फतेहगंज पश्चिमी (बरेली)। नैमिषारण्य धाम सीतापुर से आए प्रख्यात भागवत कथाव्यास आचार्य अवध किशोर सरस महाराज ने रविवार रात्रि खिरका में श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिन नवधा भक्ति की विस्तृत-सरस व्याख्या की। बड़ी तादाद में कथा स्थल में उमड़े महिला-पुरुष श्रद्धालुओं को समझाया कि नित्य सज्जनों की संगति करना प्रभु भक्ति का एक प्रकार है। बताया-नौ में भक्ति के एक रूप को भी जीवन में अपना लिया जाय तो जीव का कल्याण निश्चित है। कथा व्यास ने बताया कि अटूट श्रद्धा और सच्चा विश्वास न हो तो शिवशंकर भोलेनाथ जैसा रामभक्त पति और अगस्त्य मुनि जैसा महान कथा व्यास पाकर भी जगज्जननी मां सती मोह में फंसकर त्रैलोक्य स्वामी सच्चिदानंद श्री राम को न पहचान पाने और सामान्य मनुष्य मानकर सीता के छद्म रूप में उनकी परीक्षा लेने की आत्मघाती महा भूल कर बैठती हैं। सोमवार को पांचवें दिन कथाव्यास आचार्य अवध किशोर त्रिपाठी ने प्रात:कालीन सत्र में राम वनवास का प्रसंग सुनाते हुए समझाया कि पति के बगैर महिला का जीवन निरर्थक होता है। संतान से भी वह अपने मन की बात नहीं कह पाती है। मां कौशल्या से विदा लेते हुए सीता कहती हैं-पति राम के साथ मुझे भी वनगमन करना पड़ेगा। लेकिन मैं कितनी अभागी हूं कि सास-ससुर को बुढ़ापे में अकेला छोड़़ना पड़ रहा है। हवन, आरती, पूजन, प्रसाद वितरण से कथा को विराम दिया गया। मुख्य यजमान कृष्ण पाल गंगवार, परीक्षित दीपचंद श्रीमाली समेत सभी ग्रामवासी अनुष्ठान में सक्रिय सहयोग कर रहे हैं।।
– बरेली से कपिल यादव