अजमेर हादसे से स्मार्ट सिटी की खुली पोल,विपक्षी राजनीति तेज

अजमेर/राजस्थान – अजमेर के निकट तबीजी में कल हुए सड़क हादसे को विपक्ष के नेताओ ने राजनीति का विषय बनाया।
विपक्ष ने स्मार्ट सिटी, अस्पताल व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए । ज्ञातव्य है कि रविवार सुबह एक डम्पर और रोडवेज बस में जोरदार भिड़ंत हो जाने से यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई घायलों का इलाज अजमेर के जेएलएन अस्पताल में चल रहा है। बस पाली से अजमेर की ओर आ रही थी कि तभी गलत दिशा से आया डम्पर भिड़ गया। भिड़ंत इतनी तेजी थी बस का कंडक्टर साइड वाला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। यात्रियों के शव खिड़कियों में फंस गए, जिन्हें बड़ी मुश्किल से निकाला। एक यात्री की तो गर्दन ही अलग हो गई।
विपक्ष का कहना है कि इस हादसे से अजमेर के स्मार्ट सिटी होने की भी पोल खुल गई। सबसे पहले तो मौके पर राहत कार्य देरी से शुरू हुए, जिससे घायलों को भी विलंब से अस्पताल पहुंचाया जा सका। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुलिस भी देरी से आई। हालांकि हादसे के तुरंत बाद एम्बुलैंस के लिए 108 पर फोन कर दिया गया था।
*अस्पताल में पर्याप्त सुविधा नहींः*
अजमेर के जेएलएन अस्पताल को संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल माना जाता है। स्मार्ट सिटी योजना में भी करोड़ों रुपए के कार्य अस्पताल में करवाए जा रहे हैं। लेकिन आज जब अस्पताल में अधिक चिकित्सा की जरुरत हुई तो सारी पोल खुल गई। अस्पताल की आपातकालीन इकाई में मात्र 18 पलंग ही थे, जबकि तबीजी हादसे में घायलों की संख्या 24 से अधिक थी। अस्पताल के प्राचार्य का तर्क रहा कि नई आपातकालीन इकाई बनाई जा रही है इसलिए अस्थायी इकाई में थोड़े ही पलंग हैं। गंभीर बात यह है कि नई इकाई का कार्य पिछले एक वर्ष से चल रहा है। इस कार्य को लेकर भी कई बार शिकायतें हो चुकी है। सवाल उठता है कि जब 24घायलों को भी तत्काल चिकित्सा सुविधा नहीं मिल सकती तो फिर करोड़ों रुपए क्यों बर्बाद किए जा रहे हैं। विपक्षी पार्टी का कहना है कि दिखावे के लिए शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी अस्पताल आए, लेकिन उनके आने का मकसद सिर्फ प्रचार करना था।
देवनानी का कहना रहा कि उन्होंने घायलों के निःशुल्क इलाज के निर्देश दिए हैं। शायद देवनानी को यह नहीं पता कि सरकारी अस्पतालों में पहले से ही निःशुल्क इलाज की व्यवस्था है।
*मुर्दाघर का बुरा हालः*
12 शवों के एक साथ आने से स्मार्ट सिटी वाले मुर्दा घर की भी पोल खुल गई। मुर्दाघर में दो ही फ्रीज हैं जो पहले से भरे थे। ऐसे में तबीजी हादसे के शवों को यूं ही पटक दिया। चूंकि परिजन के आने में विलम्ब हुआ, इसलिए शवों को मुर्दाघर में रखवाया गया। जब मुर्दाघर में शवों को भी सम्मान के साथ नहीं रखा जा सकता तो फिर जेएलएन अस्पताल को संभाग के सबसे बड़े अस्पताल का दर्जा क्यों दिया जाता है।

*प्रशासन ने की मदद की घोषणा*

मृतकों के परिवार को 50 हजार और गंभीररूप से घायलों के परिजन को 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता की घोषणा की है।

रविवार सुबह पाली आगार की बस तबीजी के निकट दुर्घटनाग्रस्त हो गई। रोडवेज बस सामने से गलत दिशा में आए डम्पर से टकरा गई। पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से घायलों व मृतकों के शवों को बाहर निकाला। रामगंज, आदर्शनगर व मांगलियावास की एम्बुलेंस से उन्हें जवाहरलाल नेहरू अस्पताल पहुंचाया।
*हादसे में ये थे मृतक*
हादसे में मृतकों में उत्तर प्रदेश कन्नौज निवासी अरुणकुमार, ब्यावर सुन्दरनगर निवासी ताराचंद कुमावत, राजसमन्द हीरा का बाडिय़ा निवासी दिलीपसिंह, पाली सोजतसिटी निवासी जिसान पुत्र मोहम्मद सईद की घटनास्थल पर दर्दनाक मौत हो गई।

वहीं बूंदी निवासी कुलदीप सिंह की एक साल बेटी नायरा व बस के परिचालक भरतपुर कामा निवासी साबिर खान की उपचार के दौरान मौत हो गई। मांगलियावास थाना पुलिस ने दुर्घटना में घायल भीम निवासी मोहनसिंह रावत की शिकायत पर डम्पर चालक के खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाकर हादसाकारित करने का प्रकरण दर्ज किया है।

*हादसे में यह है घायल*

सोजत सिटी निवासी शाहिरा पत्नी मोहम्मद सईद, शाहिनी पुत्री मोहम्मद सईद, भीलवाड़ा बदनोर कुम्बलाई प्रहलाद गुर्जर व उसकी पत्नी लक्ष्मी, जयपुर गोविन्दगढ़ निरूना निवासी नरेन्द्रसिंह सेन, नागौर खूनखूना खरवालिया निवासी कल्याण सिंह, सिरोही बाबा गांव निवासी अरविन्द व्यास, उसकी पत्नी रेखा व पुत्री रितिका घायल हो गए।

अलवर अरावली विहार निवासी सुदर्शनदेव वर्मा व उनकी पत्नी लता, पाली सेंदड़ा गिरी निवासी मानवेन्द्रसिंह, राबडिय़ावास निवासी नौरत कुमावत, बूंदी निवासी ज्योति कंवर पत्नी कुलदीप सिंह, कोलकाता निवासी शुभंकर राम, राजसमन्द भीम बादनी निवासी मोहनसिंह रावत, आनन्दसिंह रावत, रायपुर बिराटिया निवासी गौतम मेघवंशी, बादामी मेघवंशी, सोजत सिटी निवासी मोहम्मद सईद जख्मी हो गए। घायलों को जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में भर्ती करवाया है।
– दिनेश लूणिया,राजस्थान

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