कुशीनगर- सूबे मे गतिमान 68500 शिक्षक भर्ती परीक्षा शुरू से ही विवादों के घेरे मे रही है तथा एक के बाद एक संशोधन होते रहे हैं।इसी क्रम मे एक बार पुनः अर्हक अंकों मे संशोधन करते हुए सरकार ने तत्संबंधी शासनादेश कल जारी कर दिया।
बता दें सूबे की बहुप्रतीक्षित 68500 शिक्षक भर्ती परीक्षा उच्च न्यायालय मे अर्हक अंकों एवं परीक्षा को लेकर चुनौतियों के हिचकोले खा रही है।इन चुनौतियों से निपटने एवं अभ्यर्थियों के मनोभावों को बदलने के लिए सरकार ने एक बार पुनः अर्हक अंकों को घटाकर संशोधित शासनादेश निर्गत कर दिया। कल विशेष सचिव उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार अब सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को कुल 150अंकों मे से न्यूनतम 49अंक अर्थात 33प्रतिशत अंक हासिल करने होंगे जबकि पूर्व मे यह उत्तीर्णांक 67अंक अर्थात 45प्रतिशत था।साथ ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए अब कम से कम 45अंक अर्थात 30प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे तभी उन्हें उत्तीर्ण होने का प्रमाण पत्र निर्गत किया जाएगा, किन्तु अभ्यर्थी शासनादेश को असंवैधानिक बताते हुए इसे चुनौती देने की बात कह रहे हैं।इस संदर्भ मे पंकज कुमार शाही, इस्तेखार अंसारी,ओमप्रकाश, वकील कुशवाहा, ईश्वर चन्द गुप्त, सरिता गुप्ता, रामनरेश शर्मा, पुरंजय प्रजापति,ईशा अली, जब्बार अंसारी आदि अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार को परीक्षा मे उत्तीर्णांक निर्धारित करने का अधिकार नही है।सरकार उत्तीर्णांक निर्धारित कर NCTE के नियमों का उल्लंघन कर रही है।यह सरकार के तानाशाही शासन और रोजगार विरोधी नीतियों का जीता-जागता उदाहरण है।
– कुशीनगर से जटाशंकर प्रजापति की रिपोर्ट