‘‘इस्लाम में मर्दो को एक भी निकाह करने की इजाजत नहीं ‘‘
बाराबंकी – ‘‘इस्लाम में मर्दो को एक भी निकाह करने की इजाजत नहीं ‘‘। एक मर्द चार औरतो से निकाह नहीं करता,बल्कि सच तो यह है कि चार औरते एक मर्द से निकाह करती है यह बात इमाम बाड़ा मीरमासूम अली कटरा में मरहूमा इस्मत यूसुफ बिन्ते यूसुफ हुसैन जौजा स्व० मकासिद हुसैन प्रसिद्ध शायर आजर बाराबंकवी की चालीसवे की मजलिस को खिताब करते हुये आफताबे शरीयत आली जनाब मौलाना सै० कल्बे जवाद नकवी ने कही । उन्होंने ये भी कहा पहले औरत की तरफ से बहैसियत वकील मौलाना कहते है कि मै तुमसे निकाह करती हूँ तब मर्द कि तरफ से नियुक्त बहैसियत वकील मौलाना कहता है कबूल है औरतो को जितना हक इस्लाम ने दिया उतना किसी मजहब ने नहीं दिया । इल्म की कमी की वजह से लोग इल्जाम लगाते है । जब तक किसी के बारे में पूरा इल्म न हो तब तक उस पर उंगली नहीं उठाना चाहिए । इस्लाम में पहले प्रैक्टिकल है , बाद में थ्योरी है । रसूल ने चालीस साल प्रैक्टिकल करके दिखाया पहले,दुनिया में थ्योरी के रूप में कुरआन आया बाद में । इस्लामी जिंदगी के लिए अमली नमूना जरूरी है । वरना इस्लाम का नतीजा भी वही होगा जो कमनिजम का हुआ । अंत में रसूल की बेटी व कर्बला वालो के मसायब पेश किये जिसे सुनकर मोमिनीन रो पडे । मजलिस से पूर्व डॉ रजा मोरांवी ने पढ़ा- शहादतों का समर भी अजब समर है रजा,मै जिससे तोडा गया था उसी से जोड़ा गया । अजादार अजमी लखनवी ने पढ़ा-नसले हलाक कर गये बुगजे हुसैन में,कैसे शजर थे अपने ही पत्तो को खा गये । सलीम बलरामपुरी ने पढ़ा-दार से हरजते मीसम ने बताया है हमे,अपने अल्फाज को तलवार बनाये कैसे। अहमद रजा लखनवी,मीना जाफराबादी, कशिश सण्डीलवी, बाकर नकवी,हुजैफा आदि ने भी नजरनाये अकीदत पेश किया । बानिए मजलिस नदीम अब्बास,कलीम रिजवी व उनके भाइयो ने सभी का शुक्रिया अदा किया ।?
साभार- पत्रकार मोहम्मद शमीम अंसारी बाराबंकी 9889789714
