नौसिखियों के हाथों में नौनिहालों की जिंदगी:प्रशासन बना है मूक दर्शक

मुज़फ्फरनगर- जी हाँ यह जानकर आपको अचम्भा और आश्चर्य जरूर होगा कि जनपद मुज़फ्फरनगर में खुले अधिकतर पब्लिक स्कूलों में चलने वाली बसों टैम्पो आदि वाहनों को चलाने वाले चालक जहां कम उम्र व कम तजुर्बे के देखने को मिल जायेंगे वहीं इन बड़े बड़े वाहनों को नौसिखियें चालक ही अधिकतर चलाते है जिनके वाहन चलाने के ड्राइविंग लाइसेंस भी फोर व्हीलर के होते है जबकि बड़े वाहन एवं कामर्शियल वाहनों को चलाने के लिए चालक के पास हैवी लाइसेंस होना अनिवार्य होता है इन नौसिखियें चालकों की वजह से जनपद में आये दिन कोई न कोई सड़क हादसे होते ही रहते है वहीं दूसरी तरफ जनपद मु नगर जब दिल्ली एनसीआर जिला घोषित हो चुका है तो फिर आखिर जनपद में पुराने व खटारा वाहन आखिर किसकी शह पर चल रहे है।

ताजा मामला भी आज सुबह का है जहां थाना चरथावल क्षेत्र में एक स्कूली बस चालक बस में खचा खच स्कूली बच्चों को भरकर स्कूल की तरफ जा रहा था ।जल्दबाजी के चक्कर में बस की स्पीड भी काफी अधिक थी वहीं किसी कारण बस चालक का बस से नियंत्रण हट गया और बस गहरी खाई में जाकर पलट गई ।

गनीमत रही स्कूली बच्चों को हल्की फुलकी चोटें ही आई है अन्यथा किसी बड़े हादसे से भी इंकार नही किया जा सकता था बस में करीब 35 बच्चे सवार थे।उधर बस पलटने की सूचना पर यूपी 100 डायल के साथ ही थाना प्रभारी थाना चरथावल विंध्याचल तिवारी भी तुरन्त घटना स्थल पर पहुंचे और घायल बच्चों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया ।वहीं जिस वक्त यह बस गहरी खाई में गिरी उसी बीच बस खाई में खड़े एक पेड़ के आ जाने से बच्चों की जिदंगी बची।

उधर ग्रामीणों और बच्चों के परिजनों का आरोप है कि बस चालक बस में कई कई गांवों के बच्चों को भूसे की तरह ठूस कर ले जाते है।साथ ही साथ उन्होंने कहा की यहां चलने वाली कुछ गाडियों की फिटनेस सही न होने के कारण नौनिहालों की जिन्दगी से खिलवाड़ कर रहे है यहां के स्कूल प्रबंधक उनका कहना था कि पहले भी काफी लम्बे समय तक चर्चाओं में रहा है चरथावल का यह नालन्दा पब्लिक स्कूल ।

ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा की बच्चों के अभिभावकों से मनमर्जी की फीस वसूली जाती है
सुविधा के नाम पर,यदि कोई अभिभावक शिकायत करता है तो स्कूल प्रबंधक बच्चों का नाम काटने की धमकी देता है। तो वहीं परिवहन विभाग भी इस ओर आंखें मूंदे बैठा है जो जनपद में शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में चलने वाली स्कूली बसों , टैम्पों की फिटनेस रख रखाव बॉडी आदि के साथ ही उनके चालकों के कागजात जैसे ड्राइविंग लाइसेंस और कहीं चालक ने कोई नशा आदि तो नही कर रखा है कि चैकिंग तक नही करता है सिर्फ विभागीय कागजो तक ही सीमित होती है परिवहन विभाग यह कार्यवाही।

शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी अपनी जेबे भरने में लगे हुए है कार्यालय में बैठकर होती है उनकी सारी ओपचारिकताए पूरी आधे स्कूलों का तो शिक्षा विभाग को पता ही नही चलता की कौन सा स्कूल कहाँ और कितनी कक्षाएं तक चल रहा है सब नीचे के कर्मचारी मलाई लेकर खिलाते है इन अधिकारियों को । वहीं जब इस सम्बन्ध में थाना पुलिस से बात की तो उनका कहना था की अभी स्कूली बच्चों के अभिभावकों की तरफ से कोई तहरीर या शिकायत नही आई है यदि शिकायत आती है तो स्कूल प्रबन्धक और बस चालक के खिलाफ कार्यवाही होगी ।

रिपोर्ट भगत सिंह,मुजफ्फरनगर

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