Breaking News

GST मस्त बनाम करदाता त्रस्त!

देश में वस्तु एवं सेवाकर अधिनियम यानि जीएसटी को लागू 5 वर्ष होने जा रहे हैं। लेकिन 5 साल की समीक्षा की जाये तो परिणाम यही निकलता है कि जीएसटीएन और जीएसटी मस्त है लेकिन करदाता एवं टैक्स प्रोफेशनल्स त्रस्त है

आपको याद होगा कि अपै्रल 22 माह में हमारे द्वारा सरकार से यह मांग की गई थी कि जीएसटी के 5 साल के सफर का व्यापक स्तर पर समीक्षा होनी चाहिए। इस मांग के पीछे कई कारण थे, पहला कि वाद-विवाद कम होंगे, दूसरा कानूनी औपचारिकताएं कम होंगी, तीसरा कि देश में पंजीकृत करदाताओं की संख्या को व्यापक वृद्धि होगी और सबसे महत्वपूर्ण कि सरकार को प्राप्त होने वाला अप्रत्यक्ष कर संग्रह उच्च स्तर होगा।

इसी कारण से जीएसटी को लागू करने की तैयारी करने समय यह विचार करते हुए निर्णय लिया गया था अगले 5 सालों में राज्यों को होने वाले राजस्व घाटे की भरपायी केन्द्र सरकार करती रहेगी।

चूंकि 30 जून 2022 को जीएसटी को लागू एवं प्रभावी हुए 5 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे तो बड़ा प्रश्न सामने आएगा कि अब 5 वर्ष के पश्चात राज्यों को राजस्व घाटे की भरपायी केन्द्र सरकार करेंगी अथवा नहीं अथवा राज्य सरकारें राजस्व वृद्धि के लिए अपना कोई मार्ग निकालेगी? अथवा राज्य सरकारें केन्द्र सरकार से अगले 5 वर्ष तक भरपायी के लिए दवाब डाले!!

अब आते हैं क्रम वार मनन योग्य प्रश्नों की ओर-
कम होंगे वाद-विवाद लेकिन- विचार करना होगा कि जीएसटी लागू होने के बाद विभाग बनाम करदाताओं के बीच वाद-विवाद बढ़े अथवा घटे? लेकिन हमारी राय में तो विभाग बनाम करदाता के बीच विवादों की संख्या में व्यापक वृद्धि दर्ज हुई है! क्योंकि अधिकतर विवाद आई टी सी का पोर्टल पर शो नहीं करना, शो नहीं करने की स्थिति में गलत क्लेम आदि जैसे मुद्दे, फिर रिटर्न दाखिल न करने और फिर दाखिल किये जाने के बाद भी पंजीयन कैसिंलेशन तत्पश्चात रिवोकेशन के विवाद , सचल दल द्वारा माल और वाहन रोकना आदि-आदि मुख्य बिन्दु है।

औपचारिकताएं कम होंगी, लेकिन– जीएसटी लागू करते हुए यह वायदा किया गया था कि जीएसटी के चलते औपचारिकताएं कम होंगी। क्योंकि 16 प्रकार के टैक्सेस एक में समाहित हो जाएंगे, हां हम कह सकते हैं कि 16 प्रकार के टैक्सेस तो समाहित हो गये लेकिन प्रश्न उठ रहा है कि जीएसटी में जिस प्रकार के जीएसटी परिषद द्वारा नित नये- नये नियम बनाये जा रहे हैं और उन नये-नये नियमों के पालना करने में औपचारिकताएं बढ़ी है अथवा घटी? इस विषय पर मन्थन करने की परम आवश्यकता है। सबसे बड़ी समस्या उभर कर आयी है कि अभी तक जीएसटीआर-2 के एक्टिवेट न करके जीएसटीआर-2ए एवं 2बी लागू कर दिया अब खरीद की आई टी सी मिलान करो अन्यथा टैक्स जमा करो भले ही आप खरीद पर बिक्रेता को टैक्स का भुगतान कर चुके हो लेकिन उसके द्वारा जमा न करने की स्थिति में आपकी जिम्मेदारी बन जाती है।
देश में पंजीकृत करदाताओं की संख्या को व्यापक वृद्धि होगी, लेकिन

दावा किया जा रहा था कि जीएसटी लागू हाने के बाद देश में पंजीकृत करदाता की संख्या में व्यापक वृ(ि होगी, लेकिन यक्ष प्रश्न उभर कर आ रहा है कि जिस प्रकार से आशा की जा रही थी क्या उतनी संख्या में वृ(ि कायम की गई? चुनौती देने वाली संख्या है कि देश की आबादी 136 करोड़ लेकिन पंजीकृत करदाताओं की संख्या मात्र 1.50 करोड़ के आसपास!!
सबसे महत्वपूर्ण कि प्राप्त होने वाला अप्रत्यक्ष कर संग्रह उच्च स्तर होगा

इसी क्रम में एक यक्ष प्रश्न और खड़ा हुआ कि सरकार ने जो आंकड़े लगाये थे कि अगले 5 साल में इतना राजस्व संग्रह आने लगेगा क्या वह लक्ष्य प्राप्त हुआ। अपै्रल में उच्च स्तर आंकड़ा था 1.66 लाख करोड़ लेकिन मई का आंकड़ा रहा 1.41 लाख करोड़, जबकि 2020 तक यह आंकड़ा 1 लाख करोड़ को भी छू पाया था।
जीएसटी परिषद और जीएसटीएन की मनमानी!!
हमारी समीक्षा में सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु सामने आ रहा है कि जीएसटी परिषद और जीएसटीएन की मनमानी जोर पर है। जीएसटी एक्ट की धारा-165 एवं 166 में जीएसटी परिषद को यह अधिक दे दिया कि वह नियमावली में संशोधन कर सकती है तो परिषद संशोधनों की संस्तुति कर देती है भले एक्ट के प्रावधानों का प्रभावित कर दे। इसी प्रकार जीएसटीएन ;इन्फोसिस लिमिटेडद्ध की मनमानी चरम पर है। उदाहरण है कि जीएसटी परिषद ने 1 अपै्रल 22 को ईट भट्ठों को समाधान से बाहर करते हुए 12 एवं 6 प्रतिशत की करों की दर लागू कर दी लेकिन पोर्टल पर 2 माह तक 6 प्रतिशत का काॅलम को खोला नहीं गया, बल्कि कह दिया गया कि 5 प्रतिशत वाले काॅलम में दर्ज कर दे जबकि 5 प्रतिशत वाले काॅलम में गणना 5 प्रतिशत के अनुसार दिखायी दे रही थी। अब करें तो क्या करें, नक्शा तो भरना ही है अन्यथा पंजीयन निरस्त!!
प्रदेश के बाहर के व्यापारी अपंजीकृतःअस्थायी आई डी, फेल
इसी प्रकार जुलाई 2020 में एक संशोधन कर दिया कि सचल दल द्वारा किसी वाहन को जब्त करने की स्थिति में यह पाया जाता है कि वाहन व माल स्वामी प्रदेश के बाहर का है तो उसको प्रदेश में अपंजीकृत मानते हुऐ माना जाएगा प्रदेश का टेम्परेरी पंजीयन दे दिया जाएगा, स्पष्ट है क्या इस प्रावधान के चलते ‘एक राष्ट्र-एक कर’ की भावना पूरी हो रही है? अब देखें कि उसको अपंजीकृत मान कर उसके राज्य का टेम्परेरी जीएसटीएन नंबर जारी करते हुए सचल दल टैम्परेरी आई डी बनाएगा। अब समस्या देखें कि वह टैम्परेरी आई डी को रिसेट करते रहो लेकिन रिसेट होकर नहीं देगी। यदि अब आपको अपील करनी हो अथवा रिफंड प्राप्त करना हो, लेकिन रिसेट होकर नहीं देगा। समय निकल जाएगा।
जीएसटीआर-4 में नेगेटिव लाॅयबिल्टी
इसी प्रकार जीएसटीआर-4 में नेगेटिव लाॅयबिल्टी की समस्या आ रही है तो जीएसटीएन ने एडवाईजरी जारी की है कि पहले दिखायी दे रही नेगेटिव लाॅयबिल्टी जमा करो फिर रिफंड हेतु प्रार्थना पत्र लगा दो रिफंड मिल जाएगा। जीएसटीआर-4 दाखिल करने वाले सभी छोटे व्यापारी है लेकिन कोई बात नहीं पहले दुबारा टैक्स जमा करो और फिर जब रिफंड मांगो तो विभाग आपत्ति लगाये स्पष्ट है कि रिफंड मिलना नहीं है, लेकिन गत 7 जून को नई एडवाईजरी जारी की कि वर्ष 2019-20 व 2020-21 के काॅलम 6 को रिवाईज कर सकेंगे, लेकिन 8 जून तक खुला ही नहीं।
तभी हम कह रहे हैं जीएसटी मस्त-करदाता त्रस्त

पराग सिंहल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *