भगवान राम का मंदिर: हिन्दुओ की आस्था या सिर्फ चुनावी मुद्दा

धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले लगभग देश के सभी राजनीतिक दल मिलकर बेजेपी पर आरोप लगा रही है कि भगवान राम को हर पांच साल में कम से कम एक बार याद कर ही लिया जाता है । इसे समय का विकास समझे या फिर हिन्दुओ की पार्टी कहे जाने वाले भारतीय जनता पार्टी की मानसिक बीमारी जो भगवान और धर्म को भी अपनी सत्ता के लोभ के कारण अछूता नही रखते । अब चुनावी राण भूमि में सरे आम भगवान श्री राम का सहारा लिया जाता है । हिन्दुओ के भावना के साथ खिलवाड़ किया जाता है । क्यों कोई मुह खोलकर राम मंदिर निर्माण की तारीख निर्णय नही करती ।
देश का विकास अगर मंदिर और मस्जिदों की बहस से हो जाना संभव है तो बेसक इसे जारी रखें
पर याद रखे देश मे उन गरीब किसान की जो आपसे जायद भगवान राम के ही भरोसे है ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ी ही चालाकी से राम मंदिर के विवादास्पद मुद्दे को चुनाव मैदान में उछाल दिया है
उन्होंने साफ़ लफ्ज़ों में हिंदू संत समाज से इस मुद्दे को उठाने की अपील की है, भले ही इससे सुप्रीम कोर्ट के किसी आदेश या संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन होता हो ।
ये घटनाक्रम अब ज़रा भी हैरान नहीं करता।
भारतीय जनता पार्टी के लिए राजनीतिक फ़िज़ा जिस तरह से ख़राब हो रही है, इस बात को ध्यान में रखते हुए सत्ता में वापसी के लिए भाजपा को हर दांव चलने की ज़रूरत है ।
साल 2014 में मिली क़ामयाबी को फिर से दोहरा पाने के आसार कम ही दिखाई देते हैं ।
मोहन भागवत ने ये भी कहा है कि विपक्ष में किसी के पास इतना माद्दा नहीं होगा कि कोई राम मंदिर का निर्माण रोक सके.
वे न केवल बड़ी चालाकी से इस तथ्य को उलझा रहे थे कि विवाद राम मंदिर के निर्माण को लेकर नहीं है बल्कि उस जगह पर इसके निर्माण को लेकर है जहाँ साल 1992 में उनके समर्थकों और अनुयायियों ने बाबरी मस्जिद को जमींदोज़ कर दिया था.उन्हें इस बात का भी आसरा है कि कांग्रेस पार्टी इन दिनों ‘नरम हिंदुत्व’ की अपनी राजनीति को चमकाने में मसरूफ़ है.

राम की मंदिर बने या ना बने , पर इन मुद्दों पर सरकार जरूर बन जाती हैं । और यही वजह है कि राजनीतिक पार्टी इस मुद्दों को हर बार चुनाव के समय उठाते रहते है । जरा सोचिए क्या भगवान राम के नाम पर या किसी भी धर्म को ढाल बनाकर राजनीति करना अच्छी बात है । लोगो के आस्था के साथ खिलवाड़ करना कहाँ तक जायज है ।
आज तक किसी पार्टी ने किसी कॉलेज ,स्कूल, अस्पताल, विश्वविद्यालय बनाने में इतनी तत्परता नही दिखाई जितनी मंदिर और मस्जिद को लेकर है । क्या इस देश का विकास इन मंदिर ,मस्जिद और किसी की मूर्ति बनाने से हो सकता है । गरीब जनता के टैक्स के पैसों को इस तरह बर्बाद करने का हक किसने दिया है । यहाँ जनता गरीबी , भुकमरी, बेरोजगारी से मर रही हैं और साहब गाय , गोबर, मंदिर ,मस्जिद में फसे है । और इस देश की भोली जनता इन लॉलीपॉप में मजा ढूंढ रही है । लगभग देश के हर राजनीतिक दल ने इस समाज को बांटने काम किया है , कभी धर्म के नाम पर कभी जाती के नाम पर । पर अब समय आ गया है कि जनता इस बात को समझे और एक अच्छी सरकार का चयन करें , जो इन मुद्दों से ऊपर उठकर देश की विकास को आगे बढ़ाने का काम करे ।

-शिव शंकर सिंह , पूर्णिया/ बिहार

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