राजा परीक्षित को डस लेता है। राजा परीक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते है। कथा के यजमान द्वारा भागवत एवं ब्यास जी का पूजन किया गया तदोपरांत उपरांत फूलो की होली खेली गई जिसमे राधा कृष्ण के स्वरुप की भव्य झांकी भक्तो का मन मोह रही थी सभी भक्त नृत्य कर रहे थे कथा के यजमान अरविन्द अग्रवाल ने सबका आभार प्रकट किया। आज बिरज में होरी रे रसिया मेरा खो गया बाजूबंद आदि भजनों पर भक्तों ने नृत्य किया।
मीडिया प्रभारी एड्वोकेट हर्ष कुमार अग्रवाल व व्यवस्थापक अजय राज शर्मा ने बताया कि कृष्णानगर कालोनी, दुर्गानगर में आयोजित नव कुण्डीय सहस्त्रचंडी महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत कथा कार्यक्रम का शनिवार सुबह 10 बजे पूर्णाहूति 11 बजे कन्या भोज के साथ विश्राम होगा तदोपरांत विशाल भण्डारे शुरू होगा। शुक्रवार को नव कुण्डीय सहस्त्र चंडी महायज्ञ में साधकों ने याज्ञाचार्य नीलेश मिश्रा के सानिध्य में राष्ट्र व समाज के मंगल की कामना करते हुए आहुतियां दी। इस दौरान बनारस, हरिद्वार वृंदावन, मध्य प्रदेश, आदि स्थानों से पधारे 51 ब्राहाम्ण, डांडी स्वामी, संत महात्मा आदि मौजूद रहे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि राज्य महिला आयोग सदस्या पुष्पा पांडेय, कैंट विधायक संजीव अग्रवाल, आईएमए प्रदेश अध्यक्ष डॉ रवीश अग्रवाल, अमित पांडेय, भाजपा जिलाध्यक्ष सोमपाल शर्मा, डॉ एम एम अग्रवाल, मुकुल मिश्रा, राजीव शर्मा, लवलीन कपूर, पवन सक्सेना, रतन शर्मा, आशु अग्रवाल, अमित भारद्वाज, तुलसीराम शर्मा, पृथु वात्सयन, भुवनेश अग्रवाल, संतोष शर्मा, विजय शर्मा, अनिल मुनि, अरविन्द मिश्रा, श्रीकांत दीक्षित, दीपेश अग्रवाल, यश अग्रवाल, अनूप अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, विष्णु शुक्ला, देव दीक्षित, अनुराग अवस्थी, प्रवीण अग्रवाल विवेक मित्तल, छाया दीक्षित, संजय शर्मा, डॉ मनोज मिश्रा आदि उपस्थित रहे।
