लखनऊ-आज अपने लखनऊ स्थित आवास पर राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने होली स्नेह मिलन का आयोजन किया। पिछले दिनों स्वाइन फ्लू रोग को लेकर सरकार और राजभवन आमने-सामने हो गए थे। इस विवाद के चलते आज तक भी कल्याण सिंह और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच शिष्टाचार मुलाकात भी नहीं हुई है।
बता दें कि स्वाइन फ्लू होने के बाद राज्यपाल को रातों रात विशेष विमान से जयपुर से दिल्ली जाना पड़ा था। राजस्थान सरकार का आज भी दावा है कि राज्यपाल को स्वाइन फ्लू हुआ था। लेकिन राज्यपाल का कहना है कि उन्हें स्वाइन फ्लू हुआ ही नहीं। ऐसे तनातनी के माहौल में ही 17 मार्च को राज्यपाल ने इशारे ही इशारे में बहुत संकेत दे दिए उन्होंने कहा कि राजनीति में जहां सम्मान नहीं होता वहां सत्यानाश हो जाता है। अहंकार आने के बाद बर्बादी शुरू हो जाती है। ऐसा कहते समय उनकी मन की वेदनाओं को साफ देखा जा सकता था।उन्होने कहा कि जनता खुश होती है तो बेड़ा पार और जब नाराज हो जाती है तो बंटाधार हो जाता है। उन्होने बताया कि कई बार अधिकार भीख मांगने से नहीं थप्पड़ मारने से मिलते हैं। उन्होंने कहा कि मैं एक संवैधानिक पद पर बैठा हुआ हूँ इसलिए ज्यादा नहीं बोल सकता। लेकिन इशारे को समझा जा सकता है। यह सही है कि राज्यपाल ने सरकार के रवैये को लेकर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन राज्यपाल ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि राजभवन संतुष्ट नहीं है।
बता दें कि सब जानते हैं कि राज्यपाल कल्याण सिंह भाजपा के दिग्गज नेता रहे है। लेकिन स्वास्थ खराब होने की वजह से राजनीति में सक्रिय नहीं है। कल्याण सिंह को सम्मान देने के लिए ही राज्यपाल बनाया गया है। चूंकि राजनीति में कल्याण सिंह का लम्बा संघर्ष और इतिहास रहा है कि इसलिए वे अपने नजरिए से राज्यपाल पद का निर्वाह करते हैं। यह पहला मौका नहीं है जब राज्यपाल और सरकार के बीच तनातनी हुई है। इससे पहले भी विश्वविद्यालयों के कामकाज को लेकर कल्याण सिंह अपनी नाराजगी जता चुके हैं।यही कारण रहा था कि लगातार कई विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल नहीं गए थे।
यहा यह एक एक संयोग ही कहा जा सकता है कि 17 मार्च को ही जयपुर में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से मीडिया के लिए होली स्नेह मिलन समारोह आयोजित किया गया है।
-देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा