आजकल साहब है मौन : भीयाड बस स्टैंड पर सार्वजनिक प्याऊ के आगे अतिक्रमण

सम्पर्क पोर्टल के बहाने आखिरकार आमजन री जनसुविधाओं की सुध कब लोगे सरकार……

बाड़मेर/ राजस्थान- राज्य के मुखिया अशोक गहलोत जनता के सेवक की छवि सुधारने की लाख कोशिशें करते हैं लेकिन जिला मुख्यालयों पर विराजमान सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के रवैए से ऐसा नहीं लगता होगा, पिछले दो तीन दशकों से बाड़मेर जिला मुख्यालय पर नव नियुक्त हो या फिर धिसे पीटे प्रशासनिक अधिकारी चाहे पुलिस अधीक्षक हों या फिर जिला कलेक्टर सबको ही जनहित के मुद्दों पर, मूलभूत समस्यायों का समाधान करने में बाड़मेर जिले की पब्लिक कितने नम्बर देंगी,इसका परिणाम गर्मियों के मौसम में आपके सम्मुख है । युवा पीढ़ी के जिला कलेक्टर लोक बंधु यादव और पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव का अपने अधीन कर्मचारियों पर कितनी मजबूत पकड़ है यह तो जिले के सभी लोगों को हमारे से ज्यादा मालूम होगा।

पिछले दिनों हमेशा की तरह जिला कलेक्ट्रेट परिसर में जिला कलेक्टर लोक बंधु यादव के नेतृत्व में हुआ, इस जनसुनवाई में जनता की मूलभूत समस्यायों का समाधान होगा या फिर नहीं, यह तो समय-समय पर आने वाले फरियादियों पर निर्भर करता है। जनसुनवाई के बाद सभी फरियादी यह सोच रहे थे की कलेक्टर तो पहले वाले से अच्छा दिखता है लेकिन समाधान होगा तो ही मालूम चलेगा एक दम पक्का। कुछ बार बार आने वाले फरियादी मायूस होकर लौटे लोगों ने अपनी पीड़ा इस तरह जाहिर कर दी हमेशा-हमेशा की तरह वहीं अधिकारियों की लम्बी चौड़ी फौज, वहीं फरियादी बदलाव हुआ है तो सिर्फ और सिर्फ कलेंडर की तारीखें और जनसुनवाई की जगह का …..हताशा से भरें लोगों की नजरों में एक ही सवाल बार-बार आ रहा था । अशोक जी औ जनसुनवाई बड़ी दुखदाई नाम बदल दो सरकार ….

पूर्व संभागीय आयुक्त ओर बाड़मेर जिला प्रभारी राजेश शर्मा धरातल पर कितना सफल होंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा, कई बार बाड़मेर जिला मुख्यालय पर जनसुनवाई की कमान जरूर संभाली है। शायद कोई नया चमत्कार करके राज्य में देश की एकमात्र दुबई बनने की अंधी दौड़ में शामिल होने के कारण सबसे ज्यादा बाड़मेर जिले में बढ़ते हुए अपराधियों के ग्राफ को रोकने में ओर जिला प्रशासन भी अपनी बिखरी हुई पैठ बनाने में फिर से सफल हो…..

कलेक्ट्रेट परिसर में ही हमेशा हमेशा हाथों में सफेद कागज़ पर अपने दुख दर्द लिखकर आने वाले लोगों ने बताया कि जिला मुख्यालय पर लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए जिम्मेदार जिला कलेक्टर हमेशा तत्पर रहते थे । लेकिन जनता की समस्याओं के लिए दिए गए आवेदनों ओर ज्ञापनो के सरकारी टेबल दर टेबल खो जाने पर उन्हें ढुढने की जिम्मेदारी किसकी बनेगी, शिकायतकर्ता की या फिर सरकारी मशीनरी की….

जिला मुख्यालय पर हमेशा हमेशा होने वाली सप्ताहिक बैठकों को कलेक्ट्रेट सभागार में जिले में तैनात सभी अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ में जनता जनार्दन की परेशानियों ओर शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए बैठक होती रहती है, सभी अधिकारियों ने जिले के हाकिम की हां में हां मिला दी की सर हम सब मिलकर ज़िले में आम आवाम की समस्याओं को अल्लादीन के चिराग की तरह सब ठीक-ठाक कर देंगे लेकिन नतीजा फिर वही ढाक के तीन पात सात दिनों के बाद फिर से वही सोमवार-मंगलवार ओर सप्ताह पहले ही की तरह वालीं बैठकें।

जिले में शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई नहीं होने पर परेशानियों से निजात पाने के लिए पिडीत राज्य सरकार के कभी सुगम समाधान, राजस्थान सम्पर्क पोर्टल, फिर एक सो ईक्कयासी नम्बर ओर अब शायद ही सरकार जिम्मेदारी बढ़ाने के लिए एक नया कानून बनाने की आजकल कोशिश कर रही है की राज्य की जनता जनार्दन परेशान नहीं हो।

बाड़मेर जिले से पिछले एक दो दशकों से जनता की शिकायतों पर केन्द्र सरकार ओर राज्य सरकार के पास करीबन दस हजार शिकायतों को दर्ज किया गया है लेकिन धरातल पर आज भी वही समस्याएं वहां की वहां मौजूद है, लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उनका निस्तारण कर फरियादियों को राहत पहुंचाई गई है ।

सभी अधिकारियों को जब भी सरकारी मंत्री, संत्री अपनी बैठकों में जानकारी प्राप्त होने पर विशेष रूप से जनता जनार्दन की परेशानियों को दूर करने के लिए शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करने के आदेश देने के बाद भी बाड़मेर कलेक्ट्रेट में शिकायतों का निस्तारण नहीं होता है, होता है तो सिर्फ सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा आंकड़ों का मकड़जाल

सम्पर्क पोर्टल की शिकायतों को दर्ज करने के एक दो महीने से लेकर सालों बाद भी कार्यवाही नहीं होने के कारण बाड़मेर जिले में शिकायतों को ढूंढने के लिए फिर से सम्पर्क पोर्टल पर विशेष ध्यान देने की शिकायतों को दर्ज किया जाता है लेकिन पुरानी शिकायतों को आखिरकार ढूंढे कौन …..राज्य सरकार के मुखिया अशोक गहलोत ने राज्य में दूसरी बार सरकार बनाने के बाद आमजनता में एक नया उत्साह ओर उमंग की एक किरण जगी है कि अशोक गहलोत सरकार हमारी सुध जरूर लेंगी लेकिन पिछली सरकार का पतन भी राज्य की जनता जनार्दन के द्वारा ही सूपड़ा साफ किया गया था। जनता की समस्यायों को पहले गांवों में, तहसील स्तर पर, जिला मुख्यालय पर, सम्भाग स्तर पर ओर कार्यवाही नहीं होने पर जयपुर में सम्पर्क पोर्टल या फिर सरकारी नेताओं के आगे नाक रगड़ कर….

राज्य सरकार द्वारा राज्य में अक्टूबर नवम्बर महीने से सुशासन लाने के लिए सभी जिलों में लगने वाले प्रशासन शहरों,गांवों के संग अभियान के अधिकारियों-कर्मचारियों को निर्देश दिए गए थे की कोई भी परेशान व्यक्ति हमारे पास जोधपुर – जयपुर तक शिकायतों को लेकर नहीं आएगा जनता की परेशानियों को समझने के बाद जहां कहीं पर शिविर लगाने के दिन ही हाथों-हाथ समाधान करने की जरूरत है लेकिन खर्चे पानी के नाम पर सुविधा शुल्क लेने के लिए किसी भी व्यक्ति को ओर परेशान नहीं किया जाएं लेकिन कामकाज करने का तरिका अधिकतर पहले जैसा ही है बाड़मेर जिले में।

– राजस्थान से राजूचारण

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