अधिकारियों के संरक्षण में ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के नाम पर सरपंच सचिव ने किया जमकर भ्रष्टाचार

*दमोह जिले के तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली आधे से अधिक ग्राम पंचायत में प्रवासी मजदूरों के नाम पर भ्रष्टाचार वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत सारसबगली मे सभी विकास कार्यों में जमकर किया भ्रष्टाचार
तेन्दूखेड़ा/दमोह- जिले में जितना भी भ्रष्टाचार की बात की जाए और जिले के तमाम विभागों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा पंचायत विभाग में व्यापत है यहां जिला पंचायत सीईओ से लेकर पंचायत सचिव तक भ्रष्टाचार के दलदल में गले तक डूबे हुए नजर आ रहे हैं ग्राम पंचायतों में हो रहे भ्रष्टाचार को जिला पंचायत से लेकर जनपद पंचायत तक खुलेआम संरक्षण प्रदान किया जा रहा है लगातार मीडिया द्वारा उच्चाधिकारियों को शिकायत करने के बाद भी ग्राम पंचायतों के भ्रष्टाचार पर जिम्मेदार अंकुश लगाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं या फिर जानकर भी अनजान बनने बैठे हैं बात चाहे फर्जी मास्टर की हो या फिर घटिया और गुणवत्ताहीन कार्य की जिला पंचायत से लेकर जनपद पंचायत तक जिम्मेदार अपना कमीशन बनाने में लगे हुई है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं जिससे कि सरपंच सचिव और अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं
ताजा मामला जिले की सबसे ज्यादा फर्जी मजदूर चलाने वाली और भ्रष्टाचार से जानने वाले जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा का है जहां इसके अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सारसबगली में कुछ दिनों पूर्व में हुई तेज बारिश ने पंचायतों के भ्रष्टाचार की कलई खोलकर रख दी है सत्ता के विकेंद्रीकरण का प्रमुख उदाहरण बनी पंचायतीराज में लगातार बह रही भ्रष्टाचार की गंगा की पोल बरसाती पानी ने ही खोलकर रख दी है ग्राम पंचायत सारसबगली जहां तीन महीने पहले ही दो तलैयों का मनरेगा योजना के तहत जीणोद्धार किया गया था जिससे कि वह और मजबूत हो सकें और गर्मी के समय किसानों और वहां के लोगों को इसका लाभ मिल सकें लेकिन बरसाती पानी ने ग्राम पंचायत की भ्रष्टाचार की पोल खोल कर रख दी है लॉकडाउन के समय यहां पर दो तलैयों का जीणोद्धार किया जाना था लेकिन ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव और रोजगार सहायक सचिव की मनमानी और अधिकारियों की मिलीभगत से गुणवत्ताहीन और घटिया निर्माण कार्य कराया गया है जिसके कारण आज पांच से सात साल पहले बनाई गई तलैया बारिश में बह गए और साढ़े चार चार लाख रुपए का भुगतान भी हो गया जिससे कि सरकार का साढ़े नौ लाख रुपए बरसात के पानी बह गया और जमकर भ्रष्टाचार हो गया सारसबगली ग्राम के लोगों ने आरोप लगाया है कि सरपंच सचिव और रोजगार सचिव द्वारा जितने भी विकास कार्यों को कराया गया है वो सिर्फ घटिया और गुणवत्ताहीन है और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं वहीं दूसरी ओर ग्रामजनों ने जनपद के अधिकारियों पर भी आरोप लगाया है कि यह सारा खेल सिर्फ उपयंत्री और अधिकारियों द्वारा कराए जाते हैं और अपना कमीशन करने लेकर घर पर बैठे रहते हैं कभी निरीक्षण करने भी नही आते हैं लोगों का मानना है कि जीणोद्धार में हुए भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की जांच की जाए और सरपंच सचिव और जनपद में बैठे सरकार की तनख्वाह ले रहे भ्रष्ट अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो
क्योंकि घटिया गुणवत्ता से किए गए जीणोद्धार में सिर्फ दिखावा किया गया है और प्रशासन की राशि का दुरुपयोग कर अपनी जेब भरी है भ्रष्टाचार की गंगा में बही दोनों तलैयों को राज्य सरकार के द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के उद्देश्य तथा ग्रामीण विकास को गति देने के लक्ष्य को लेकर प्रारंभ की गई मनरेगा योजना और प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर यह योजना चालू की गई थी जिसके तहत इन दोनों तलैयों का साढ़े चार चार लाख से जीणोद्धार किया गया था जीणोद्धार के दौरान ही लोगों ने गुणवत्ता को लेकर पहले से ही लगातार सवालिया निशान लगाए जाते रहे हैं शासन के निर्धारित प्रावधानों का लगातार उल्लंघन कर इन दोनों तलैयों में दरअसल उचित पिचिंग का अभाव काली मिट्टी का उपयोग न किया जाना कमजोर वेस्ट वियर का निर्माण होना प्रमुख रुप से जिम्मेदार है दरअसल ऐसा माना जा रहा है सरपंच सचिव और रोजगार सचिव अपने जनपद में बैठे कमीशनखोर भ्रष्टाचार अधिकारियों को खुश रखते हुए और इनकी कृपा से मिलीभगत से भ्रष्टाचार को अंजाम देते हुए नजर आ रहे हैं लाखों रुपए से जीणोद्धार करने का काम कुछ ही रुपयों में कर दिया गया है भ्रष्टाचार की दीमक लगातार तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत में ग्रामीणजनों के सुखों को चाटती नजर आ रही है यही कारण है कि इस जनपद पंचायत में भ्रष्टाचारियों के इस समूह के लगातार हौसले बुलंद होते जा रहे हैं और भ्रष्टाचार करते हुए पंचायत में मनरेगा के कार्य मशीनों द्वारा कराए जा रहे हैं
*पांच महीने में ही बह चुकी थी सीसी रोड*
आपको बता दें कि ग्राम पंचायत सारसबगली में लगातार से ही भ्रष्टाचार की इबादत लिखी जा रही है और सरपंच सचिव अधिकारियों की संरक्षण में मनमानी करते हुए सभी निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार करते आ रहे हैं और घटिया गुणवत्ताहीन विकास को बढावा दे रहे जिसके कारण इस पंचायत में आज तक कोई विकास ठीक से नहीं हुआ है सिर्फ कागजों में निर्माण सामग्री के बिलों पर भुगतान किया गया है और अधिकारियों को इसके बदले कमीशन देकर सही दर्शाया गया है इसी बीच 2 साल पहले ग्राम पंचायत सारसबगली में वार्ड 6 में सीसी रोड को बनाया गया था जो पांच महीने के बाद तेज बारिश में बह गई थी जब ग्रामीण सुबह सोकर उठे तो सड़क ही गायब हो चुकी थी सड़क की जगह सिर्फ गिट्टी ही बची हुई थी सड़क निर्माण के दौरान ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जनपद पंचायत के अधिकारियों के साथ सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराई थी जब शिकायत की जांच हुई तो अधिकारियों ने सड़क निर्माण को घटिया और गुणवत्ता हीन बताया था जो सड़क पंच परमेश्वर योजना के तहत बनाई गई थी जो कि पांच महीने में ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी थी जिसकी लागत 2 लाख 26 हजार रुपए थी यहां के लोगों ने बताया कि हमारी ग्राम पंचायत में सारे काम सरपंच नंदराम घोषी और सचिव और रोजगार सचिव द्वारा कराए जाते हैं जिसमें सबसे ज्यादा भूमिका सरपंच और रोजगार सचिव की रहती है जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं
*जेसीबी मशीन के सबूत मिटाने लगाए थे 47 मजदूर और मस्टर था शून्य*
जहां ग्राम पंचायत में लगातार भ्रष्टाचार की बात सामने आती रही है तो इसी बीच ग्राम पंचायत सारसबगली में लॉकडाउन के समय में भी कुछ उल्टा ही देखने को मिला था आपको बता दें कि सरकार द्वारा लॉकडाउन के समय प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए एक नरेगा योजना शुरू की थी जिसमें ग्राम स्तर पर गरीब लोगों को काम मिल सकें लेकिन सारसबगली पंचायत में उल्टा असर देखने को मिला था यहां पर नरेगा योजना से बन रही तलैया में ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों ने रातों रात में जेसीबी मशीन से कार्यों को कराया लेकिन जब इसकी भनक जनपद अध्यक्ष को लगी तो उन्होंने जनपद सीईओ को सूचना दी और बाद में सीईओ को सूचना दी थी जिसके बाद सहायक यंत्री और उपयंत्री को मौके पर भेजा था तो वहां पर तलैया निर्माण कार्य में 47 मजदूर काम करती मिली जब इसकी जानकारी ली तो मौजूद लोगों ने कहा वह काफी दिनों से कार्य कर रहे हैं लेकिन जब मास्टर देखा तो लेवर शून्य थी तो रोजगार सचिव ने बात को पलते हुई बोला कि मुझे पता नहीं यह कहा से आ गई लेवर तो सहायक यंत्री ने फटकार लगाते हुए मौके का पंचनामा बनाया था और तलैया निर्माण कार्य को निरस्त कर दिया था वही जब इसकी शिकायत हुई तो मौके पर उपयंत्री रानी चौरसिया और सहायक यंत्री केपी पटेल मौके पर पहुंचे थे उन्होंने जानकारी ली और कहा मजदूर कैसे लगे हैं तो यहां पर जेसीबी मशीन के सबूत मिटाने की बात सामने आई थी वही जब रोजगार सहायक सचिव से जानकारी ली और पूछा कि तुम्हारे मास्टर पर 2तारीख को कोई मजदूरों की डिमांड नहीं है तो रोजगार सचिव ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि मैने मजदूर नहीं लगाये है लेकिन जब उनसे पूछा कि यदि मजदूर नहीं लगे तो ये सब लोग यहां पर कैसे काम कर रहे हैं जिसपर सभी मजदूर वहां से भाग निकले बाद में सहायक यंत्री से पंचनामा भी बनवाया जिसमें उन्होंने उस महिला के भी बयान भी लिए थे जिसने जेसीबी मशीन चलने की पुष्टि की थी साथ ही उन्होंने पंचनामा में ये भी हवाला दिया था कि मास्टर में मजदूरों की हाजरी जीरो थी लेकिन तलैया में 47 मजदूर काम करते रहे हैं जो यह गलत है
*अफसरों के दावों की अब खुलने लगी पोल*
जनपद में बैठे और सरकार की तनख्वाह ले रहे अधिकारियों की अब पोल खुलने लगी है क्योंकि तेन्दूखेड़ा की अधिंकाश ग्राम पंचायतों में हजारों प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने का दम भर रह थे लेकिन अब जमीनी हकीकत कुछ और ही है अफसरों के ये दावे सिर्फ कागजी साबित हो रहे हैं और कागजो में प्रवासी मजदूर मजदूरी करते हुए नजर आ रहे हैं जब हमारी टीम ने लॉकडाउन के समय से ही सभी ग्राम पंचायतों का मौके का मुआयना किया तो इन सभी पंचायतों में वहां कोई भी मजदूर कार्य करता नहीं मिला न ही नजर आए सिर्फ जेसीबी मशीनों के टायरों के निशान नजर आते रहे और जब लोगों से चर्चा की गई तो पता चला कि यहां तो रात के समय में जेसीबी मशीन चल रही थी लेकिन अब हकीकत कुछ और ही है जहां प्रवासी मजदूरों के नाम पर इन सभी पंचायतों में लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा कागजो में चल रहा है मनरेगा के जॉबकार्ड धारी मजदूर कागजो में कार्य करते रहे जबकि यह कार्य पूर्व में ही मशीनों से रातों रात हो चुके थे अब पंचायत के नुमाइंदे घर बैठकर फर्जी मस्टर डालकर लाखों रुपए की राशि हड़पने की तैयारी शुरू कर दी है और अधिकारियों को अपने अपने कमीशन की
*अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है*
दमोह जिले की जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा की आधे से अधिक ग्राम पंचायतों में प्रवासी मजदूरों को गांव में ही रोजगार देने के नाम पर फर्जीवाड़ा अनवरत रुप से जारी है अधिकांश पंचायतों में मजदूरों को कागजो में रोजगार दिया गया है लेकिन धरातल में सिर्फ मशीनों का उपयोग किया गया है और चल भी रहा है लेकिन तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत की इन सभी पंचायतों में मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला गया है जहां जिम्मेदार अफसर अपने आफिसों में बैठकर मनरेगा की मॉनिटरिंग करते रहे या यू कहें कि उन्हीं के संरक्षण में यह फर्जीवाड़ा पनम रहा है शासन द्वारा प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए ग्रामो में रोजगार गारंटी के तहत काम ग्राम पंचायतों द्वारा कराया जाता है मगर पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा एवं जिम्मेदारों द्वारा मनमानी कर मजदूरों का हक छीना गया है इसे पंचायतों के कर्ताधर्ताओ का रौब कहें या फिर अफसरों का संरक्षण पर बल देना शिकायतें के बाद के बाद भी कार्रवाई न करना अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है
वहीं दूसरी ओर दरअसल तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत में पदस्थ सीईओ रानू जैन स्वयं पटेरा सीईओ रहने के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप झेल रही है उक्त मामले में पुलिस में प्राथमिकी भी दर्ज की गई है लेकिन भ्रष्टाचार की गंगा में सभी अधिकारी और सरपंच सचिव हाथ धो लेते हैं तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी मामला ढाक के तीन पात की तरह ही रहा है रानू जैन को जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा का सीईओ बना दिया गया था ग्राम पंचायत सारसबगली में लगातार शिकायतों के बाद भी जनपद सीईओ कोई कार्रवाही नहीं करना चाहते खेल मैदान जैसे कार्य ग्राम पंचायत में कागजों पर ही हो गए हैं लेकिन जिला पंचायत में बैठे जिम्मेदार आंख बंद कर ग्राम पंचायत के भ्रष्टाचार को खुलेआम संरक्षण प्रदान कर रहे हैं जिससे कि सरपंच सचिव और रोजगार सहायक सचिव के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं और भ्रष्टाचार को बढावा दे रहे हैं*अधिकारियों के संरक्षण में सारसबगली ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के नाम पर सरपंच सचिव ने किया जमकर भ्रष्टाचार*
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*दमोह जिले के तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली आधे से अधिक ग्राम पंचायत में प्रवासी मजदूरों के नाम पर भ्रष्टाचार वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत सारसबगली मे सभी विकास कार्यों में जमकर किया भ्रष्टाचार*
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*विशाल रजक तेन्दूखेड़ा/दमोह!* जिले में जितना भी भ्रष्टाचार की बात की जाए और जिले के तमाम विभागों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा पंचायत विभाग में व्यापत है यहां जिला पंचायत सीईओ से लेकर पंचायत सचिव तक भ्रष्टाचार के दलदल में गले तक डूबे हुए नजर आ रहे हैं ग्राम पंचायतों में हो रहे भ्रष्टाचार को जिला पंचायत से लेकर जनपद पंचायत तक खुलेआम संरक्षण प्रदान किया जा रहा है लगातार मीडिया द्वारा उच्चाधिकारियों को शिकायत करने के बाद भी ग्राम पंचायतों के भ्रष्टाचार पर जिम्मेदार अंकुश लगाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं या फिर जानकर भी अनजान बनने बैठे हैं बात चाहे फर्जी मास्टर की हो या फिर घटिया और गुणवत्ताहीन कार्य की जिला पंचायत से लेकर जनपद पंचायत तक जिम्मेदार अपना कमीशन बनाने में लगे हुई है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं जिससे कि सरपंच सचिव और अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं
ताजा मामला जिले की सबसे ज्यादा फर्जी मजदूर चलाने वाली और भ्रष्टाचार से जानने वाले जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा का है जहां इसके अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सारसबगली में कुछ दिनों पूर्व में हुई तेज बारिश ने पंचायतों के भ्रष्टाचार की कलई खोलकर रख दी है सत्ता के विकेंद्रीकरण का प्रमुख उदाहरण बनी पंचायतीराज में लगातार बह रही भ्रष्टाचार की गंगा की पोल बरसाती पानी ने ही खोलकर रख दी है ग्राम पंचायत सारसबगली जहां तीन महीने पहले ही दो तलैयों का मनरेगा योजना के तहत जीणोद्धार किया गया था जिससे कि वह और मजबूत हो सकें और गर्मी के समय किसानों और वहां के लोगों को इसका लाभ मिल सकें लेकिन बरसाती पानी ने ग्राम पंचायत की भ्रष्टाचार की पोल खोल कर रख दी है लॉकडाउन के समय यहां पर दो तलैयों का जीणोद्धार किया जाना था लेकिन ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव और रोजगार सहायक सचिव की मनमानी और अधिकारियों की मिलीभगत से गुणवत्ताहीन और घटिया निर्माण कार्य कराया गया है जिसके कारण आज पांच से सात साल पहले बनाई गई तलैया बारिश में बह गए और साढ़े चार चार लाख रुपए का भुगतान भी हो गया जिससे कि सरकार का साढ़े नौ लाख रुपए बरसात के पानी बह गया और जमकर भ्रष्टाचार हो गया सारसबगली ग्राम के लोगों ने आरोप लगाया है कि सरपंच सचिव और रोजगार सचिव द्वारा जितने भी विकास कार्यों को कराया गया है वो सिर्फ घटिया और गुणवत्ताहीन है और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं वहीं दूसरी ओर ग्रामजनों ने जनपद के अधिकारियों पर भी आरोप लगाया है कि यह सारा खेल सिर्फ उपयंत्री और अधिकारियों द्वारा कराए जाते हैं और अपना कमीशन करने लेकर घर पर बैठे रहते हैं कभी निरीक्षण करने भी नही आते हैं लोगों का मानना है कि जीणोद्धार में हुए भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की जांच की जाए और सरपंच सचिव और जनपद में बैठे सरकार की तनख्वाह ले रहे भ्रष्ट अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो
क्योंकि घटिया गुणवत्ता से किए गए जीणोद्धार में सिर्फ दिखावा किया गया है और प्रशासन की राशि का दुरुपयोग कर अपनी जेब भरी है भ्रष्टाचार की गंगा में बही दोनों तलैयों को राज्य सरकार के द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के उद्देश्य तथा ग्रामीण विकास को गति देने के लक्ष्य को लेकर प्रारंभ की गई मनरेगा योजना और प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर यह योजना चालू की गई थी जिसके तहत इन दोनों तलैयों का साढ़े चार चार लाख से जीणोद्धार किया गया था जीणोद्धार के दौरान ही लोगों ने गुणवत्ता को लेकर पहले से ही लगातार सवालिया निशान लगाए जाते रहे हैं शासन के निर्धारित प्रावधानों का लगातार उल्लंघन कर इन दोनों तलैयों में दरअसल उचित पिचिंग का अभाव काली मिट्टी का उपयोग न किया जाना कमजोर वेस्ट वियर का निर्माण होना प्रमुख रुप से जिम्मेदार है दरअसल ऐसा माना जा रहा है सरपंच सचिव और रोजगार सचिव अपने जनपद में बैठे कमीशनखोर भ्रष्टाचार अधिकारियों को खुश रखते हुए और इनकी कृपा से मिलीभगत से भ्रष्टाचार को अंजाम देते हुए नजर आ रहे हैं लाखों रुपए से जीणोद्धार करने का काम कुछ ही रुपयों में कर दिया गया है भ्रष्टाचार की दीमक लगातार तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत में ग्रामीणजनों के सुखों को चाटती नजर आ रही है यही कारण है कि इस जनपद पंचायत में भ्रष्टाचारियों के इस समूह के लगातार हौसले बुलंद होते जा रहे हैं और भ्रष्टाचार करते हुए पंचायत में मनरेगा के कार्य मशीनों द्वारा कराए जा रहे हैं
*पांच महीने में ही बह चुकी थी सीसी रोड*
आपको बता दें कि ग्राम पंचायत सारसबगली में लगातार से ही भ्रष्टाचार की इबादत लिखी जा रही है और सरपंच सचिव अधिकारियों की संरक्षण में मनमानी करते हुए सभी निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार करते आ रहे हैं और घटिया गुणवत्ताहीन विकास को बढावा दे रहे जिसके कारण इस पंचायत में आज तक कोई विकास ठीक से नहीं हुआ है सिर्फ कागजों में निर्माण सामग्री के बिलों पर भुगतान किया गया है और अधिकारियों को इसके बदले कमीशन देकर सही दर्शाया गया है इसी बीच 2 साल पहले ग्राम पंचायत सारसबगली में वार्ड 6 में सीसी रोड को बनाया गया था जो पांच महीने के बाद तेज बारिश में बह गई थी जब ग्रामीण सुबह सोकर उठे तो सड़क ही गायब हो चुकी थी सड़क की जगह सिर्फ गिट्टी ही बची हुई थी सड़क निर्माण के दौरान ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जनपद पंचायत के अधिकारियों के साथ सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराई थी जब शिकायत की जांच हुई तो अधिकारियों ने सड़क निर्माण को घटिया और गुणवत्ता हीन बताया था जो सड़क पंच परमेश्वर योजना के तहत बनाई गई थी जो कि पांच महीने में ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी थी जिसकी लागत 2 लाख 26 हजार रुपए थी यहां के लोगों ने बताया कि हमारी ग्राम पंचायत में सारे काम सरपंच नंदराम घोषी और सचिव और रोजगार सचिव द्वारा कराए जाते हैं जिसमें सबसे ज्यादा भूमिका सरपंच और रोजगार सचिव की रहती है जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं
*जेसीबी मशीन के सबूत मिटाने लगाए थे 47 मजदूर और मस्टर था शून्य*
जहां ग्राम पंचायत में लगातार भ्रष्टाचार की बात सामने आती रही है तो इसी बीच ग्राम पंचायत सारसबगली में लॉकडाउन के समय में भी कुछ उल्टा ही देखने को मिला था आपको बता दें कि सरकार द्वारा लॉकडाउन के समय प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए एक नरेगा योजना शुरू की थी जिसमें ग्राम स्तर पर गरीब लोगों को काम मिल सकें लेकिन सारसबगली पंचायत में उल्टा असर देखने को मिला था यहां पर नरेगा योजना से बन रही तलैया में ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों ने रातों रात में जेसीबी मशीन से कार्यों को कराया लेकिन जब इसकी भनक जनपद अध्यक्ष को लगी तो उन्होंने जनपद सीईओ को सूचना दी और बाद में सीईओ को सूचना दी थी जिसके बाद सहायक यंत्री और उपयंत्री को मौके पर भेजा था तो वहां पर तलैया निर्माण कार्य में 47 मजदूर काम करती मिली जब इसकी जानकारी ली तो मौजूद लोगों ने कहा वह काफी दिनों से कार्य कर रहे हैं लेकिन जब मास्टर देखा तो लेवर शून्य थी तो रोजगार सचिव ने बात को पलते हुई बोला कि मुझे पता नहीं यह कहा से आ गई लेवर तो सहायक यंत्री ने फटकार लगाते हुए मौके का पंचनामा बनाया था और तलैया निर्माण कार्य को निरस्त कर दिया था वही जब इसकी शिकायत हुई तो मौके पर उपयंत्री रानी चौरसिया और सहायक यंत्री केपी पटेल मौके पर पहुंचे थे उन्होंने जानकारी ली और कहा मजदूर कैसे लगे हैं तो यहां पर जेसीबी मशीन के सबूत मिटाने की बात सामने आई थी वही जब रोजगार सहायक सचिव से जानकारी ली और पूछा कि तुम्हारे मास्टर पर 2तारीख को कोई मजदूरों की डिमांड नहीं है तो रोजगार सचिव ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि मैने मजदूर नहीं लगाये है लेकिन जब उनसे पूछा कि यदि मजदूर नहीं लगे तो ये सब लोग यहां पर कैसे काम कर रहे हैं जिसपर सभी मजदूर वहां से भाग निकले बाद में सहायक यंत्री से पंचनामा भी बनवाया जिसमें उन्होंने उस महिला के भी बयान भी लिए थे जिसने जेसीबी मशीन चलने की पुष्टि की थी साथ ही उन्होंने पंचनामा में ये भी हवाला दिया था कि मास्टर में मजदूरों की हाजरी जीरो थी लेकिन तलैया में 47 मजदूर काम करते रहे हैं जो यह गलत है
*अफसरों के दावों की अब खुलने लगी पोल*
जनपद में बैठे और सरकार की तनख्वाह ले रहे अधिकारियों की अब पोल खुलने लगी है क्योंकि तेन्दूखेड़ा की अधिंकाश ग्राम पंचायतों में हजारों प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने का दम भर रह थे लेकिन अब जमीनी हकीकत कुछ और ही है अफसरों के ये दावे सिर्फ कागजी साबित हो रहे हैं और कागजो में प्रवासी मजदूर मजदूरी करते हुए नजर आ रहे हैं जब हमारी टीम ने लॉकडाउन के समय से ही सभी ग्राम पंचायतों का मौके का मुआयना किया तो इन सभी पंचायतों में वहां कोई भी मजदूर कार्य करता नहीं मिला न ही नजर आए सिर्फ जेसीबी मशीनों के टायरों के निशान नजर आते रहे और जब लोगों से चर्चा की गई तो पता चला कि यहां तो रात के समय में जेसीबी मशीन चल रही थी लेकिन अब हकीकत कुछ और ही है जहां प्रवासी मजदूरों के नाम पर इन सभी पंचायतों में लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा कागजो में चल रहा है मनरेगा के जॉबकार्ड धारी मजदूर कागजो में कार्य करते रहे जबकि यह कार्य पूर्व में ही मशीनों से रातों रात हो चुके थे अब पंचायत के नुमाइंदे घर बैठकर फर्जी मस्टर डालकर लाखों रुपए की राशि हड़पने की तैयारी शुरू कर दी है और अधिकारियों को अपने अपने कमीशन की
*अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है*
दमोह जिले की जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा की आधे से अधिक ग्राम पंचायतों में प्रवासी मजदूरों को गांव में ही रोजगार देने के नाम पर फर्जीवाड़ा अनवरत रुप से जारी है अधिकांश पंचायतों में मजदूरों को कागजो में रोजगार दिया गया है लेकिन धरातल में सिर्फ मशीनों का उपयोग किया गया है और चल भी रहा है लेकिन तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत की इन सभी पंचायतों में मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला गया है जहां जिम्मेदार अफसर अपने आफिसों में बैठकर मनरेगा की मॉनिटरिंग करते रहे या यू कहें कि उन्हीं के संरक्षण में यह फर्जीवाड़ा पनम रहा है शासन द्वारा प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए ग्रामो में रोजगार गारंटी के तहत काम ग्राम पंचायतों द्वारा कराया जाता है मगर पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा एवं जिम्मेदारों द्वारा मनमानी कर मजदूरों का हक छीना गया है इसे पंचायतों के कर्ताधर्ताओ का रौब कहें या फिर अफसरों का संरक्षण पर बल देना शिकायतें के बाद के बाद भी कार्रवाई न करना अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है
वहीं दूसरी ओर दरअसल तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत में पदस्थ सीईओ रानू जैन स्वयं पटेरा सीईओ रहने के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप झेल रही है उक्त मामले में पुलिस में प्राथमिकी भी दर्ज की गई है लेकिन भ्रष्टाचार की गंगा में सभी अधिकारी और सरपंच सचिव हाथ धो लेते हैं तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी मामला ढाक के तीन पात की तरह ही रहा है रानू जैन को जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा का सीईओ बना दिया गया था ग्राम पंचायत सारसबगली में लगातार शिकायतों के बाद भी जनपद सीईओ कोई कार्रवाही नहीं करना चाहते खेल मैदान जैसे कार्य ग्राम पंचायत में कागजों पर ही हो गए हैं लेकिन जिला पंचायत में बैठे जिम्मेदार आंख बंद कर ग्राम पंचायत के भ्रष्टाचार को खुलेआम संरक्षण प्रदान कर रहे हैं जिससे कि सरपंच सचिव और रोजगार सहायक सचिव के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं और भ्रष्टाचार को बढावा दे रहे हैं।

– विशाल रजक मध्यप्रदेश

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