सराहनीय:डीजीपी ने जाना दुःख दर्द और 68 सिपाहियों के साथ ढाबे पर खाया खाना

लखनऊ – यूपी के डीजीपी ओ पी सिंह ने एक ग़ैर परम्परागत तरीक़ा अपना कर सराहनीय पहल की शुरुआत की है।जिसके तहत सूबे में हर छह महीने में अच्छा काम करने वालों सिपाहियों को सुपर कॉप का तमग़ा मिलेगा। अक्सर अपने कारनामों की वजह से चर्चा में रहने वाली यूपी पुलिस अपनी छवि को लेकर बेहद संजीदा है और शायद यही वजह है कि खुद डीजीपी ओ पी सिंह इसकी सूरत बदलने की तैयारी कर रहे रहे है।

जानकारी के अनुसार डीजीपी ने पिछले छह महीने बेहतर काम करने वाले 68 सिपाहियों के साथ ढाबे पर खाना खाया, उनका दुःख दर्द सुना, काम करने के तरीके पर सुझाव मांगा और उनकी हौसला अफ़ज़ाई की। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ख़ुद कई बार बोल चुके हैं कि अगर थाने ठीक से काम कर जाएं तो आधी आबादी को कई मामलों में राहत मिल जाए। योगी सरकार ने कई बार ख़ाकी की दबंगई और लापरवाही को संज्ञान में लिया और विभागीय कार्यवाही भी की।पुलिस की इमेज जनता में ठीक बने इसके लिए यूपी के डीजीपी ओ पी सिंह ने एक ग़ैर परम्परागत तरीक़ा अपनाया है, सूबे में हर छह महीने में अच्छा काम करने वालों सिपाहियों को सुपर कॉप का तमग़ा मिलेगा।

लखनऊ बुलाकर इन्हें ख़ुद पुलिस के सबसे बड़े अधिकारियों और मुखिया के साथ डे आउट करने और लंच करने का मौक़ा मिलेगा। इस दौरान वो सीधे अपना दुःख दर्द, ड्यूटी की दिक़्क़तों को अपने मुखिया के साथ साझा कर सकेंगे।लखनऊ में आज पहली बार बने सुपर कॉप को डीजीपी ने ढाबे में ले जाकर न सिर्फ़ लंच कराया बल्कि सुझाव भी मांगे।

ऐसा क्यों करना पड़ रहा है इसके लिए एक आंकड़े के मुताबिक़ यूपी पुलिस में लगभग ढाई लाख कर्मचारी हैं, जिनमे सिर्फ सिविल पुलिस की बात करें तो उनकी तादाद एक लाख 95 हजार के आस पास है। अमूमन 200 लोगों पर एक पुलिसवाला होना चाहिए जबकि यूपी में 1200 लोगों पर एक पुलिसवाला है। 2 फ़ीसदी पुलिस फोर्स तो माननीयों की सुरक्षा में लगी रहती है इसके अलावा ट्रैफिक, रेल और वीआईपी कार्यक्रमों और मूवमेंट में भी इनकी तैनाती दी जाती है। धरना प्रदर्शन, झगड़ा फसाद, हिंसा, दंगा, रेड में भी इनकी भूमिका रहती है. एक आंकड़े के मुताबिक 90 फ़ीसदी पुलिस वाले आठ से ज्यादा ड्यूटी करते हैं।जबकि 75 फ़ीसदी ड्यूटी की वजह से त्यौहार अपने परिवार के साथ नहीं मनाने को मजबूर होते हैं।जिसकी वजह से उनका शारीरिक तनाव बना रहता है और उसका परिणाम उनके लट्ठमार व्यवहार के जरिये निकलता है।

इन्ही वजहों को लेकर सूबे के डीजीपी ने इस कदम को उठाया ।जो कि एक सराहनीय पहल भी है और बदलाव की कोशिश भी।

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