हरियाणा/रोहतक- आज जनवादी महिला समिति ने रोहतक बस अड्डा पर सीएए, एनपीआर और एनआरसी का विरोध करते हुए जनता में पर्चे वितरित किए। इस दौरान दक्षिणपंथी संगठन के कुछ लोगों ने तथा पुलिस ने कार्यकर्त्ताओं के साथ बहसबाजी भी की तथा पर्चा वितरण के कार्य को बाधित करने की कोशिश की।
जनवादी महिला समिति द्वारा एनआरसी के विरोध में आयोजित हर एक कार्यक्रम को बाधित करने की कोशिश की जा रही है, जो कि बेहद निंदनीय है।
आज सुबह स्थानीय बसस्टैंड पर जनवादी महिला समिति के कार्यकर्त्ता एकत्रित हुए, जिसका नेतृत्व संगठन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमति सांगवान व राज्य महासचिव सविता ने किया। पर्चा वितरण में एडवोकेट वीना मलिक, अनिता सांपला, मुनमुन हाजरिका, राज पूनिया, ओमपति, उर्मिल आदि शामिल रहीं।
लोगों के बीच में इस मुद्दे पर बातचीत करते हुए संगठन की नेताओं ने कहा कि हम सीएए का विरोध इसलिए कर रहे है क्योंकि यह संविधान की मूल भावना धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। संविधान में कहीं भी नागरिकता का आधार धर्म नहीं माना गया है परंतु यह कानून पहली बार नागरिकता को धर्म के साथ जोड़ता है।
उन्होंने बताया कि आगामी 1 मई से 15 जून तक जनसंख्या रजिस्टर यानि एनपीआर के लिए सर्वे किया जाएगा। एनपीआर में लोगों व उनके माता पिता की जन्म तिथि, जन्म स्थान से सम्बन्धित सवाल पूछे जाएंगे। सितम्बर माह में एनआरसी यानि नागरिकता रजिस्टर तैयार करने के लिए जन्मतिथि व जन्मस्थान संबंधी प्रमाण पत्र मांगें जाएंगे।
उनका कहना था कि एक तरह से एनपीआर ही एनआरसी की पहली सीढ़ी है। हमारे देश में करोड़ों लोग ऐसे है जिनके पास जन्मप्रमाण पत्र नहीं है गरीब लोगों, दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, आदिवासियों आदि के लिए नागरिकता के कागज जुटाना आसान काम नहीं है। इस पूरी प्रक्रिया पर करोड़ो रुपए खर्च किए जाएंगे।
जनवादी महिला समिति के नेताओं ने लोगों को समझाया कि अकेले असम में एनआरसी 1600 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। यह फिजूलखर्ची ऐसे समय में कि जा रही है, जब देश की जनता महंगाई, बेरोजगारी, भूख और मंदी की मार झेल रही है। उनका कहना था कि इन काले कानूनों का असर केवल अल्पसंख्यकों पर नहीं बल्कि देश के करोड़ों पर पड़ेगा। इसलिए जनवादी महिला समिति ने लोगों से आह्वान किया कि मई के महीने में होने वाले एनपीआर की बायकॉट किया जाए।
– रोहतक से हर्षित सैनी