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नहीं लग पा रही पूर्ण रूप से बाल विवाह पर रोंक

बाल विवाह हमारे समाज मे एक जघन्य अपराध है । इस पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए । सरकार और समाज के बुद्धिजीवी लोगो को भी इस प्रकार को रोकने के लिए सफल कदम उठाना चाहिए ।
बाल विवाह से आशय है कि जब दो बच्चों को उनके परिवारों की सहमति से एक दूसरे से शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है। इसमें विवाह के वास्तविक अर्थ और इसके महत्व को जाने बिना बच्चों को शादी करने के लिए बाध्य किया जाता है। तो वो बाल विवाह कहलाता है ।
भारत देश मे सरकार द्वारा विवाह के लिए एक मानक तैयार किया गया है । जिसमे लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल होना जरूरी है । और अगर इससे कम उम्र में शादी होती हैं , या फिर करवाई जाती हैं तो इसे बाल विवाह कहा जाता है ।
और मानवधिकार का उल्लघंन माना जाता है ।बाल विवाह लंबे समय से देश मे एक बड़ा मुद्दा रहा है । क्योंकि इसकी जड़ें पारंपरिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से समाज मे फैली हुई हैं।।
अगर हम 2011 की जनगणना उठा कर देखे तो भारत मे 1 मिलियन लड़कियों की शादी 18 साल से पहले शादी कर लेती है
बाल विवाह का भारत में लम्बा इतिहास रहा है। दिल्ली सल्तनत के समय से ही बाल विवाह का प्रचलन रहा है। विदेशी शासकों द्वारा बलात्कार और अपहरण से लड़कियों को बचाने के लिए भारतीयों ने बाल विवाह का इस्तेमाल हथियार के रूप में किया। बाल विवाह का एक अन्य सामाजिक कारण यह है की घर के बड़े-बुजुर्ग जीवित रहते ही अपने परनाती-परपोते का चेहरा देख लेना चाहते हैं इसलिए बच्चों का बचपन में ही विवाह करा दिया जाता है।

बाल विवाह के प्रभाव : जब एक बार बच्चों की शादी कर दी जाती है, तो लड़की को अपने घर छोड़ने और दूसरे स्थान पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। बचपन में उसे वे भूमिकाएं लेने के लिए मजबूर किया जाता है जिनके लिए वह मानसिक रूप से तैयार नहीं है।

माँ और बहू और पत्नी जैसे बड़ी जिम्मेदारियों को निभाना एक छोटी बच्ची के लिए मुश्किल हो जाता है। अंततः यह स्थिति उन्हें अलगाव और अवसाद की ओर जाती है। लड़कों के लिए भी यह स्थिति उतनी ही गंभीर है जितना की लड़कियों के लिए। उन्हें बचपन से ही अपनी और अपनी पत्नी की जिम्मेदारियां उठानी पड़ती हैं। स्वयं अपना खर्चा चलाना पड़ता हैं।

होता यह है की खेलने और पढ़ने-लिखने की उम्र में ही उनसे उम्मीद की जाती है की वो बड़ों की तरीके व्यवहार करें जिससे उनका बचपन खो जाता है। बाल विवाह से एचआईवी जैसे यौन बीमारियों के संक्रमित होने का एक बड़ा खतरा होता है। इसके अलावा ऐसी मां से पैदा होने वाला बच्चा जन्म के समय कम वजन का या कुपोषण से पीड़ित होने की अधिक संभावना बनी रहती है।

भारत में, केरल राज्य में बाल विवाह अभी भी प्रचलित हैं, जबकि यह उच्चतम साक्षरता दर वाला राज्य है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में, शहरी की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह अधिक प्रचलित है। बिहार में बाल विवाह की दर सबसे अधिक 68 प्रतिशत है जबकि हिमाचल प्रदेश में सबसे कम 9% है।

भारत में बाल विवाह को रोकने के लिए कानून: भारतीय संविधान विभिन्न कानूनों और अधिननयमों के माध्यम से बाल विवाह को रोकने का प्रबंध करता है। सबसे पहला कानून जो बनाया गया था बाल विवाह अधिनियम 1 9 2 9 जो जम्मू और कश्मीर को छोड़कर पूरे भारतलागू किया गया। यह अधिनियम एक वयस्क पुरुष और महिला की आयु परिभाषित करता है। लड़की की उम्र अठारह या उससे अधिक और विवाह के समय लड़के की आयु 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। यदि वे अपनी उम्र से कम हैं और शादी करने जा रहे हैं, तो इसके लिए 15 दिन का कारावास और एक हजार रूपए जुर्माने का प्रावधान है।

बाल विवाह के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सभी बच्चों को अपने मानवाधिकारों से कराया जाना चाहिए। यदि कहीं बाल विवाह जैसी घटना हो रही है तो इसका विरोध करना चाहिए और तुरंत ही पुलिस को इसकी सूचना देनी चाहिए। इस जघन्य अपराध के प्रति जागरूकता पैदा करने में मीडिया को भी और अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता है।

– पूर्णिया/बिहार से शिव शंकर सिंह

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