उत्तराखंड/पौड़ी गढ़वाल- खतलिगं महादेव टिहरी जनपद के भिलंगना घाटी में चीन कि सीमा पर बिराजमान यह ग्लेशियर भगवान शिव के पांचवें धाम के रुप में जाना जाता है। कहा जाता है इस पावन स्थल पर अर्जुन के शिव कि तपस्या की और वरदान स्वरूप इन सुरभ्य हिमानियो में भक्तों को सदैव दर्शन देने का वरदान पाया। इस खतलिगं ग्लेशियर में स्फटिक लिंग जो ग्रेनाइट धातु से बना है जिस पर वर्फ नही टिकती जिसे महादेव का आत्म लिंग कहा जाता है।
स्वर्गीय श्री इन्द्रमणि बडोनि ने ८० के दशक में इस पावन जगह की यात्रा पांचवें धाम के रूप में शुरू की थी ।सात दिवसीय यह यात्रा में अनेको रमणीय स्थलो जिसमें गंगी गांव, माँ रुद्रा देवी का पावन स्थल,खरसोली में माँ भगवती का मन्दिर, रुद्रा फाल, सुरेन्द्र गुफा, हनुमान शिला, इन्द्रमणि पर्वत इत्यादि से होती हुई पुनः रघुनाथ जी घुत्तू में समाप्त होती है।
परन्तु श्रदेय इन्द्रमणि बडोनि जी के स्वर्गवास होने के पश्चात् यह यात्रा सिर्फ घुत्तू तक एक राजनीतिक मेले के रूप में सिमट गई थी जिसमें सिर्फ बाहर से टीम बुलाकर नाच गानों में स्थानीय समिति संतुष्ट हो जाती थी।
परन्तु बिगत चार वर्षों से दिल्ली में पर्वतीय लोक विकास समिति ने युवाओं को एकत्रित करके यह यात्रा दिल्ली से सहश्रताल, खतलिगं तक पहुंचाई।
-पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट