कोरोना वायरस से खतरे का सामना कर रहे देश को पीएम मोदी ने शुक्रवार को एक वीडियो के माध्यम से संबोधित किया। जिसमें उन्होंने देश में जनता कर्फ्यू के बारे भी बात की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना से देश एकजुट होकर लड़ सकता है, आगे पीएम मोदी ने कहा कि लॉकडाउन को लेकर लोग सोचते होंगे कि वे अकेले क्या कर सकते हैं, लेकिन हम अपने घरों में भी अकेले नहीं हैं, बल्कि 130 करोड़ देशवासियों के साथ हर व्यक्ति का संबंध है। इसके साथ ही देश को एक बार कोरोना वायरस के खिलाफ एकजुट होने का कहा था। सभी ने एक जुट होकर एकता का परिचय दिया भी।
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक ऐसा बताया गया हैं कि दीपक या मोमबत्ती का काम अंधकार को दूर करना होता हैं, दीप या मोमबत्ती अंधकार को मिटा कर प्रकाश फैलाती हैं ऐसा करने से बीमारियां दूर होती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार दीपक जलाने से कष्टों दूर करने में मदद मिलती है. कोरोना वायरस एक तरह का कष्ट है जिससे पूरा देश डरा हुआ है.शास्त्रों में बताया गया है कि दीपक जलाने से जीवन में सुख समृद्धि आती है. इस समय जो माहौल पूरे देश में बना हुआ है उसके चलते लोगों में निराशा का भाव पैदा न हो इसके लिए दीपक जलाना एक शुभ प्रयास है।
कुछ ऐसे ग्रह हैं जिनकी अशुभता को दूर करने के लिए दीपक जलाने की परंपरा है. सूर्य जब अशुभ फल प्रदान करने लगते हैं तो दीपक जलाया जाता है. रविवार को सूर्य की अशुभता को दूर करने के लिए दीपक जलाना फलदायी माना गया है।
समुद्र मंथन से निकले वैद्य धन्वन्तरि ने अमृत के साथ-साथ दीपक का महत्व आयुर्वेद में बताया है। दीपक की लौ काफी पवित्र होती है और इसकी लौ की रोशनी नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर रखती है और जीवन से हर प्रकार के अंधकार को हटाकर दोती है।
ऋग्वेद काल से अग्नि प्रज्वलित करने यानी दीपक जलाने की परंपरा चली आ रही है,श्रीराम जब मेघनाथ पर विजय नहीं प्राप्त कर पा रहे थे तो भगवान राम ने एवं लक्ष्मण जी ने घी के दीपक जला कर ऊर्जापुंज का निर्माण किया था,और मेघनाथ पर विजय प्राप्त की।
बाद में अलग अलग कारणों से ये परंपरा पर्वो के साथ जुड़ गई, त्रेतायुग में श्रीराम के अयोध्या आने पर और द्वापर युग में श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस को मरने के बाद दीपक जलाये थे।
शुभम करोति कलयाणम् आरोग्यम् धन सम्पदा
शत्रुबुध्दि विनाशाय दीपज्योति नमस्तुते ।।
सुन्दर और कल्याणकारी, आरोग्य और संपदा को देने वाले हे दीप, शत्रु की बुद्धि के विनाश के लिए हम तुम्हें नमस्कार करते हैं। ऐसे मंगलदायक दीप के लिये भक्त के मन में आदर युक्त भावना उत्पन्न हुई होगी और इसी ने दीपक को कलात्मक रूपा से गढ़ना शुरू कर दिया होगा।
दीप जल उठे। करोड़ों हाथ जुड़ गए ज्योति की आराधना में। नमित हो गए मन प्रार्थना में। उत्सव जागा हर ओर और गूँज उठे कहीं ये शब्द-
दीप मेरे जले अकंपित-घुल अचंचल
स्वर प्रकंपित कर दिशाएँ
मीड सब भूकी शिराएँ
गा रहे आंधी प्रलय
तेरे लिये ही आज ही मंगल
महादेवी वर्मा की इस कविता से मिलती है।
विज्ञान के अनुसार आसन व प्राणायम की क्रिया से पहले घी का दीपक जलाकर रखने से वायु शुद्ध होती है और इस दौरान शरीर के रोम से निकलने वाली टॉक्सिक गैसें दीप ज्योति में जलकर भस्म हो जाती हैं। इसलिए आप सभी ने दीपक टार्च,मोमबत्ती,,मोबाइल जलाकर ऊर्जापुंज का निर्माण किया है,जो कोरोना से मुक्ति दिलायेगा।
– बरेली से सौरभ पाठक