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समाज की असंवेदनशीलता:हमारी शिक्षा प्रणाली, नैतिकता,मानवता, उदारता के स्तर पर पर खरी उतरने में असफल..?

हम एक ऐसे समाज में शायद जीवन व्यतीत कर रहे हैं जो बौद्धिक स्तर पर बीमार..!

हर एक वर्ग का अपना एक समाज होता है। पशुओं का अपना समाज है, पक्षियों का अपना, और ऐसे ही मानव का भी अपना समाज है। लेकिन मानव समाज इन सबसे खूबसूरत होने के साथ ही सबसे ज्यादा खतरनाक भी, क्योंकि यह समाज अन्य समाजों को नष्ट करने के साथ-साथ खुद को भी खत्म कर सकता है। हाल में मध्य प्रदेश के गुना जिले में एक गर्भवती महिला के साथ समाज ने जो अमानवीय व्यवहार किया, वह हमारे समाज की असंवेदनशीलता को बताने के लिए काफी है।
एक गर्भवती महिला के कंधों पर एक व्यक्ति को बैठा कर सरेआम गांव में घुमाया गया और रास्ते भर उस महिला को डंडों से पीटा गया। इससे भी ज्यादा शर्मनाक यह कि इस दौरान वहां खड़े लोग इसका विरोध करने की तमाशा देखते रहे। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि ऐसी घटना को अंजाम देने वाले मनुष्य तो नही हो सकते।
यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह वही समाज है जो महिला को देवी का रूप बता कर नवरात्रों में इसकी पूजा का ढोंग करता है! अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना कर तमाम अधिकारों की दुहाई दी जाती हैं!और फिर ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है? और हम चुपचाप देखते रहते हैं₹ जरा सोचिए कि उस महिला के गर्भ में पल रहा बच्चा जो अभी इस समाज की क्रूरता से अपरिचित है, जब जन्म लेगा और बड़ा होगा और उसकी मां उसे समाज के बारे में क्या बताएगी तो उसके मन में इस समाज का सम्मान रह जाएगा।गावों में होने वाली ऐसी अमानवीय घटनाओं के पीछे कई कारण होते हैं। ग्राम पंचायतें ऐसे मामलों को सक्रियता से नहीं लेती, क्योंकि वे मान कर चलती हैं कि यह काम पुलिस का है। फिरक स्थानीय महिलाओं में भी जागरूकता और शिक्षा का अभाव है, जिसके कारण वे ऐसी घटनाओं का विरोध नहीं कर पातीं। हमारी शिक्षा प्रणाली जो नैतिकता, मानवता, उदारता के स्तर पर पर खरी उतरने में असफल रही और यही कारण है कि हम एक ऐसे समाज में शायद जीवन व्यतीत कर रहे हैं जो बौद्धिक स्तर पर बीमार हो चुका है। इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में देखने को न मिलें, इसके लिए अब सरकार को दोषियों को सख्त से सख्त सजा देनी होगी।

– साभार सोशल मीडिया

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