उन्नाव रेप पीड़िता और उनके वकील की हालत गंभीर

लखनऊ- उन्नाव रेप पीड़िता और उनके वकील की स्थिति करीब 4 दिन बाद भी गंभीर बनी हुई है लेकिन उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक बीते तीन दिनों में लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर के तीसरे तल पर स्थित ट्रामा वेंटिलेटरी यूनिट के आईसीयू में उनकी हालत में किसी तरह की गिरावट नहीं आई है, जिसे एक अच्छा संकेत समझा जा सकता है। मेडिकल भाषा में कहें तो दोनों की स्थिति स्थिर बनी हुई है लेकिन चौथे दिन भी दोनों मरीज़ों में किसी को होश नहीं आया है।
वैसे बुधवार को उन्नाव रेप पीड़िता और उनके वकील, दोनों की स्थिति में मामूली सुधार भी देखा गया. पर अभी भी ये नहीं कहा जा सकता कि उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है। इसकी वजह बताते हुए डिपार्टमेंट ऑफ़ ट्रॉमा सर्जरी के प्रमुख डॉ. संदीप तिवारी बताते हैं कि कोई भी सुधार 24 घंटे से 48 घंटे तक कायम रहता है, तभी उसे चिकित्सीय टर्म में सुधार माना जाता है। हम लोग लगातार कोशिश कर रहे हैं। अभी की स्थिति में दोनों की हालत को गंभीर ही माना जाएगा।
मंगलवार को भी थोड़े समय तक के लिए उन्नाव रेप पीड़िता के वकील को थोड़ी देर के लिए वेंटिलेटर से हटाया गया था लेकिन फिर उन्हें तुरंत वेंटिलेटर पर लाना पड़ा था। ऐसे में ज़ाहिर है कि उन्नाव रेप पीड़िता और वकील, दोनों के लिए अगले 24 से 48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण हैं। हालांकि रेप पीड़िता और उनके वकील दोनों जिस हालत में किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लाए गए थे और वहां से अब तक उनकी स्थिति का स्थिर होने को भी चमत्कार की तरह देखा जा रहा है।
इन दोनों का शुरुआती इलाज करने वाले डॉक्टरों में शामिल एक चिकित्सक के मुताबिक डिज़ायर कार की 12 चक्के वाले ट्रक से सीधी टक्कर से आप दुर्घटना का अंदाज़ा लगा सकते हैं। हम लोगों के पास रायबरेली से जानकारी मिली थी कि तीन मरीज़ लाए जा रहे हैं। एक की मौत वहीं हो चुकी थी। एक महिला ने हम लोगों तक पहुंचने के क्रम में दम तोड़ दिया था। परन्तु ये दो लोग जीवित थे। मतलब ये भी कह सकते हैं कि समय रहते वे सही जगह तक पहुंच गए थे। हमें तो अंदाज़ा भी नहीं था कि ये इतना हाई प्रोफाइल केस है।
उन्होंने कहा कि ऐसे भीषण हादसों में जैसी स्थिति रहती है, वही स्थिति थी। काफी गंभीर चोटें थीं, उसको पॉली ट्रॉमा कहते हैं। कई हड्डियां टूटी हुई थीं, उसमें खपच्ची लगाकर सीधा करके खून बहने की स्थिति को रोकने में हम लोग जुट गए थे। सिर में भी बाहर से चोट थी। दोनों बेहोश थे। दोनों को प्रॉपर स्पोर्ट सिस्टम दिया गया।
इतना कुछ होते होते उन्नाव रेप पीड़िता और उनके वकील के साथ हुए हादसे की ख़बरें लगातार टीवी चैनलों पर दिखाई जाने लगीं। ट्रॉमा सेंटर ने भी इन दोनों मरीज़ों को अपने आईसीयू में स्थानांतरित किया। तबसे डॉक्टरों की एक टीम लगातार इन दोनों की स्थिति पर नज़र बनाए हुए है।
डॉ. संदीप तिवारी बताते हैं कि दोनों ही मरीजों को वही अत्याधुनिक इलाज मिल रहा है, जो दुनिया के किसी भी उन्नत मेडिकल कॉलेज में मिल सकता है। हमारा इलाज सही दिशा में चल रहा है। वैसे भी किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज का ट्रॉमा सेंटर अत्याधुनिक सुविधाओं और डॉक्टरों की वजह से जाना जाता रहा है। इस मामले की राजनीतिक तौर पर संवेदनशीलता को देखते हुए भी सेंटर हर मुमकिन कोशिश कर रहा है।
ऐसे मामलों में ज़्यादातर क्या होने की उम्मीद होती है, इस बारे में संदीप तिवारी कहते हैं कि ऐसी स्थिति में कई बार मरीज़ों को दो-तीन दिन बाद भी होश आ जाता है। कई बार कई सप्ताह भी लगते हैं। आगे क्या होगा, इसका अंदाज़ा लगाना बेहद मुश्किल है।
रायबरेली में 28 जुलाई के शाम में ट्रक और कार की भीषण टक्कर के बाद से अब तक उन्नाव रेप पीड़िता और उनके वकील ने बेहोशी में जिस तरह का संघर्ष दिखाया है, उसके बारे में डॉक्टरों का क्या मानना है? इस बारे में इलाज में शामिल एक डॉक्टर ने बताया कि ऐसे हादसों में बॉडी की फिजियोलॉजी अहम भूमिका निभाती है, जिसको आम भाषा में कहते हैं कि ये आदमी झेल जाएगा, मज़बूत दिल वाला आदमी है या मज़बूत शरीर वाला। तो ये दोनों अभी युवा हैं, उनकी फिजियोलॉजी ने इनका साथ दिया है इसलिए इनके शरीर ने संघर्ष दिखाया है। बच्चे या फिर अधिक उम्र के लोगों का ऐसे हादसों में बचना मुश्किल होता है।
वैसे डॉक्टरों की पूरी कोशिश दोनों को होश में लाने की है और इसके बाद भी इनके शरीर में लगे चोटों को पूरी तरह आकलन संभव होगा। एक डॉक्टर बताते हैं, “ट्रॉमा सेंटर में जो मरीज़ लाए जाते हैं, उनमें तो सभी तरह का टेस्ट कर पाना संभव नहीं होता है, एकदम ज़रूरी टेस्ट ही होते हैं इसलिए शरीर को कितनी चोट पहुंची है और उसका क्या असर हो सकता है, इसका पूरी तरह आंकलन अभी संभव नहीं है।
डॉक्टरों का ये भी मानना है कि ऐसे सड़क हादसों में कुछ चोटें बाद में भी उभर कर सामने आती हैं, इसलिए पूर्वानुमान लगाना किसी के लिए भी संभव नहीं है। वैसे किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने पहले दिन से ही मरीज के परिवार वालों को इस बात का विकल्प दे रखा है कि वे चाहें तो मरीजों को एयर एंबुलेंस से दिल्ली या मुंबई ले जाना चाहें तो ले जा सकते हैं।
दोनों का इलाज कर रही टीम के एक सदस्य ने बताया कि ये तो हर मामले में होता ही है, परिवार के सामने ये विकल्प होता ही है। अभी तक परिवार की तरफ से उसकी कोई व्यवस्था नहीं हुई है और ना ही सरकार की तरफ़ से लेकिन हमारे यहां भी दोनों को बेहतरीन चिकित्सीय सुविधा मुहैया कराई जा रही है।

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