उत्तराखंड-उत्तराखंड में सरकारी योजनाओं की कमी नही पर सत्यता देखने पर धरातल पर सब धराशायी है।सरकार द्वारा महिलाओं के हित में संचालित कई महत्वाकांक्षी योजनाएँ बनी है परंतु धरातल पर नही। युवाओं के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की महत्वाकांक्षी स्वरोजगार योजनाएँ बनी है परंतु इसका लाभ केवल बडे लाेगाे या नेताओं के चमचाें या रिश्तेदारों काे मिलता है आम या गरीब बेरोजगार युवा वर्ग को नही।
पलायन की वजह शायद पहाड़ में ये भी है पहाड़ का युवा वर्ग बाहर अन्य क्षेत्रों में दूसरे की नाैकरी कर रहा है बडी बडी कंपनियों में पहाडी युवा आज काम कर रहा है शादी हाेते ही दुल्हन चाहती है कि उसका पति गांव में न रहे चाहे वह गांव में कितना भी कमाता हाे उसके बाद बच्चे पढाने के नाम पूरी तरह शहरी करण हाे जाता है। लडके की फाैज में या अन्य किसी विभाग में सरकारी नाैकरी लग गई समझाे कुछ समय में पूरा परिवार ही पलायन कर जायेगा। अब सरकार कहती है कि घर वापसी कराे घाैर आवा अपडा गाैं का खातिर कुछ करा।
युवाओं काे सरकार बाेल रही है कि हम आपके लिए स्वरोजगार योजनाएँ निकाल रहे हैं या निकाल रखें है उनसे स्वरोजगार कराे परंतु जब स्वरोजगार योजना का लाभ लेने हम वित्तीय संस्थाओं में पहुचते है ताे वहां के अधिकारी सीधे मुँह बात करने काे राजी नहीं हाेते लाेन देने की बात ताे बहुत बड़ी है।
अब भाजपा सरकार कहेगी कि हमने कई याेजना बना रखी है परंतु सरकार की सारी योजनाएँ बैंकाें के रास्ते आती है इस बारे में आपकाे पूरी जानकारी दे रहा है हमने जो महसूस किया उसी काे बताने का प्रयत्न है।
विगत वर्ष पहले जब माननीय मुख्यमंत्री महोदय उत्तराखंड ने कहा कि घाैर आवा अपडा गाैं का वास्ता कुछ करा ताे हमने भी साेचा कि जब सरकार भी कह रही है ताे चलाे गाँव वहीं अपने गाँव में ही छाेटा माेटा उद्यम कर लेगें इसी उद्देश्य से हमने पहले माननीय मुख्यमंत्री काे पत्र लिखा। जिसके उत्तर में वहां से रास्ता मिला आैर हमने खादी उद्योग से आवेदन किया हमने खादी उद्योग से इंटरव्यू पास करके बैंकों की शरण में गये। बैंकों ने जाे कहा वह सुनकर हम मायूस हाे गये सबसे पहले हम उत्तराखंड ग्रामीण बैंक सतपुली में गये।ताे मैनेजर का कहना था कि पहाड़ में कुछ नही चल सकता इसलिए हम पहाड़ में पहाड़ियों पर जाेखिम नही ले सकते। हम आैर बैंकों में पूछा सभी लगभग एक जैसा ही जबाब मिल रहा था फिर एक भाई साहब दीपक ढाैडियाल ने कहा कि हम जयरीखाल भारतीय स्टेट बैंक में मैनेजर श्रीकांत नाैगाई से मिलें। हमने कहा कि बैंक न कह रहे हैं परंतु दीपक ढाैडियाल ने कहा कि उनका लाेन एक कराेड का हुआ है। हम तुरंत जयरीखाल मैनेजर साहब से मिले उन्होंने बहुत अच्छा बर्ताव किया आैर हमसे कहा कि हम डाकुमेंटस तैयार करें हमने जाे डाकुमेंटस बैंक काे दिये वह है ।
पाँच साल की ITR,जमीन के कागज,
जिन लाेगाें ने हमारे बनाये आईटमाें की मार्केटिंग करनी थी शहरों में उन लोगों से लिखा कर दिया गया था कि वे लाेग हमारे आइटमाें की मार्केटिंग व डिस्टीब्यूटर बनेगें।
*प्राेजटक रिपोर्ट CA प्रमाणित*
*काेटेशन साढे दस लाख की मशीनों की*
मैनेजर साहब ने हमारी सिविल स्कोर जाे कि 786
व 775 थी तब उन्होंने कहा कि आपका लाेन कनफर्म हाे गया आप तैयारी करें मैनेजर साहब ने कुछ दिन बाद उस जगह पर आये जहां उद्योग स्थापित करना था वह जगह सतपुली सिसलडी माेटर मार्ग पर स्थित है कांडाखाल सडक पर हमारी पुसतैनी जगह है जिस पर दाे दुकाने पुराने माैडल की बनी हुई है उससे कुछ आगे सडक पर ही अन्य भूमि भी है उन्होंने जगह की फाेटाे ली व मेरे से कहा कि लाेन डन हाे गया है आप माल आदि की डिमांड दे दाे।हमें लगा हमारी साेच धरातल पर उतरने वाली है परंतु तीन दिन बाद उन्होंने कहा कि हमारी फाइल जाेनल आॅफिस देहरादून गई है हम देहरादून जाेनल आैफिस गये ताे अधिकारियों का कहना था कि फाइल बैंक ही पास करता है।तब हम बैंक पहुँचे ताे मैनेजर साहब ने कहा कि हमारी फाइल रिजक्ट की गई है।कारण उन्होंने कहा कि वे मशीनों के लिए पैसे देंगे लेकिन बाकी का काम शुरू करने के लिए एक लाख देंगें
अब बताओ कि पंद्रह लाख की मशीनों की बैंक किस्त साथ काम करने वाले व्यक्ति की सेलरी बिजली पानी के बिल आदि के खर्च एक लाख से चल जाते
जबकि
बनने वाली चालीस आइटमाें के लिए पैकिंग मैटिरियल.ही कम से कम पांच लाख में मिलेगा आैर शुरू में जब तक अपनी पैदावार न हो तब तक अन्य क्षेत्रों से राँ मैटिरियल खरीदना भी है
ताे एक लाख में कैसे चलेगा। इस खबर के संबंध में पूरी जानकारी 6396166470 से ले सकते है एेसा भी हाे सकता कि मैनेजर साहब काे हमने उपरी खर्चा नही पूछा इस वजह से उन्होंने हमारा काम नही किया। इस संबंध में जब हमने फिर से मुख्यमंत्री काे CM appsके माध्यम से दाे बार अवगत कराया ताे बैंक ने ये कहकर पल्ला झाड दिया कि हमने उन्हें आठ लाख की काेटेशन दी है जिस कारण फाइल रिजेक्ट हुई । इसी बारे में जब हम अपने विधायक व प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से मिले ताे उन्होंने हमारे पत्र काे वित्त मंत्री काे भेज दिया आैर हमें कहा कि वे इस याेजना काे पर्यटन विभाग में लायेगें वहां से लाेन हाे जायेगा। जब हम पर्यटन विभाग पाैडी गये ताे पता चला कि अभी वहां एैसी काेई याेजना नही है।
हम फिर विधायक जी से मिलने गये वाे ताे नही मिल पाये परंतु उनके एक सचिव ने हमारी कहानी सुनकर किसी बैंक मैनेजर से बात की ताे फाेन पर मैनेजर का कहना था कि बैंक PMGP याेजना के लाेन करने से कतरा रही है व किसी भी कारण से फाइल को रिजेक्ट कर रहे हैं । फिर महाराज जी के OSD हरि सिंह से बात हुई ताे उनका कहना था कि यदि महाराज पर्यटन में वाे हमारे प्राेजक्ट काे देते हैं ताे वाे पहले कैबिनेट में पास हाेगा व फिर विभाग काे जायेगा जिसमें कि डेड दाे साल लग जायेगें। फिर हमने मुख्यमंत्री जी से मिलने के लिए समय मागां।
इस नंबर से 9456117007 ताे तीन दिन तक भी समय नही मिल पाया है अब हम वापस गाँव में आ ही गये है।
ऐसे में कैसे रूकेगा पलायन ?
– इंद्रजीत सिंह असवाल, पाैडी गढ़वाल उत्तराखंड