उत्तराखंड/पौड़ी: काेई सुनेगा ग्राम राैता में सुविधाओं का अभाव या खुला भ्रष्टाचार

*चिकित्सालय : 12 किमी बस से थलिसैंन जहाँ डॉक्टर नहीं जो पौड़ी के बाद सबसे बड़ा अस्पताल बताया जाता है पर कोई सुनने वाला नहीं

उत्तराखंड जनपद पाैडी गढ़वाल के विकासखंड थलीसैण के एक गाँव जिसके ज्वलंत मुद्दे आज *अंतिम विकल्प न्यूज पोर्टल* आपके साथ शेयर कर रहा है।
ग्राम राैता जहां स्कूल गाँव के पास प्राथमिक विद्यालय लेकिन इंटर कॉलेज पाँच किलाेमीटर दूर गंगाऊ इंटर कॉलेज जाना पड़ता है जो कि नदी पार करके जाना होता हैँ आैर बरसात में लगभग १-२महीना न के बराबर बच्चे पहुँचते हैं शिक्षा लेने क्योंकि न ही बाडी है और न ही पुल

कभी राैता भी गुलजार रहता था आज पलायन का दंश झेल रहा है गाँव में उत्तराखंड बनने पर 29 से ज़्यादा परिवार रहते थे जबकि आज इस गाँव में केवल आठ परिवार रह चुके हैं जिनमें चार परिवार के केवल बुज़ुर्ग हैं जिन्हे ये भी पता नहीं कि सरकार क्या करती है क्या करवाती है।
युवा शक्ति विहीन हाे गया राैता:-
गाँव की ज़मीन सबसे उपजाऊ है लेकिन पानी न होने से व युवाओं के न होने से सारी बंजर है। राज्य बनने के बाद 7०% पलायन ज़्यादा हुआ क्योंकि कोई सुविधा नहीं है यहाँ। इस गाँव के ग्राम सभा प्रधान पिछले चार साल से गाँव में आये ही नहीं। विकास एेसे ही हुये है जैसे चित्र में दिखाई दे रहा है।

गाँव वासियाें के लिए पानी की बहुत कमी है दूर गधेरो में पानी लाना पडता है इसके लिए गाँव वालाे द्वारा थलीसैण ब्लाक में प्रार्थना पत्र देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। गाँव के ही सामाजिक कार्यकर्ता इतेश रतूडी का कहना है कि गाँव के लोग मजबूरी में पलायन कर रहे है क्योंकि कोई अधिकारी कभी नहीं आया और गाँव की यह दुर्दशा हाे गई।
एक रोड आयी भी तो मैन सड़क से डेड कि मीटर दूरआना पड़ता है वाे भी गाड़ी बुक करके बुकिंग के लिए भी गाडी बाहर से मंगानी पडती है इससे गाँव के बुज़ुर्ग बड़ी बुरी हालत में हैं अभी दाे परिवार जल्दी ही गाँव से पलायन करने वाली है। उत्तराखंड में पलायन का मुख्य कारण मूलभूत सुविधाओं का न होना ही है ।जल -जीने के लिए अति आवश्यक, कई गाँव में पीने को पानी नहीं ।ऐसे ही एक गाँव – रौता, ग्राम पंचायत पितरसेन,थलिसैंन ब्लाक, पौड़ी गढ़वाल,गाँव लगभग ख़ाली हो चुका है ।

*अब कुछ ही परिवार हैं गाँव में । उनको भी कोई सुबिधा नहीं।
*गाँव सबसे उपजाऊ ज़मीन होने के बावजूद सारे खेत बंजर।
*सरकारी ख़र्चे काग़ज़ों में, लेकिन गाँव में एक भी काम नहीं हुआ।
*सम्बंधित अधिकारी या BDO एक दिन भी गाँव नहीं आये
हाँ ये ज़रूर है कि भ्रष्टाचार में सहमति होगी, फ़ोटो के माध्यम से आप सब जान लोगे (example)।जल ही जीवन है, यह परिभाषित नहीं होता दिखता। हाँ सरकारी फ़ाइलो में सभी कुछ ठीक है यह दर्ज होगा जो की सिर्फ़ खानापूर्ति है । एक भी अधिकारी किसी गाँव भ्रमण पर नहीं आता,गाँव में जल समस्या गम्भीर रूप लेकर लोगों को पलायन के लिए मजबूर करती है ।स्थानीय जन प्रतिनिधि का कुछ भी ध्यान नहीं गाँव की ओर ।दुख का विषय कि सरकार बजट देने के बावजूद स्थानीय अधिकारी गाँव में कुछ नहीं देखते / काम नहीं होता।

– पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट

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