राजस्थान- अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच भले ही अब सुलह हो जाए, लेकिन सुलह के बाद भी पायलट के हाथ कुछ नही लगने वाला है । पहले यह माना जा रहा था कि राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन होगा और सीएम की कुर्सी पर पायलट काबिज होंगे । लेकिन अब यह संभावना भी क्षीण दिखाई दे रही है ।
गहलोत गुट की सबसे बड़ी कामयाबी यह रही कि उसकी सभी मांगे मानली गई । इससे जाहिर होता है कि आलाकमान के पास अशोक गहलोत की मांगें मानने के अलावा अन्य कोई चारा नही है । पिछले साल 25 नवंबर को जो नाटक हुआ, उस वक्त गहलोत गुट की ओर से तीन प्रमुख मांगे रखी गई थी । पहली मांग थी कि बगावत करके मानेसर जाने वाले विधायकों में से किसी को सीएम नही बनाया जाए । दूसरी मांग थी कि नया सीएम गहलोत की मर्जी वाला होना चाहिए । अंतिम मांग थी कि 19 अक्टूबर, 22 से पूर्व नेतृत्व परिवर्तन नही किया जाए ।
दिल्ली से उच्चस्तरीय सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार आलाकमान की अब राजस्थान के बारे में कोई खास दिलचस्पी नही है । यही वजह है कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा के 11 दिन बाद भी कोई राजस्थान में किसी तरह के बदलाव को लेकर कोई हलचल नही है । उधर गहलोत अपना आखिरी बजट पेश करने में भी सफल रहे है । सूत्र बताते है कि अनुशासनहीनता के तीनों आरोपी शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ को क्लीन चिट दिलवाने की तैयारी की जा रही है ।
जिस दिन बजट सत्र आहूत होने की घोषणा हुई, उसी दिन नेतृत्व परिवर्तन का चैप्टर लगभग समाप्त होता दिखाई देने लगा था । यह पूरी तरह से तय होगया है कि प्रदेश में सीएम की कुर्सी पर पायलट नही बैठेंगे । अगर बैठ भी जाते है तो उन्हें गहलोत के बजट और जन घोषणा पत्र की तारीफ करने के अलावा कोई काम नही रहेगा । कुछ दिनों पहले तक गहलोत बचाव की मुद्रा में थे । लेकिन अब वे आक्रमक मुद्रा में है ।
एक सवाल जिसका जवाब हर कोई खोजने में लगा हुआ है, यह है कि आखिर पायलट का भविष्य क्या है ? वे कांग्रेस में रहकर अपनी फजीहत कराएंगे या किसी अन्य पार्टी में जाएंगे, इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे है । कांग्रेस में रहना अब उनके लिए इसलिए घातक रहेगा क्योंकि गहलोत उनको और उनके समर्थक जैसे राजेन्द्र गुढा, वेदप्रकाश सोलंकी, जीआर खटाना, मुरारी लाल मीणा, खिलाड़ी लाल बैरवा, इन्द्रराज गुर्जर, हरीश मीणा तथा मुकेश भांकर की टिकट में अड़ंगा लगाएंगे । ये लोग टिकट लेने में कामयाब हो भी गए इनकी जीत में कांटे बिछाना गहलोत को बखूबी आता है ।
दिल्ली में आज उच्चस्तरीय सूत्रों से हुई बातचीत पता चला है कि प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की रुचि संगठन को मजबूत करने की है । इसलिए वे जिला अध्यक्षो के अतिरिक्त एआईसीसी के पदाधिकारियों और सदस्यों की नियुक्ति करने के लिए तेजी से सक्रिय है । अगले सप्ताह में सूची जारी हो सकती है । केसी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे ऐसा रास्ता ढूंढने में लगे हुए है जो गहलोत और सचिन पायलट को मंजूर हो । फिलहाल सर्वसम्मत हल निकल नही पाया है । सूत्रों ने बताया कि अब तक गहलोत की छाती पर पायलट मूंग दल रहे थे, अब गहलोत की बारी है ।
– राजस्थान से राजूचारण