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रक्षाबंधन का धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व?

इस बार रक्षा बंधन 26 अगस्त को है और इस दिन का इंतजार सभी बहने करती हैं | ये भाई-बहन के रिश्ते का सबसे प्यारा त्योहार है और इसे पुरे देश में हर हिस्से में मनाए जाने वाले इस त्योहार है | इस त्योहार की तैयारी हप्ता दस दिनों पहले ही से करती है | रक्षा सूत्र या राखी का चुनाव बहुत है मन से करती है | श्रावण मास की पूर्णिमा को पड़ने वाले इस पर्व के लिए बाजार भी सज जाती है और साथ में मिठाइयों की दुकाने भी सजी जाती है | अगर भाई साथ में ना हो कहीं दूर रहते हो तो डाक के माध्यम से उनके पास राखी भेजवाती है | इसी प्रकार भाइयों को अपनी बहनों से भेजी राखी का इन्तजार रहती है |
सुभद्राकुमारी चौहान ने शायद इसी का उल्लेख अपनी कविता, ‘राखी’ में किया है:

मैंने पढ़ा, शत्रुओं को भी
जब-जब राखी भिजवाई
रक्षा करने दौड़ पड़े वे
राखी-बन्द शत्रु-भाई॥

राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षा सूत्र के रूप मैं अपने आंचल का टुकड़ा बांधा थी | इसी के बाद से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हो गई | ब्राहमणों द्वारा अपने यजमानों को राखी बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है | इस दिन वेदपाठी ब्राह्मण यजुर्वेद का पाठ आरंभ करते हैं इसलिए इस दिन शिक्षा का आरंभ करना अच्छा माना जाता है |

राखी के साथ एक और अनेक ऐतिहासिक प्रसंग जुड़ा हुआ है। मुग़ल काल के दौर में जब मुग़ल बादशाह हुमायूँ चितौड़ पर आक्रमण करने बढ़ा तो राणा सांगा की विधवा कर्मवती ने हुमायूँ को राखी भेजकर रक्षा वचन ले लिया। हुमायूँ ने इसे स्वीकार करके चितौड़ पर आक्रमण का ख़्याल दिल से निकाल दिया और कालांतर में मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज निभाने के लिए चितौड़ की रक्षा हेतु बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मवती और मेवाड़ राज्य की रक्षा की।
एक अन्य प्रसंग इस प्रकार है
सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरूवास को राखी बाँध कर अपना मुँहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया । पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवनदान दिया।

ऐतिहासिक युग में भी सिकंदर व पोरस ने युद्ध से पूर्व रक्षा-सूत्र की अदला-बदली की थी। युद्ध के दौरान पोरस ने जब सिकंदर पर घातक प्रहार हेतु अपना हाथ उठाया तो रक्षा-सूत्र को देखकर उसके हाथ रुक गए और वह बंदी बना लिया गया। सिकंदर ने भी पोरस के रक्षा-सूत्र की लाज रखते हुए और एक योद्धा की तरह व्यवहार करते हुए उसका राज्य वापस लौटा दिया।

ये भारत सहित विश्व के अनेक देशों में मनाया जाता है |

-अजय कुमार प्रसाद, कटिहार, बिहार

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