उत्तराखंड/देहरादून – उत्तराखंड में राजपुर रोड़ स्थित ओरिएंट चौक पर लाल बत्ती पर मेरी गाड़ी खड़ी थी तभी चार-पांच भिखारियों ने गाड़ी खटखटाई। सभी हष्ट-पुष्ट थे। ऐसा कोई कारण प्रतीत नही होता था कि भिक्षावर्ती ही इनके लिए जीवनी का एक मात्र विकल्प बचा हो। इस गिरोह को पहले कभी नही देखा गया था इसलिए समझना कठिन नही था कि भिखारी माफिया ने नई खेप मंगवा कर देहरादून में उतार दी है। देहरादून के व्यस्तम चौराहे में से एक ओरिएंट चौराहे पर इन भिखारियों के कारण जाम सी स्थिति बन गयी थी। इनके साथ 3 बच्चे भी थे जो शायद 7-8 साल के होंगे। किसी गिरोह की भाँती यह लोग सुनियोजित तरीके से उगाही में जुटे थे और मात्र 10 कदम की दूरी पर तैनात पुलिस कर्मी अपने केबिन में बैठे थे। पुलिस केबिन में पहुंचकर विरोध दर्ज करवाया तब भी पुलिस की नींद नही खुली तो 100 नंबर पर फोन किया गया तब जाकर चीता पुलिस का एक सिपाही आया और इन चार भिखारियों को धारा चौकी ले जाया गया। इस गफलत में वो तीन बच्चे गायब हो गए। जब इनके पहचान पत्र जांचे तो पता चला कि इनमे से एक दरभंगा जिला बिहार से है जो मात्र 2 महीने पहले ही देहरादून लाया गया, इसी भिखारी के पास से उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग का पहचान पत्र भी मिला जो अचंभित करता है। किस प्रकार शासन-प्रशासन में भिखारी सिंडिकेट की पैठ है यह उसका जीवंत उद्धारण है। अर्थात सब मिल बांट कर खाया जा रहा है। बहरहाल इस संदर्भ में एक लिखित शिकायत चौकी प्रभारी धारा कुलदीप पन्त को दे दिया गया है। अब देखते ही कानून क्या करेगा।
अब देहरादून में भिखारी माफ़िया लम्बे समय से एक्टिव है जो हर तीन से छः माह में भिखारी बदल देते है। पुराने भिखारियों को स्थान्तरित कर नए भिखारी आ जाते है। सभी के लिए ISBT/ मद्रासी कॉलोनी आदि स्थानों में रहने की बढ़िया व्यवस्था की गई है। यही गिरोह अक्सर बन्द घरों की रेकी भी करते है और चोरी/लूट की वारदात को अंजाम देते है।
– साभार अमित ताेमर
– इंद्रजीत सिंह असवाल, देहरादून उत्तराखंड