इसलिए उत्तराखंड पुलिस को देव पुलिस भी कहते है

उत्तराखंड/देहरादून- दून पुलिस ने आदर्श पुलिस होने की उत्कृष्ट मिसाल पेश की साथ ही साथ समाज को आईना दिखा रही खाकी।
जानकारी के अनुसार चार दिन पहले धर्मावाला पुलिस चौकी (थाना सहसपुर) ने एक ट्रक से 9 बैलों को बरामद किया था जिन्हें गौतस्कर कटान के लिए मुरादाबाद ले जा रहे थे। मुक्त कराये गए बैलों को रखने के लिए कोई उपयुक्त स्थान न मिलने के कारण बचाये गए बैलों को धर्मावाला चौकी में रखा गया। कोई कथाकथित गौरक्षक इन बैलों को ले जाने नही आया, न ही पशु रक्षा के नाम पर समाज से मोटा चन्दा लेने करने वाले कथाकथित पशु प्रेमी संगठन फटके, कारण था इन बैलों पर होने वाला खर्च। एक बैल का लगभग दिन में 300 रुपये चारे/चोखर का खर्च आता है परंतु थानाध्यक्ष नरेश सिंह राठौड़ और चौकी प्रभारी रंजीत खनेड़ा ने स्वयं इन बैलों की ज़िम्मेदारी उठाई और समाज को दिखाया। शायद इसी लिए ही उत्तराखंड पुलिस को ‘देव पुलिस’ कहा जाता है। साथ ही धर्मावाला के ग्रामीण भी पुलिस के साथ गौसेवा में जुट गए।
सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर जब यह खबर वायरल हुई तब समाज की आँखे खुली और आज इन बैलों को बुड्ढी गांव स्थित गौशाला में भेजा जा रहा है।
– अमित तोमर,एडवोकेट

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