अमृतसर में ट्रेन हादसा या यह कहें कि दशहरा देखने आयें लोगों पर मौत का तांडव । सरकारी आकड़ों के मुताबिक 61 लोगों की मौत ।हकीकत क्या पता नहीं कितने लोगों की हुई जीवन लीला समाप्त ।
घर से रावण दहन देखने निकले इन लोगों ने सोचा भी नहीं होगा कि यह इनके जीवन का आखिरी रावण दहन (दशहरा) होगा इनके परिजनों के लिए कभी भी न भूलने बाला दशहरा।यह घटना उन लोगों के लिए भी कभी भी न भूलने बाली हो गयी जिन्होंने यह मंज़र अपनी ऑखों से देखा होगा ।अब सबाल यह कि लापरवाही किसकी?
क्या आयोजकों की जिम्मेदारी नहीं ।जिन्होंने बिना परमीशन के ही इतना बडा आयोजन कर दिया ।दूसरी प्रशासन की भी कि शहर में आयोजन होता रहा और उसे खबर भी नहीं ।
हादसा हुआ जांच होगी और समय बीतता चला जायेगा हर कोई अपने को बचाने में दूसरे पर दोषारोपण करेगा।राजनेता अपनी राजनैतिक रोटियां सेकेंगे।और धीरे-धीरे फिर सब सामान्य हो जायेगा । लेकिन जिन परिवारों ने अपने परिवार का सदस्य खोया उन्हे क्या मिलेगा।चंद सहायता राशि ।
इस प्रकरण से सीख लेकर क्यों न ऐसी सख्त कार्यवाही की जाये जिससे भविष्य में आम जन के जीवन से खिलवाड़ न हो सकें ।कार्यक्रम के आयोजक कार्यक्रम करने से पहले सुरक्षा के सभी इंतजाम पूरे करें प्रशासन परमीशन देने से पहले जगह का दौरा करें और सभी सुविधाएं दुरूस्त होने पर ही परमीशन दे।जिससे भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो।
(यह लेखक के स्वंम के विचार है)