कारोबार पर कोरोना की मार: लॉकडाउन ने व्यापारियों के सामने खड़े किए कई सवाल, रोटी पर भी संकट के बादल

बेकाबू होते कोरोना पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन और पाबंदियों ने कारोबार को फिर बेपटरी कर दिया है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ है। शहर में कोरोना की चेन तोड़ने के लिए सरकार ने लॉकडाउन को अब बढ़ा दिया है। लॉकडाउन को लेकर व्यापरियों की अलग-अलग राय है। उनका कहना है कि एक व्यापारी के नाते लॉकडाउन इतना नुकसानदायक है कि इसकी भरपाई करना उसके लिए बड़ा मुश्किल है। वहीं आम नागरिक के नाते वर्तमान में कोरोना चेन को तोड़ने में लॉकडाउन सबसे प्रभावशाली कदम है। लॉकडाउन अगर कुछ और दिन बढ़ा तो छोटे व्यापारियों की दुुकानों के शटर शायद अब कभी न खुल पाएं।व्यापारियों के लिए इस नुकसान की भरपाई करना बड़ा मुश्किल होगा। पहला लॉकडाउन और फिर अब दूसरे लॉकडाउन से व्यापारी मंदी का सामना कर रहे हैं। लॉकडाउन के कारण दुकानें तो बंद हैं, लेकिन बैंक की किश्तें, बिजली बिल, वर्करों का वेतन और दुकानों का किराया जारी है। व्यापारियों के लिए ऐसे हालात का सामना करना बड़ा मुश्किल है। अगर इन दस दिन की ही बात करें तो व्यापारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। इन पाबंदियों ने व्यापार को चौपट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। छोटे व्यापारियों के लिए लॉकडाउन नुकसानदायक है। अगर लॉकडाउन दो से चार दिन और बढ़ता है तो कई व्यापारियों की दुकानों के शटर खुल ही नहीं पाएंगे। छोटे व्यापारियों पर सरकार को विशेष ध्यान देना होगा। लॉकडाउन के कारण छोटे व्यापारियों के लिए घर का खर्च, बच्चों की स्कूल फीस चुकाना मुश्किल हो गया है। बड़े व्यापारियों की तो बात होती है, लेकिन अब छोटे व्यापारियों के प्रति सरकार के रुख में बदलाव आना चाहिए। पिछले साल के लॉकडाउन के नुकसान की भरपाई अभी तक पूरी नहीं हुई है। ऐसे में इस बार के लॉकडाउन ने चिंताएं बढ़ा दीं हैं। सब्जी और फलों की दुकानें लगाने वाले दुकानदारों ने सरकार से दुकानें खोलने की अनुमति देने की गुहार लगाई है। फल-सब्जी विक्रेता ने बताया कि सुबह के समय सामान नहीं बिक पा रहा, जो मंडी से सामान लाया जाता है वह दुकान में पड़ा-पड़ा खराब हो रहा है। इससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह महीना रमजान का चल रहा है और रोजा रखने वालों को भी परेशानी हो रही है। दुकानें बंद होने के कारण शाम को इफ्तारी खोलने के वक्त फल-सब्जी नहीं मिल पा रही। दुकानदारों ने मांग की सुबह से शाम तक दुकानें खोलने की अनुमति दी जाए।
रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुलियों का कारोबार ठप पड़ गया है। ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों की लगातार कम होती संख्या ने कुलियों से उनका काम छीन लिया है। कुलियों का कहना है कि स्टेशन पर काम न के बराबर है। न स्टेशन प्रबंधन और न ही सरकार की ओर से उन्हें किसी प्रकार की कोई सुविधा दी गई है। पहले दिन में जहां सेे पांच सौ रुपये कमाते थे, वहीं अब 100 रुपये की कमाई भी नहीं हो पा रही है। कोरोना के कारण लोग कम सफर कर रहे हैं, जिसके कारण काम कम मिल रहा है। अगर इसी तरह यह सिलसिला चलता रहा तो हम लोग भुखमरी के दौर से गुजरने लगेंगे !

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