बरेली। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह प्रस्तावना को लेकर कानून मंत्रालय द्वारा बदलाव कर संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्द हटाए जाने को लेकर कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया। शनिवार को कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को देते हुए बताया कि कानून मंत्रालय द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में दुर्भावनापूर्ण बदलाव कर संविधान की प्रस्तावना की प्रति बांटी जबकि इसको भारतीय संविधान का हृदय और आत्मा माना जाता है। इसकी मूल संरचना मे बदलाव नही किया जा सकता है। आपको अवगत कराना है कि साल 2008 में कोलकाता के एक एनजीओ गुड गवर्नेस फाउंडेशन ने प्रस्तावना से समाजवादी शब्द हटाने से जुड़ी एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। कोर्ट ने इस अर्जी को ये कहते हुये खारिज कर दिया था कि समाजवाद शब्द का अर्थ नागरिकों के लिए कल्याणकारी उपाय है। साल 2021 मे बीजेपी सांसद केजे अल्फोंस ने राज्यसभा में प्राइवेट मेम्बर बिल लाकर प्रस्तावना से समाजवादी शब्द हटाने का प्रस्ताव पेश किया था। वही साल 2020 मे बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने भी ऐसी ही मांग करते हुए राज्यसभा मे एक प्रस्ताव पेश किया था। नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह में कानून मंत्रालय द्वारा फिर से संविधान की प्रस्तावना की ऐसी ही प्रति दुर्भावनापूर्ण वितरित की गई जिसमें सोशलिस्ट और सेक्युलर शब्द नहीं है। कानूनमंत्री अर्जुन राम मेघवाल का ये कृत्य संविधान विरोधी है।।
बरेली से कपिल यादव