पूर्णिया/ बिहार – भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा की गई नोट बंदी एक बड़ा फैसला था । 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब ऐलान किया को वो देश को संबोधित करेंगे तो पूरा देश खुश था , हरेक वर्ग के लोग कयास लगा रहे थे कि मोदी जी , गरीब किसान , बेरोजगारी, महंगाई , आतंकबाद या फिर हो रही भ्रष्टाचार पर बोलेंगे पर जैसे ही रात 8 बजे मोदी की वो आवाज भाइयों एवं बहनो आज रात 12 बजे के बाद 500 और 1000 के नोट लीगल टेंडर नही रहेंगे मतलब 500 और 1000 के नोट चलन में नही रहेंगे तो पूरा देश हिल गया । कितने लोग तो इस फैसले के बाद बेहोश हो गए । विपक्षी पार्टी की तो जैसे नींद ही उड़ गए , और सुबह होते होते ये फैसला पूरे देश मे फैल गई , लोग अपने ही पैसे निकालने के लिए और जमा करने के लिए बैंक और एटीएम में लाइन लगा दिए । ये एक ऐसा फैसला था जिससे देश अभी तक अनजान था । ऐसा नही की देश मे नोट बंदी पहली बार हुआ था इससे पहले भी दो बार 1946 और 1978 में नोट बंदी हो चुका था पर शायद उसका असर इतना देखने को नही मिला था , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने किये फैसले को सही साबित करने के लिए देश की जनता से 50 दिन मांगे और कहा आप हमारा साथ दीजिये इस देश से काला धन , नकली नोट, आतंकबाद, महंगाई गरीबी सब दूर हो जाएगा । पर ऐसा हुआ क्या ? । ये वो महीना था जब देश मे शादी ब्याह का माहौल चल रहा था कितनी बेटी की शादी इस नोट बंदी के कारण टूट गई । कितने की जाने लाइन में लगने से चली गई , कितने किसान ने आत्महत्या कर ली , छोटे मोटे कितने ही व्यपारी का रोजगार खत्म हो गया । सब्जी वाले , दूध वाले , मछली , मुर्गा, चिकन बेचने वाले छोटी मोटी मिठाई बेचने वाले , कपड़े बेचने वाले का धंधा चौपट हो गया वो सड़क पर आ गए , परिवार चलना मुश्किल हो गया । बच्चे के शिक्षा पर असर पड़ा । पर मोदी जी 50 दिन की मोहलत मांगते रहे ।
नोटबंदी से हुए कुछ नुकसान के उदाहरण इस प्रकार है :-
नोटबंदी से जहां आम लोगों को कुछ फायदे हुए तो नुकसान भी देखने को मिले। सबसे बड़ा नुकसान लोगों को लेन-देन के रूप में देखने को मिला। छोटे स्तर के व्यापारी हों चाहें बड़े स्तर के, नोटबंदी की वजह से लोग किसी भी तरह का लेन-देन नहीं कर पाए।
छोटे बिजनेस नुकसान में नोटबंदी का नुकसान छोटे उद्योगों पर भी देखने को मिला, खासकर उन पर जहां कैश में लेन-देन होता था। इसकी वजह से रोजगार ठप्प पड़ गया और कई व्यापारियों को घर बैठना पड़ा।
कृषि के क्षेत्र में नकदी में लेन-देन ज्यादातर नकदी में होता है और उस पर भी नोटबंदी का प्रभाव देखने को मिला। कई किसानों ने जगहों-जगहों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया।
आज नोट बंदी के दो साल पूरे हो गये पर कौन सी चीज बदल गई । ना कला धन मिला और ना हो वापस आये , आंतकबद रुका नही , बेरोजगारी दूर हुईं नही भ्रस्टाचार पर रोक लगा नही और सबसे बड़ी बात की चुनाव की रूप रेखा बदली नही , मुझे एक बात समझ मे नही आती की नोट बंदी का असर देश के नेता पर क्यों नही पड़ा , पहले के तरह ही चुनाव प्रचार होना अनाप शनाप पैसे खर्च करना हेलीकॉप्टर से बड़े बड़े रैली करना बड़े बड़े मंच बना कर भाषण देना सैकड़ो गाड़ी का काफिला निकलना । क्या नेता जी सभी को चेक से ही पेमेंट करते है क्या? आज तक एक दो को छोड़ कोई नेता काला धन रखने के अपराध में जेल नही गया , इन सब चीजो का फैसला अब देश की जनता को करना होगा की आखिर नोट बंदी से किसको क्या मिला ।
– शिव शंकर सिंह , पूर्णिया/ बिहार