अपना भविष्य न जानने मे ही मनुष्य की भलाई- प्रेमभूषण

बरेली। धर्म के चार प्रमुख स्तंभ सत्य, तप, दया और दान है। कलयुग मे दान करना ही सबसे बड़ा धर्म है। मनुष्य दो कार्य से हमेशा बचने का प्रयास करता है एक तो भजन करना दूसरा दान करना। अपना भविष्य नही जानने में ही मनुष्य की भलाई है। मनुष्य के जीवन में सुख और दुख दोनों का ही आना-जाना लगा रहता है। ईश्वर की बनाई हुई व्यवस्था में यह एक बहुत ही अच्छी बात है कि मनुष्य अपने आने वाले कल के बारे में नहीं जानता है। यदि उसे अपने कल के बारे में आज ही पता चल जाए तो वह सर्वदा दुखी ही रहेगा। उक्त बातें श्री हरि मंदिर मॉडल टाउन में हो रही। पंचदिवसीय रामकथा की पूर्णाहुति के दौरान कथा व्यास प्रेमभूषण जी ने कही। श्रोताओं को कथा व्यास ने भगवान राम के वन प्रदेश की मंगल यात्रा, सुदंरकांड, लंकाकांड और श्रीराम राज्याभिषेक से जुड़े प्रसंग सुनाए। कहा कि इस संसार में कुछ भी अनिश्चित नहीं है। सब कुछ निश्चित है। भगवान की अपनी व्यवस्था है और वह संसार की भलाई के लिए ही है। धरती पर आने वाले मनुष्य का जाना भी तय होता है। कथा का आनंद लेने वालों में पत्नी सहित अरुण गुप्ता रामदयाल मोहता, दिनेश सोलंकी, डॉ सत्यपाल गंगवार, विवेक मिश्रा, रेनू छाबड़ा, कंचन अरोड़ा,नीलम साहनी, अखिलेश सिंह आयाम प्रमुख राजेश कुमार सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन मौजूद रहे।।

बरेली से कपिल यादव

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