ग्लैमर की चाह और पुलिस और प्रशासन के बीच भौकाल गांठने के लिए जहाँ पहले अपराधी किसी राजनैतिक हस्ती या पार्टी का दामन थाम लेते थे वही वर्तमान में ये ट्रेंड बदला है तमाम अपराधी प्रवृत्ति के लोग अब पत्रकारिता और वकालत की तरफ रुख कर रहे है। हालांकि की वकालत की डिग्री में लगने वाले समय और जरूरी पढ़ाई की वजह से पत्रकारिता वर्तमान में अपराधियों का सबसे पसंदीदा क्षेत्र बनता जा रहा है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ वेब और सोशल मीडिया जैसे दूसरे साधन आ जाने के बाद कोई भी शख्स कभी भी खुद को छायाकार या पत्रकार खुद ही घोषित कर दे रहा है। दुखद पहलू ये है कि जिस पत्रकारिता को देश का चौथा स्तंभ कहा जाता है उसमें कभी बुद्धिजीवी और समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा लिए लोग आते थे। जबकि अंधाधुंध छोटे अखबारों , पत्रिकाओं , वेब पोर्टल्स के आ जाने के बाद बड़ी संख्या में अपराधियो को भी प्रेस लिखने का सुनहरा मौका मिल गया है। जिसके सहारे वो न सिर्फ अपने पुराने अपराधों को छुपाए हुए है बल्कि पुलिस और प्रशासन पर अपनी पकड़ भी मजबूत कर रहे है और इसके सहारे तमाम तरह के गैरकानूनी कार्य पत्रकारिता की आड़ में संचालित करने में लगे है।
एक अनुमान के मुताबिक कक्षा 5वी या 8वी और कई मामलों में तो अशिक्षित भी मिल जाएंगे जो खुद को मीडिया कर्मी बताते घूम रहे है और इनकी संख्या भी सैकड़ों में होगी।
अब बड़ा सवाल ये है कि वास्तविक पत्रकारों की मर्यादा और पत्रकारिता जैसे महत्वपूर्ण विधा को अपराध और अपराधियों के चंगुल से कैसे और कौन बचाएगा। आखिर कौन !