पटना/बिहार- मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौनशोषण मामले में बडा़ फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने मीडिया रिपोर्टिंग पर लगी रोक को हटा दिया है। साथ ही न्यायालय ने कहा है कि इंटरव्यू पर रोक लगी रहेगी और साथ ही पीड़ित का चेहरा दिखाने पर भी पाबंदीे लगी रहेगी।
इसी के साथ उच्चतम न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा है कि अब वो खुद इस मामले की जांच की मॉनिटरिंग करेगी। कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट को आदेश दिया है कि वो इस मामले में अपनी सुनवाई टाल दे। कोर्ट ने सीबीआई को चार हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। इससे पहले पटना हाईकोर्ट सीबीआई जांच की मॉनिटरिंग कर रही था।
कोर्ट का आदेश-ब्रजेश ठाकुर की संपत्ति की जांच हो:-
शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर पर सख्ती दिखाते हुए आइटी विभाग से उसकी संपत्ति की जांच करने का निर्देश दिया है। वहीं कोर्ट ने चंद्रशेखर, मंजू वर्मा के अवैध हथियार की जांच करने का आदेश देते हुए बिहार सरकार के दिए गए साढ़े चार करोड़ रुपये अनुदान की भी जांच करने को कहा है।कोर्ट ने पैसे हिसाब बताने को कहा है कि शेल्टर होम के जारी पैसे का इस्तेमाल कब और कहां हुआ?
इसके साथ ही कोर्ट ने बिहार सरकार को आदेश दिया है कि जिन लड़कियों को ब्रजेश ठाकुर संचालित शेल्टर होम से कहीं और शिफ्ट किया गया है उस बारे में हलफनामा दायर करें।
बता दें कि पटना हाइकोर्ट ने मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर यह कहकर रोक लगा दी थी कि इससे जांच प्रभावित होता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में पटना हाईकोर्ट के उस आदेश को रद कर दिया था, जिसमें नई जांच टीम बनाने की बात कही गई थी।
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को हुई सुनवाई में सवाल किया था कि मामले की जांच के लिए नई टीम बनाने का कोई औचित्य नहीं है, इससे जांच भी प्रभावित हो सकती है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
गौरतलब है कि टिस की अॉडिट रिपोर्ट से मुजफ्फरपुर बालिका गृह में चालीस बच्चियों और महिलाओं के साथ हुए यौन शोषण के मामले का खुलासा हुआ था। इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। वहीं इस मामले के खुलासे के बाद बिहार की तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को इस्तीफा भी देना पड़ा था।