5 जून से 5 जुलाई 2020 तक 31 दिनों में तीन बार ग्रहण पड़ने वाला है। इन तीन ग्रहों का देश और दुनिया तथा हमारे जन जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है बता रहीं है ज्योतिषाचार्य राधा गर्ग
सूर्य और चंद्र ग्रहण
प्रथम ग्रहण : यह एक चंद्र ग्रहण होगा जो 5/6 जून 2020 रात्रि को 11 बजकर 16 मिनट से आरम्भ होकर 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा । इसकी कल अवधि 3 घंटे 18 मिनट की होगी। इस चंद्र ग्रहण का कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा।
दूसरा ग्रहण : यह एक सूर्य ग्रहण होगा जो कि 21 जून 2020 दिन रविवार को प्रात: 9 बजकर 15 मिनट से आरम्भ होकर दोपहर 3 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। इसकी कुल अवधि 5 घंटे 49 मिनट की होगी। यह आषाढ़ मास की अमावस्या को होगा। इसको ककण चूडामणि सूर्य ग्रहण (Ring of Fire) कहते हैं। इस ग्रहण का दुम्प्रभाव होगा।
तृतीय ग्रहण : यह एक चंद्र ग्रहण होगा जो 5 जुलाई 2020 को दिन में 8 बजकर 37 मिनट से आरम्भ होकर 11 बजकर 22 मिनट तक रहेगा । इसकी कुल अवधि 2 घंटे 45 मिनट की होगी। यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नही देगा। इस चंद्र ग्रहण का कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा।
इस अवधि में होने वाले दोनों चंद्र ग्रहण का प्रभाव/दुष्प्रभाव हमारे जनजीवन पर नहीं पड़ेगा, वास्तव में इन दोनों चन्द्र ग्रहों को यहण की संज्ञा में नहीं गिना जा सकता है। कुछ व्यक्तियों ने इन चंद्र ग्रहों की काल्पनिक विवेचना की है जिससे जनमानस को गुमराह कर के उनके मन में इन यहां के प्रति अकारण ही आय की भावना भरने का दुष्प्रचार करने का प्रयास किया है।
वास्तव में उपच्छाया यहणो में अन्य ग्रहों की भांति पृथ्वी पर काली छाया भी नहीं दिखायी देती है। चंद्रमा की आकृति थोडी सी धुधली अवश्य हो जाती है। इसी कारण से इन ग्रहणों में सूतक आदि का भी विचार नहीं किया जाता है। फिर भी पूर्णिमा सम्बंधित सभी धार्मिक कृत्य जैसे व्रत दान इत्यादि निसंकोच होकर कर सकते हैं।
सूर्य ग्रहण जो कि 21 जून 2020 दिन रविवार को प्रात: 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर 3 बजकर 4 मिनट तक रहने वाला है वह ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र तथा आद्दा नक्षत्र में, गण व वृदधि योग में, मिथुन राशि में पड़ने वाला एक सम्पूर्ण सूर्य यहण है। इसे ककण चूड़ामणि सूर्य ग्रहण भी कहते हैं। भारत में यह खण्डग्रास के रूप में दिखाई देगा।
शास्त्रों में इस ग्रहण में स्नान, दान, जप, तप तथा पूजा आदि का बहुत महत्व होता है। इस दिन कुरुक्षेत्र तथा फाल्गू (जि. कैथल) हरियाणा में बहुत बड़ा मेला भी लगता है। इस दिन पवित्र तीर्थ स्थलों पर स्नान करने का बहुत महत्व है और इसका बड़ा पुण्य फल प्राप्त होता है।
इस ग्रहण का प्रभाव वस्त्रों, फलों, तथा पुष्पों का व्यापार करने वाले, मदिरा का सेवन करने वाले, वैद्य, तंत्र विधा करने वाले योगी सन्यासियों, दक्षिण क्षेत्रों में रहने वालों पर पड़ा था यह लोग पीडा व कष्ट में रहेंगे। राजनीतिक अस्थिरता रहेगी तथा तूफान आदि प्राकृतिक प्रकोपों का सामना करना पड़ेगा, कहीं वर्षा कम कहीं ज्यादा होगी तथा व्यापक जन-धन की हानि होगी।
उपाय : इस समय के दुष्प्रभाव को कम करने के लिये छायादान, आदित्य हृदय स्वोत्र तथा रोगों की शांति के लिये श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभ होता है ।
राधा गर्ग (ज्योतिषाचार्य)