*विकास दलाल नाम का बदमाश मौके पर ढेर। पिछले साल नीमका जेल से इलाज के लिए *फरीदाबाद हॉस्पिटल में आया था वहाँ से अपने साथियों की मदद से फरार हो गया था
नई दिल्ली – पश्चिमी दिल्ली के द्वारका मोड़ थाना के बिंदापुर इलाके में दो गुटों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसे रोकने के लिए पुलिस की ओर से की गई फायरिंग में एक कुख्यात बदमाश विकास दलाल की मौत हो गई है जबकि एक बदमाश घायल हो गया है। इस दौरान अन्य बदमाश फरार होने में कामयाब हो गए।
मृतक बदमाश विकास दलाल के खिलाफ झज्जर, गुरुग्राम व दिल्ली में हत्या, हत्या प्रयास के दर्जनों केस दर्ज थे। मंजीत महाल वासी मितराऊं दिल्ली की गैंग से सम्बंधित था विकास। झज्जर जिले के रेवाड़ी खेड़ा गांव का मूल निवासी था।
बता दें कि बिंदापुर इलाके में दो गुटों के बदमाशों के बीच में फायरिंग हो रही थी। एक कार दूसरी कार का पीछा कर रही थी, जिससे लगातार फायरिंग हो रही थी। ऐसे में जो पीसीआर वैन वहां से गुजर रही थी, उस पीसीआर वैन ने इन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन कार सवार बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। ऐसे में जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोलियां चलाईं, जिसमें एक बदमाश की मौत हो गई। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है।
क्राइम ब्रांच सूत्रों की मानें तो झज्जर के गांव रेवाड़ी खेड़ा निवासी विकास दलाल नजफगढ़ के मंजीत महाल गिरोह का शार्प शूटर था। उसके परिवार का गांव के कुछ लोगों से विवाद हो गया था। इसके बाद उसका परिवार नजफगढ़ आ गया था। गांव के लोगों से बदला लेने के लिए विकास ने अपराध की दुनिया में कदम रखा था। यहीं उसकी मुलाकात मंजीत महाल से हुई।
मंजीत महाल की दुश्मनी कपिल सांगवान उर्फ नंदू गिरोह से है। 29 जनवरी 2017 को मंजीत महाल के पिता किशन की हत्या के बाद उसने साथियों संग नंदू गिरोह के कई सदस्यों को मार डाला। इनमें गुरुग्राम में विक्रांत, नजफगढ़ में दिनेश उर्फ मंगू और बहादुरगढ़ में नरेश की हत्या की थी।
मंजीत महाल छात्र अवस्था मे ही मितराऊं गांव के अनूप-बलराज गैंग से जुड़ गया था। वर्ष 2004 में अनूप की हत्या के बाद खुद गैंग लीडर बन गया था। हाल में मनजीत तिहाड़ जेल में बंद है।
विकास दलाल ने अपने गांव के विरोधी परिवार से बदला लेने के लिए अपराध दुनिया में कदम रखा। वर्ष-2010 में विकास ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर गुड़गांव के तावड़ में ट्रक लूटा। इस मामले में विकास पकड़ा गया था। जेल में वह दिल्ली के गैंगस्टर मंजीत महाल के संपर्क में आया।
वर्ष 2011 में जेल से बाहर आने के बाद इसने कृष्ण पहलवान गिरोह के बदमाश वरुण जांगड़ा के साथ प्रॉपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया। विवाद होने पर विकास ने वरुण का साथ छोड़ दिया तो वरुण ने विकास के पिता ओमप्रकाश की बेइज्जती कर दी थी। इस पर ओमप्रकाश ने खुदकुशी कर ली थी। इसका बदला लेने के लिए विकास ने साथियों के साथ अक्तूबर-2014 में वरुण की हत्या कर दी। वर्ष 2016 तक जेल में रहने के बाद में ये पेरोल जंप कर गया और दिचाऊं कलां के गैंगस्टर कृष्ण पहलवान की हत्या करने के लिए मंजीत महाल गिरोह में शामिल हो गया था। विकास इस गैंग की ओर से की गई सात हत्याओं व लूट की वारदातों में शामिल रहा है। जून 2017 में यह गिरफ्तार हुआ था।
गांव की पुरानी रंजिश में 17 फरवरी-2017 को विकास ने गांव रिवाड़ी खेड़ा निवासी सुरेंद्र के ऊपर जानलेवा हमला किया, इस हमले में सुरेंद्र बच गया। इसके बाद 19 अप्रैल, 2017 में विकास ने अपने साथियों के साथ मिलकर सुरेंद्र के भाई अमित उर्फ मित्ता की हत्या कर दी। अमित की हत्या के बाद ही यह सिलसिला नहीं थमा।
16 अप्रैल, 2018 को विकास अपने साथियों सहित फिर से सुरेंद्र को मारने के लिए रिवाड़ी खेड़ा आया। लेकिन रात के अंधेरे में सुरेंद्र के बजाय गोलियां सुनील को लग गई, जिससे उसकी मौत हो गई। दो हत्याओं के मामले में विकास और उसके सात साथी जेल में बंद थे। सुरेंद्र इन मामलों में गवाह है। गत 20 सितंबर, 2018 को विकास ने फिर से सुरेंद्र पर जानलेवा हमला कराया था।