उत्तराखंड! गढ़वाल विश्वविद्यालय छात्र संगठन आइसा का लाइब्रेरी भरो आन्दोलन..

पौड़ी गढ़वाल- उत्तराखंड जनपद पाैडी गढ़वाल के गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर में छात्र संगठन आइसा द्वारा लाइब्रेरी भरो आन्दोलन चलाया जा रहा है।
छात्र संगठन आइसा द्वारा इस आन्दोलन काे फरवरी से चलाया जा रहा है। पहले चरण में प्रशासन से बातचीत की। दुसरे चरण में हंस्ताक्षर अभियान चलाया जिसमे 1700 बच्चो ने समर्थन दिया था। और जब प्रशासन केवल लिखित आदेश दे रहा था और जमीन पर कुछ हुआ नही तो 4 अप्रैल से “पुस्तकालय भरो आन्दोलन” शुरू किया। जिसमे लाइब्रेरी में जा कर केवल पढ़ना था। कोइ हल्ला नही कोइ हुड़दंगई नही।

●आज से आप अपनी किताबें लाइब्रेरी के अंदर ले जा सकते है।
●लाइब्रेरी आज सुबह से 8am-8pm से शुरू होगी।
●किताबें अब किसी भी कार्यदिवस पर ली(issue) की जा सकती है।
●5 नये अख़बार आज से शुरू हो गये है।

गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्र संगठन आइसा(AISA) ने पुस्तकालय को बेहतर बनाने और विवि में शैक्षणिक माहौल बनाने के लिए लाइब्रेरी भरो आन्दोलन शुरू किया है। आन्दोलन शांतिपूर्ण रहा। छात्रों ने लाइब्रेरी में पढ़ा भी और प्रतिरोध के नये शांतिपूर्ण तरीके को भी इजाद किया। अख़बार, मैगजीन और किताबों की कमी के कारण छात्रों ने निर्णय किया कि वो आज अपनी किताबें अंदर ले जायेंगे और ले भी गये। जिसकी आज लिखित रूप में अनुमति भी पुस्तकालय अध्यक्ष ने दे दी है। लाइब्रेरी में जगह की कमी और कुर्सियों की खराब हालत ने छात्रों को जमीन पर बैठने के लिए मजबूर किया लेकिन जमीन पर बैठ कर भी सब पढ़ रहे थे और प्रतिरोध भी दर्ज कर रहे थे। जिससे जमीन पर बैठना भी प्रतिरोध का एक रूप बन गया।
आन्दोलन के दूसरे हिस्से में 10 am-5pm तक खुलने वाले पुस्तकालय को 8pm तक खोलने के लिए 4pm-8pm तक लाइब्रेरी में बैठने का निर्णय लिया। छात्र छात्राओं के आन्दोलन की ही सफलता थी कि जो लाइब्रेरी 5 बजे बंद हो जाती थी उसमे 8 बजे तक 50 से ज्यादा छात्र पढ़ भी रहे थे और समय सीमा बढ़ाने की माँग के लिए प्रतिरोध भी दर्ज कर रहे थे। आन्दोलन का ही दबाव था कि लाइट बंद कर देने के बावजूद भी छात्रों को लाइब्रेरी के अंदर देख कर पूरा प्रशासन लाइब्रेरी के भीतर था और आइसा छात्र संगठन की माँग के अनुरुप सुबह से लाइब्रेरी 8am-8pm खोलने पर कुलसचिव, DSW और पुस्तकालय अध्यक्ष ने सहमति दे दी है।
आन्दोलन की ये जीत सबके साथ और संघर्ष से हुई है लेकिन ये आन्दोलन तब तक खत्म नही होगा जब तक वे सब माँगे पुरी नही हो जाती जिन सब के लिए संघर्ष किया जा रहा है ।
संघर्ष से हासिल यह जीत तभी सफल मानी जायेगी। जब आप इस जीत का लाभ उठायेंगे और लाइब्रेरी के भीतर होंगे।

साभार : शिवानी पांडे

इंद्रजीत सिंह असवाल

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